Thursday, August 11, 2016

देस्ती

संगम  को प्रणाम ।
साथ देनेवाला  साथी ।
सतानेवाला दुश्मन ।
दोस्ती निभाना अति मुश्किल ।
दोस्ती बनाना तो सरल।
कर्ण  को संकट के समय
दुर्योधन| ने साथी बनाया ।
यहाँ तक कि राजा।
कर्ण तो दानी बना।
दोस्ती निभाने  केलिए नहीं,
कृतग्ञ ग्ञापन के लिए।
दुर्योधन में स्वार्थ था।
  साथी निभाना अति कठिन  ।
गलत करें सहना  है।
सुधारने की बात है कया ?
  कृष्ण - सुदामा की  देस्ती की प्रश्ंसा ।
सुदामा ही कृष्ण सै मिलने गया।
न कृष्ण। स्वागत तो ठीक
सुदामा पत्नी के आग्रह से न जाते तो
न  कहानी दोस्ती  की।
रंक को राजा बनाने में  ही दोस्ती।
  गरीबी मिटाने में दोस्ती।
बिना  लेन - देन की दोस्ती कहाँ?

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