Thursday, March 7, 2019

महिला दिवस (मु )

महिला दिवस सब बहनों को नमस्कार !
आज नारी दिवस!
असुर संहारक!
हम देखते हैं ---
तेरे महिषासुर रूप !
भस्मासुर !त्रिनेत्र के प्राण खतरे में ,
विष्णु का मोहिनी रूप!
परिणाम !भगवान अय्यप्पन !
भस्मासुर! तेरे रूपाकर्षण में चकनाचूर!
शक्ति देवी !विद्या देवी !धन देवी !
समन्वयक!आदी काल में जग संचालक ! संयोजक !
हमने माना नारी को ही अतुलनीय अपूर्व अद्भुत शक्ति !
बिना त्रिदेवी के न संसार चलती।
क्रिया शक्ति !इच्छा -शक्ति ! ज्ञान शक्ति!
शक्तियों की आधार स्तम्भ !
पर तुझको भोग की वस्तु मान ,
बड़े वीर प्रतापी ,ज्ञान के अधिपति ,
देवेंद्र शाप के पात्र बने !
कई साम्राज्य मिटे !
अपूर्व अद्भुत ताजमहल भी कलंकित !
मन मदपुष्प बाण , रति का रूप !
संसार की चलती फिरती माया रूप!
माया महा ठगनी ! विद्या लक्ष्मी !
धन लक्ष्मी ,वीर लक्ष्मी ,धान्य लक्ष्मी !
संतान लक्ष्मी ,विजय लक्ष्मी लक्ष्मी अष्ट लक्ष्मी !
इतनी प्रशंसा ! पर अग जग में
नारी दमन ! नारी का बलात्कार !
कारण !बहनों ! आप अपनी आत्मा शक्ति का
न पहचानना ,त्याग ममता ,कोमलता मान
नर का अत्याचार मानती जीना!
जागो ! अपनी शक्ति को पहचानो!

ग जग है तेरे गुलाम/दास।

Saturday, March 2, 2019

प्रतिनिधि की प्रार्थना (मु)


प्रतिनिधि  की प्रार्थना (मु)
नमस्कार  दोस्तों!
 कर रहा हूँ  प्रार्थना,
देश हित समाज हित
कच्ची सडक  के ठेकेदार,
अधिकारी, सांसद, विधायक और
जिम्मेदारी, सकते उन्हींको  नोट लेकर
ओट देनेवाला मत दाता  सब के मन
सोचे करोडों की अपराधिन
जयललिता मुख्यमंत्री  क्या ले गई?
नगरवाला - इंदिरा, संजीव राजीव क्या ले गये?
आदी कवि वाल्मीकि  क्या ले गये.
कफन के कपडे सिवा साथ हाथ कुछ
आता नहीं, सोचा समझ भ्रष्टाचार  रहित
देश हित करने के प्रतिनिधि  मिलें

Wednesday, February 27, 2019

जवानों को सलीम (मु )


जवानों को सलीम (मु )
नमस्कार.
चित्र  शत्रुओं  को भयभीत कर रहा है,
भारतीय  शहीद जवानों  की आत्माएँ
पुनः भारतीय जननी की कोख में
जन्म लेने तड़प रही हैं, वीर जवानों
कायर  आतंकियों  के बद सलूक का
बदला यों किया, पाकिस्तान  डरपोक
अपने आतंकियों की मृत्यु
संख्या छिपा रहा है,
लडाकुविमान के चालकों  की चतुराई
चालाकी पैनी निशानी की प्रशंसा
अगजग में  हो रही है,
न कायरों  के आदमियों के समर्थन
 यह तो मोदीजी का चमत्कार.
वीरंगना  हमारी रक्षा मंत्रानी,
वेलुनाच्चियार, झाँसी रानी,  तिल्लैयाडी वल्लियम्मै की
वंशगत  वीरता की याद दिला रही  है.
माननीय मोदीजी अगजग अपने वश में कर लिया है.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

Monday, February 11, 2019

मिस्रा( मु )

मिसरा नहीं जानता,

मित्रों! मिसरा सोचते तो
चिंतन  में रुकावटें/बाधाएँ/अडंगें.
नमस्कार  मित्रों! माफ करना,
जो भाषा  पीढी रही  नदारद आज.
जो पीढी चोडी, जन साधारण  की भाषा  सरल बनी तो विकास.
घंटों बैठकर आटा पीसना
 एक ही काम.
आजकल यंत्रीकरण  करण,
स्विच दबाव, एक ही समय.
कपडे, बर्तन, आटा, बस,
झाडू रोबोट भी आ गये.
पर बीमारियां, आलसी, न जाने
उठना बैठना भी असंभव.
वैसा ही मानसिक दुःचिंता,, दुर्बलता
प्यार की कविताएँ,मोह की कविताएँ.
अमरेंद्रसिंह जी! अमर कलिकाएँ,
हसरतों,साधुओं की देन.
याद रखना, गले लगाना.
आछे दिन पाछे गए
अब हरि से होत किया.
राम नाम मणि दीप धरु
काम क्रोध  मद लोभ
संत वचनों को गले लगाना.
स्वपति  स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

Sunday, February 10, 2019

प्रेम दिवस का खंडन. ( मु )

कर रहा हूँ
प्रेमी दिवस की खंडण.

प्रेमिका न मिली,
हमारी जवानी में लड़कियाँ परदे के पीछे!
आजकल का गाना चोली के पीछे भीतर क्या है

अभिभाकों  द्वारा दंडनीय, अक्षम्य अपराध.
 पर गाये कार्तिकेय  के वल्ली प्रेम गाना.
गणपति की प्रेम सफलता की मदद.
पर जवानों को लडका देखने की अवसर कम.
न कालेज, न जटी काम, समाज विरोध.
न निरोध, न मिलकर रहना बिछुड जाने की बात.
न  सह शिक्षा, न सिटी बस्डै्ंड.
बूढी नानी, बूढी दादी के घेरे में घूंघट ओढकर आती.
न आजकल की तरह मिति मुनि ड्रस.
न अर्द्ध नग्न उभरी बिरा, यह न लगता बुरा.
हेलन को देखते, नायिका तो भद्र स्त्री, पर
आजकल की नायिका ओढनी फेंक नाचने लगती.
ईर्ष्या  वश हम करते प्रेमी दिवस की उल्लंघन.
पर हमारे जमाने में न तलाक शब्द,
न अदालत मुकद्दमा.
स्त्री केवल बेगार, कठपुतली.
उस जमाने की लड़कियों काशाप
वर के लिए  वधु मिलना  अति दुर्लभ.
प्रौढ कन्या नहीं अब प्रौढ अविवाहित कन्य.
प्रिय प्रिया होता तो कन्या कन्य  सहू.
हम करते प्रेम दिवस की खंडन समाज कल्याण  को लिए.
मन में तो ईर्ष्या  ज़रूर.
मुरादाबाद प्रेम दिवस.

माया से बचो करो प्रदूषण को दूर.( मु )

करो प्रदूषण को दूर.

आज सुबह  का सुप्रणाम .

भगवान की यादें,
भक्त के मन में.
भोग के  विचार.
 भोगी के मन में.
इच्छाओं की माया,
ईश्वर को न बुलायी.
ईश्वर की माया,
इच्छाओं को भगायी.
सांसारिक मायाओं से बचो.
वैज्ञानिक  युग,
भोगैश्वर्य साधन अनेक.
दान की महिमा हटाकर
धान उत्पादन  का महत्व हटाकर
झील, नदी, तालाब की लंबाई, चौडाई ढककर,
आगे की पीढी के सूखापन पर ध्यान न देकर,
तत्काल के सुख के अपूर्व मान,
अगजग को  अकाल की ओर
ले जा रहा है, जागना है,
भारतवासियों! जगाना है देशवासियों को.
सनातन सदा सादगी की ओर करता संकेत.
प्रकृति कोप सुनाना, भूकंप, अतिवर्षा,
सतर्क करता कभी कभी. पर
आधुनिकता आगे कभी कभी नहीं
अक्सर तंग करेगा जान.
जानकर भी तंग करता तो
जगदीश  न करेगा माफ.
माता -पिता भी अनजान हस्ती का माफ कर देते.
न करते जानी हस्ती को.
स्नातक स्नातकोत्तर  बढते जग में
हो रहा  है अनुशासन  की कमी.
सोचो समझे, संयम जानो, जितेंद्रिय  बनो
करो प्रदूषण को दूर.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

Friday, February 8, 2019

हिंदी

1900 ..118वर्ष  की हिंदी दुल्हन अति सुंदरी, स्वयं वर में 100करोड भारतीय
 अहिंदी प्रांत के लोग
अपने आप
अपने ढंग से
 कन्या को सजाकर
अति आकर्षित  बना रहे हैं,
प्रवासी भारतीय सम्मेलन
हिंदी दुल्हन  महँगी,
अमीरी साधारण लोग दूर से
अपने पाकेट मणि खर्च करने वाले आगे.
बाकी प्रेमचंद. आश्रयदाता के बगैर
विकसित होना हिंदी की विशिष्टता