Sunday, May 19, 2019

भाग्यवान या पैसावान

भाग्यवान हूँ  मैं,
अत: अब प्रणाम।
भाग्य या कोशिश।
कोशिश में सफलता
भाग्यवानों को  ही मिलता है।
चुनाव लड़ते करते खर्च करोडों के रुपए।
पर ज्योतिष जन्म कुंडली पहले ही
बता देती  कौन  जीतेगा या कौन हारेगा।
मेकनिक अभियंता बनता साफ्टवेअर अभियंता।
अनपढ़ आश्रम खोल बनता लाखों करोडों के अधिपति ,कितना ज्ञान ।
कितनी शान्ति,मन्त्रोच्चारण  व्याख्या।
हजारों की भीड शान्त रूप बन सन्नाटा।
ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए
 भाग्यवान बनने ।
अमीर के यहाँ जन्म,
जन्म  से रोग,
बिना संगीत सीखे मधुर स्वर,
बिना सीखे चित्र खींचना,
रोज प्रसिद्ध संगीत विद्वान के यहाँ संगीत
प्रसिध्द  चित्रज्ञ के यहाँ चित्र न खींचने वाले से बढकर
एक लव्य जैसा निपुण।
भाग्य भला या बुद्धि भला ।
गरीब स्वस्थ,अमीर अस्वस्थ ।
सोचो भला भाग्य या बुद्धि।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

Friday, May 17, 2019

पशुपालन

नमस्ते।
पशुपालन में आय,
प शुपालन में सन्तोष।
पशुपालन में दूध,
पशुपालन में खाद।
भैंस  गाली की बात।
भैंस अडंगा ,
भैस पर वर्षा जैसे ,न हिल्ता  डुलता ।
भैस पालन में गोबर,
गोबर वायू ईंधन।
पर औद्योगिकरन
बिगाड़ दिया प्राकृतिक संतुलन।
भैंस  पालन ग्रामीण अनपढ़।
पर उसकी दूरदर्शिता न कर  सकता
स्नातक स्नातकोत्तर ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

युवको! भारतीय जागो

नमस्कार।
न कोई सोचा
उर्मिला की बात ।
न सोचा  पौराणिक बातें ।
एक सर्श्व त्यागी,एक भोगी,
एक अनुरागी,एक विरागी।
शहीद अपने सर्वश्व ,
तन मन धन तजकर
दिलाई आजादी।
आज कहते हैं
पूरी पूंजी भारत में
31-40अमीरों के हाथ।
आजादी के वंशज अति दुखी,
कई तो भूखों से तडप रहे,
मोहनदास गाँधी वंशज का पता नहीं।
पर आज लोकतंत्र परम्परागत हो गई ।
निस्वार्थ शहीदों को मेरा नमस्कार।
हो गये  भ्रस्टाचार सर्व मान्य।
युवकों ! जागो,जगाओ,
फिर न हो
भारत परतंत्र ।
अंकुर प्रान्तीय मोह फूट रहा है,
स्वार्थ्मय राजनैतिक दल
प्रान्तीय,मजहबी ,,जातीय,सम्प्रदाय मोह
बढ़ाकर मनुष्यता बिगाड़ रहे है,
एकता तोड रहे है।
जानी ,पहचानो,समझो,समझाओ,
फूट के अंकुर को अभी उखाडकर  फेंको ।

स्वरचित स्वचिंतक  अनंतकृष्णन जी।

Tuesday, May 14, 2019

संस्कार

परिषद को नमस्कार।
 संस्कार।
 सूक्ष्म सांसारिक नीति,
आजकल सूक्ष्मता भूल बाह्याडंबर को
प्रधानता दी जा रही है।
इतनी वैज्ञानिक प्रगति,
इनके बीच अन्धविश्वास,
आध्यात्मिकता ठग,
राजनैतिक ठग
रिश्वतखोर,
सब के सब भक्तिसागर में लगकर
अपनी अमीरी दिखा रहे हैं या भक्ति पता नहीं।कई लौकिक अलौकिक बातों को
सोचता हुआ जा रहा था।
माँ -बाप को जितना आदर किया,
जितनी सेवा की,पता नहीं, क्या उनकी आत्माएँ  आशीष देंगी।
मैने उनको दूर ही रखा।
पैसे दिये।क्या पैसे से वे खुश रहे होंगे ।
पता,नहीं आज श्राद्ध कर्म करना है।
जिन्दा माँ बाप से न पूछा,क्या आप पेट भर खा चुके हैं ? आप को और कुछ चाहिए। न  पूछा ।उनका प्रलाप न सुना।
उनकी माँगें  जिन्दा रहते  पूरी  नहीं की।
पस बैठकर बोला तक नहीं। माँ  कुछ  कहने बुलायेगी।माँ,तुम को   क्या  चाहिए,दवा है,फल है,बिस्कुट है
राम राम कहो  ,मैं क्या करूँ,
मुझे ज्यादा  काम है ।
क्या करूँ? काम क्या,मोबाइल आन  कर बैठ गया।
आज श्राद्धकर्म ।
पुरोहित की बडी सूची।
माँ को सन्तोष क्या नही,
पुरोहित को खुश करना है।
तभी दिवंगत माता पिता,
जिनकी माँगे  जिन्दा  रहते पूरी नहीं की,
आज पुरोहित की माँगे  पूरी कर
कौओं को पिण्ड दान कर
आत्माएँ जो भटकती शान्त कर दिया।
पुरोहित की आशीष मिली।न जाने माता पिता की आत्मा खुशी से आशीर्वाद दे रही है या नहीं।लौकिक संस्कार तो पूरा हो गया।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

