संगम को प्रणाम ।
साथ देनेवाला साथी ।
सतानेवाला दुश्मन ।
दोस्ती निभाना अति मुश्किल ।
दोस्ती बनाना तो सरल।
कर्ण को संकट के समय
दुर्योधन| ने साथी बनाया ।
यहाँ तक कि राजा।
कर्ण तो दानी बना।
दोस्ती निभाने केलिए नहीं,
कृतग्ञ ग्ञापन के लिए।
दुर्योधन में स्वार्थ था।
साथी निभाना अति कठिन ।
गलत करें सहना है।
सुधारने की बात है कया ?
कृष्ण - सुदामा की देस्ती की प्रश्ंसा ।
सुदामा ही कृष्ण सै मिलने गया।
न कृष्ण। स्वागत तो ठीक
सुदामा पत्नी के आग्रह से न जाते तो
न कहानी दोस्ती की।
रंक को राजा बनाने में ही दोस्ती।
गरीबी मिटाने में दोस्ती।
बिना लेन - देन की दोस्ती कहाँ?
Thursday, August 11, 2016
देस्ती
Sunday, August 7, 2016
साहित्यकार
गोरी कल्पना रोचक नहीं होती।
समाज से संबंधित।
सत्य से संबंधित।
यथार्थ से संबंधित।
आदर्श से संबंधित।
पर साहित्यकार का हृदय
प्यार की चोट| से,
विरही की चोट से
दुख की कसौटी में
जीवन की विरक्ति में
भक्ति की तन्मयता में
रवि की गरमी में
चंद्र की शीतलता मे
दरिद्रता की भूख में
मूक वेदना में ।
आदी कवि वाल्मीकि पापी।
पाप से मुक्त होनै भक्त
भक्ति के फलस्वरूप अमर काव्य।
पत्नी के मोह, स्पर्श, न अन्य चिंता।
पत्नी उग्र काली बनी।
तुलसी बना भक्त ।
हनुमान चालीसा अब कइयों को
देती शक्ति, मुक्ति,भक्ति, वांछित फल, शांति।
प्रेमी बनता प्रथम कवि।
प्रेम की लहरे उसे डाँवा डोल करती।
चोटें पहुँचाती, भक्त ।
तभी बनता अमर काव्य।
कालीदास अति मूर्ख।
राजकुमारी अति बुद्धी मानी।
भाग्य का संबंध।
परिणाम अमर ग्रंथों केवअमर कवि।
साहित्यकार आदर्श बन जाता।
तभी बनताव अमर।
Friday, August 5, 2016
गीत
सनान धर्म
गुण गाता है हिम के पर्वत
भारत की एकता के प्रतीक
लहराता आलाप करता
हिन्द महासागर की लहरें .
त्रिवेणी संगम की लहरें
सागर संगम हमें अंतर राष्ट्रीय संगम
आये कई विदेशी कैबर घाटी -सागर के मार्ग पर
कितने ही सभ्यता व् संस्कृति ,के मिश्रण
इसमें हमें स्वाद मिला मिस्री सा मिठास.
जो भी आये अथिति ,वे हैं हमें देव -सम;
कई देश के कलाकारों की इमारत
मुग़ल -यूनानी -ब्रिटिश -वास्तु-कला के संगम.
ये हैं अन्तराष्ट्रीय एकता के लक्षण;
डच,पुर्तुकीस ,फ्रांसीसी वास्तु-कला के नमूने
प्रेम विवाह में आंगलो- इंडियन के वारिश
चन्द्रगुप्त के समय यूनानी प्रेम विवाह
अकबर बादशाह लाये दीन इलाही
राजपूतानी सम्बन्ध ;
आदर्श सहनशील सनाताना धर्मी .
अपने धर्म के नाम को "हिन्दू" धर्म ने मान लिया
जिसने विदेशी के गलत उच्चारण ने दिया "सिन्धु".
हम इतने उदार दिलवाले -मदुरै को मजूरा मान लिया.
तिरुवनंतपुरम को त्रिवेंड्रम माँ लिया ;
चेन्नई बन गया मद्रास .
सब को मानकर मिलाकर मौन खड़ा है गंभीर भाव से
भारतीय सनातन धर्म;
Wednesday, August 3, 2016
मनुष्य
नर हो ,न निराश करो मन को।
नर हो -- अर्थात ग्यानी हो, चतुर हो,
चालाक हो , षडयंत्रकारी हो, जीवन रक्षक हो।
सुधारक हो, आतंकवादी हो।
सार्थक हो, निरर्थक हो,
अच्छे हो बुरे हो, कच्चे हो,
हिंसक हो ,अहिंसक हो,
भोले भाले हो, पागल हो , बुद्धु हो,
बलवान हो ,दुरबल हो ,नपुंशक हो,
क्या न हो,
धर्माचार्य हो, अधर्माचारी हो।
दयालू हो,निर्दय हो।
अहं ब्रह्मास्मी हो,
क्या न हो।
न निराश करो मन को।
गुप्तजी , मैथिलीशरण जी का यह वाक्य
कितना अर्थबोधक है।
मजहबी हो, जातिवादी हो,
स्वार्थ हो ,निस्वार्थ हो।
प्रयत्नवान हो ।
Tuesday, August 2, 2016
राष्ट्र हित
राष्ट्र हित साहित्य
राष्ट्र निर्माण| में साहित्य ।
राष्ट्रीय एकता के लिए साहित्य ।
सत्तर साल की आजादी में
तेलुगु भाषियों के प्रांत टुकडा।
परिणाम आज बोलते हैं
तेलंगाना एक कश्मीर।
तमिलनाडु एक कश्मीर।
स्वार्थ लुटेरे शासक ,
धर्म भेद , जाति भेद को
प्राथमिकता देकर ,
अपने पद, धनव, भ्रष्टाचार
छिपाने में कुशल।
बुद्धु मतदाता जागते नहीं।
जागो! यवको! जगाओ।
देश ही प्रधान ।
बाद में मजहब, संप्रदाय ,जातियाँ।
जागो, जगाओ, देश बचाओ।
साहित्य
दर्जनों की दोस्ती घटेगी दिन ब दिन।
कृष्ण पक्ष - शुकलपक्ष समान।
तमिल संघ काल की कवयीत्री
औवैयार की सीख।
युवकों से कहती -
नौकरी मिलते ही अधिक खर्च करोगे तो
मान - मर्यादा खोकर बुद्धि -भ्रष्ट होकर
सबके नजरों में दुष्ट , सात जन्मों में चोर।
अच्छों को भी बुरा बनोगे जान।
कंजूसी के बारे में :-
कठोर मेहनत| करके धन कमाकर ,
धन गाढकर रखते तो एक दिन
प्राण पखेरु उडेंगे तो पापी!
कौन भोगेगा वह संपत्ती।
प्राचीन| साहित्य समाज निर्माण केलिए ।
आधुनिक साहित्य रीति काल जैसे ।
प्यार के नाम कुत्ते जैसे घूमना ,
भौंकना , काटना ,चाटना,
जीवन बन जाता अशांत।।