Friday, August 5, 2016

सनान धर्म

गुण गाता है  हिम के  पर्वत
भारत की एकता के  प्रतीक
लहराता आलाप करता 
हिन्द महासागर  की  लहरें .

त्रिवेणी संगम की लहरें
सागर संगम हमें अंतर राष्ट्रीय संगम
आये कई विदेशी कैबर घाटी -सागर के मार्ग पर
कितने ही  सभ्यता व् संस्कृति ,के मिश्रण
इसमें हमें स्वाद मिला मिस्री  सा मिठास.
जो भी आये अथिति ,वे हैं हमें देव -सम;

कई देश के कलाकारों की इमारत

मुग़ल -यूनानी -ब्रिटिश -वास्तु-कला के संगम.
ये हैं अन्तराष्ट्रीय एकता के लक्षण;
डच,पुर्तुकीस ,फ्रांसीसी वास्तु-कला के नमूने
प्रेम विवाह में आंगलो- इंडियन के वारिश
चन्द्रगुप्त के समय यूनानी प्रेम विवाह
अकबर बादशाह लाये दीन इलाही

राजपूतानी सम्बन्ध ;
आदर्श सहनशील  सनाताना धर्मी .
अपने धर्म के नाम को "हिन्दू" धर्म ने  मान लिया
जिसने विदेशी के गलत उच्चारण ने दिया "सिन्धु".

हम इतने उदार दिलवाले -मदुरै को मजूरा मान  लिया.
तिरुवनंतपुरम को  त्रिवेंड्रम  माँ लिया ;

चेन्नई बन गया मद्रास .
सब को मानकर मिलाकर मौन खड़ा है गंभीर भाव से
भारतीय सनातन धर्म;

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