Thursday, August 18, 2016

सोच

संगम के हिन्दी प्रेमियों को प्रातःकाल प्रणाम।
प्रण  निभाना सीखो, देश के लिए
प्राण न्योछावर करना सीखो।
प्रेमी - प्रेमिका केलिए पागल होना
इन्सानीयत नहीं,  पशुत्व है जान।
प्राण एक न एक दिन चले जाएँगे।
प्रेमी  या प्रेमिका की जवानी ढल जाएगी।
दैश  और भावी पीढी  के लिए आदर्श
संयम सिखाओ भाई,।
सदविचारों  को  सीखो।
  जन्म लेते हैं कुछ करने
जवानी में सीखो संयम।
अनुभवी  तुलसी के जीवन से सीखो,
हाड- माँस का प्रेम है अस्थाई ।
ईश्वर ने दी है बुद्धी।
नर हो कुछ करो ।

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