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Monday, August 29, 2016

मित्रबंधु का दान

मित्र बंधु का दान

मित्र बंधु एक चमार था।



अपने राजा राम से अत्यंत प्यार करता था।

राम विश्वामित्र की यग्ञ -हवन की रक्षा करके 

मिथिला के स्वयं वर जीतकर अयोध्या लौटे।

तब गरीब चमार पर गहरा प्यार
 ,
संकोच के साथ एक जूता काट का दान में दिया।

भगवान राम ने दिल से 

उस भेंट को स्वीकार कर लिया।

जब उनको वनवास की आग्या मिली ,

तब उनका एक मात्र माँग वह जूता

वही पादुका बाद में सिंहासन में स्थान पायी।

भगवान प्यार को ही मानता है,

बहुमूल्य वस्तुओं को नहीं।

सच्चा प्यार भक्ति ही प्रधान है।

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