विषय युक्त विषय मुक्त

परिषद को प्रणाम।
जिन्दगी  विषय मुक्त या विषय युक्त।
सार्थक या  निरर्थक। पता नही ।
नाम मिले  तो सार्थक या
 दाम मिले तो सार्थक।
काम मिलें तो सार्थक ।
काम नियन्त्रण में सार्थंक।
कामांध को निरर्थक।
मिली शिक्षा तुलसी के जीवन से।
अहंकार निरर्थक।
कंजूसी निरर्थक ।
भ्रष्टाचारी निरर्थक।
रिश्वतखोरी  निरर्थक।
यथार्थता मृत्यू।
जनकल्याण  नाम से लूट।
ईश्वर के नाम लेकर धोखा।
धन प्रधान समाज,कफन ही साथ।
यही विषय युक्त जान।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

परिवर्तन

परिवर्तन  भगवान का अटल नियम।
मनुष्य की उम्र जीने की आयु बढेगी।
यह भी ईश्वर लीला।
मनुष्य जीवन आदर्श से हटकर
पैसे  और तत्काल आनंद के लिए
सत्य से हटता  असंतुष्ट  जीवन अशांति,मनमाना आनंद ऐसे ही बढकर कलियुग में अप्रसन्न अकेलेपन जीवन में प्रसन्नता का नाटक खेलगा।
अकेले जीवन में शान्ति नीन्द की गोली,नशीली पदार्थ,व्यभिचारी,पति - पत्नी में तलाक ,परिवर्तन,पुत्र अनाथ।
अमेरिका जैसे असली पिता,माता का पता लगाने जीन् टेस्ट, संतान हीं करोड़पति,अव्वैयार ने कहा-- मेहनत कर बचाए जमाये धन और किसी को भोगने के लिए।
हर परिवार के अध्ययन से पता   चलता है कि  आर्थिक,वैज्ञानिक सुख   सुविधाओं की कमी नहीं।पर मानसिक शान्ति की कमी हैं, जिसका अनुभव मेरी अमेरिका यात्रा में भी मैने किया।
करोड़पति उसकी पत्नी दूसरे से शादी कर ली,वह भी दूसरे  की पत्नी से।
पहले पति का पुत्र,नये पति का पुत्र,पहली पत्नी का पुत्र,दूसरी पत्नी का पुत्र एक दूसरे से मिलने आते ।
मिलान में जो करुणा रस है,वह प्रत्यक्ष
देखने से ही पता चलेगा।जीना,अर्थ जोड़ना सार्थक जीवन  नहीं।
इसका  लाभ  नकली  सन्यासी, शराब खाना,वैद्य उठा रहे है और वैज्ञानिक
कारखाने के मालीक।मालिक ।
अर्थ हीं दुख,अर्थ सहित दुख
गरीबी दुख, अमीरी दुख।
यही नश्वर संसार का सार बन जाता  है।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

नज्दीकियाँ दूर दुश्मन सा।

परिषद के सदस्यों, संयोजकों ,समन्वयकों,
और  पाठक  चाहकों
सब को मेरा विनम्र  नमस्कार.
 नजदीकियाँ  जैसे क्यों?
अति निकटता महत्व न देती.
एक चमार का बेटा जिलादेश बना तो
दूर के लोग करते प्रशंसा.
पास के लोग यही कहते वह तो
भाग्यवान, न कहते बुद्धिमान, होशियार.
परिश्रमी, मेहनत की कमाई,
बेटे को पढाया सिखाया.
अति निकट अरुचि,
चंदन वन का भीलनी
चंदन को चूल्हे  का ईंदन बनाती.
ज्योतिष  खुद अपना
भविष्य  न जानता.
 घर की घडी बूटी का उपयोग  नहीं  करता.
अडोस पडोस के लोग,
विदेशी तक उपयोग  करते.
हमारी भाषा, हमारे  र्रिषि  मुनियों 
की शिक्षा  उपदेश विदेशी के
 कहने पर मानते हम.
मेक्समुल्लर तो  संस्कृत सीखी.
हमारा चिकित्सा  की दवाएँ
वहाँ बनाई.
योगा का  महत्व  वहाँ.
हर अंग की रक्षा  के श्लोक.
वे जट्टू टट्टी तक शिव चित्र
उनकी दिल्लगी हम
पचास हजार की काली माँ ,
अति सुंदर गणेश,
विसर्जन  के नाम छिन्न भिन्न कर
अपमान करते,
नजदीकियाँ  दूर करते हम.
इच्छा  शक्ति ज्ञान  शक्ति क्रिया शक्ति हमारी देँन।
कहते हम विदेशी देन ।
नज्दीकियाँ  बन जाती दुश्मन ।
हमारे ज्ञान को विदेशी भाषा में कहें तो
कहते उनकी बात।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन.