Saturday, August 20, 2016

भक्ति क्षेत्र

कलियुग कहते हैं .

कष्टमयजीवन् ,

दुराचार अनाचारमय जीवन

छल रहा है संसार.

छल का श्रीगणेश होता है कहाँ से?

न्यायधर्मपूजाअरचना भक्ति श्रद्धा बढ़तीजा रही है ,

मंदिरों में भीड़, हुंडी भर जाते हैं ,

दान धर्म करतेहै तो

एक बेकारी भीड़

काम नहीं तप जप नहीं लेते नहीं भगवान के नाम

पेट पर मारते माँ-जी दुखीआवाज उनकोदेते हैंभीख ,

उनकोरोनेरुलाने चीखने चिल्लाने मेक अप करने कराने एक बास भी होता है

चलता है उसकी भी जिंदगी .

धर्म अर्थ काम मोक्षदान धर्म योग ध्यान केआश्रम

वहाँ भी भीड़ जा जाती हैं, पता नहीं ,

ईश्वर खुद्वहांवीरजमान करोड़ों की संपत्ती ,

इनका काम ध्यानमें ,प्राणायाम में ,योग में लगाना ,

पुण्य कर्म अपनाना ,कर्तव्य निभाना सत्पथ पर लेचलना ,

ईश्वरसेमिलना मिलाना भारतीय धन संपत्ती कोअपनाकार आलीशान आश्रम भक्त

जो देता है दान ,त्यागीभक्त बनाना

स्वर्णासंस्वर्ण मुकुट चाँदी स्वर्णमय बर्तन .

हज़ारों करोड़ो भक्त सदयहफल कीआशा

सद्यः फल किसको सोचती नहीं भक्तमंडली .

इतने भक्ति पूर्ण वातावरण ,

पग पग पर मंदिर

कदम कदम पर आश्रम ,

पाप -पुण्य का प्रचार .

सबेरे अखबार ,दूरदर्शन समाचार भ्रष्टाचार के नाम अमुक मंत्री पर आरोप

तीन साल की बच्ची पर साठ साल के बूढ़े का बलात्कार

अध्यापक के बदव्यवहार ,

पुलिस के बदव्यवहार

पंचायत में जंगल में सड़कों पर छेड़छाड़

रिश्वत भ्रष्टाचार अन्याय हत्या बम फेंकना

एआश्रम एमंदिर देवाल्‍य मस्जिद रोज़ नये नये जितना बनते हैं ,बनाते हैं ,

उसका नतीज़ा संसार निभय शान्तिमय होना है

पर रामायण काल से   आज तक संसार है आतंक मय.

स्वतः सुधार ह होता कहाँ ?

चोरी बलात्कार अशांत मय जीवन ,

आतंक मय जीवन.

भगवान भी चाहते हैं यही क्या/ ?!!

यह भी लीला जगत का साधु संतभक्त जंगल में ,

सोचो समझो सुधारो.

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