Thursday, June 20, 2019

सोना

प्रणाम।
प्रिय मित्रों।
 सोना
दिन में  सोना  बुरा है।
रात में  काम है तो
दिन में  सोना पडेगा  ही।
सोना  महँगा है।
सोने पर सोना जो जोडा
चोरी  हो जाएँ तो
सोना  मीठी नींद
सोना न देता।
सोना महँगा है,
न नींद आती,
तो बीमारी  है।
सोना न आना रोग है।
बेटी  का नाम  सोना,
सयानी हो जाने यर
शादी  की चिंता,
सोना कालेज गयी,
समय पर वापस न आयी तो सोने की  चिंता  नहीं
बेटी  सोना की चिंता।
बैंक लाकर में  सोना,
बैंक व्यवस्थापक  जिम्मेदारी  नहीं,
यह खबर पढी तो
सोने की चिंता,
सोना हराम।
सोना जोडो,
सुरक्षा  की चिंता।
भगवान  की मूर्ति
सोने की ,पहरेदार के
प्राण खतरे में।
सोना जोड कई पागल।
सोना खरीदने  में  पागल।
सोने की बिक्री  में,
भले ही सरकार  लगे
दाम बराबर नहीं।
डाक घर का सोना ,
बैंक का सोना,
दाम बैंक बैंक में  भिन्न।
दूकान दूकान में  भिन्न।
सरकार भी बराबर  दाम निर्णय नहीं  करती।
सोना धोखा खाना,
भले ही  स्वर्ण हो या
भले ही नींद  हो या
सदा के लिए  सोना हो
मन में  बेचैनी  ही बैचैनी।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

दिल्लगी दिल लगी

संगम में  संगठित होकर कई
दिन हो गये।
दिल की बात
 दिल में
रहना  भी एक तनाव ।
एक रोग, एक चिंता।
विचित्र   मनोभाव,
शांति  के विरुद्ध  मन।
एक भरोसा  राम  बल।
स्वाति चातक बातें।
मानव चंचल  मन।
विश्वास  दृढ हो तो
विश्वनाथ  ,जगन्नाथ  की
कृपा  अनुकूल।

प्यार।

यारों  प्रणाम।
विचार  हैं  अनेक।
आकार हैं  अनेक।

ओंकार, हूँ कार,अहंकार।
यारों।  लिंगाकार शिव।
अनुयायियों  के आचार  अनेक।
व्यवहार  अनेक।
योगाभ्यास  भी पतंजलि योग विज्ञान,
दत्त क्रिया, सहज क्रिया।
 क्रांतिकारी  आकार।

न समझ पाया विश्वाकार,
गोलाकार ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Wednesday, June 19, 2019

चाँदनी रात में।

चाँदनी रात है,
प्रेयसी  साथ  है।
वह तो मेरे नहीं,
मेरे दोस्त  की।
मैं  तो प्रेयसी की
 खोज  में।
चाँदनी  फीकी पडी।
  अब चाँदनी  रात  में,
ज्योतिष  की सलाह मान,
गिरी प्रदक्षा करने निकला।
मार्ग  पर दोस्त  मिला।
न प्रेयसी साथ थी।
   कल्पना  आगे न बढी।
 थोडी दूर पर दोस्त  की प्रेयसी,साथ एक पुरुष,
उसके माता-पिता।
 चाँदनी  रात मेें  भी अंधेरी   नज़र पडी।

Tuesday, June 18, 2019

सूखापन

सब को नमस्कार।
 चित्र लेख: सूखी  भूमि।
सुखी स्मृद्ध

 हरी भरी भूमि आज सूखी शून्य ।
कारण  वजह  रीसन।
भाषा बदली।
व्रत भजन त्याग  की तपोभूमि  आज औद्योगीकरण  के नाम लेकर,
विदेशी  पूँजी, विदेशी  पेय,विदेशी आचार
इतना विदेशी मोह,
खाना सीरियल,टमाटर  केच्चप।
दस उंगलियों  के संगणक काम।
दो उंगलियों  से चम्मच खाना, गणित  का हल ,
सुबह  उठकर हल लेकर  न जोता,
झील बना कारखाना,
खेत बने बस्ती।
नतीजा  आज चित्र  लेखन   सूखी भूमि।
दोष  किसका?
आधुनिक  सुविधा  चाहनेवालों जनता का?
चुनाव  खर्च  के लिए  पैसे चाहनेवाले  राजनैतिक-सामाजिक दल,
रिश्वत  के बल जीने वाले  अधिकारी  गण।
 शासकों   के पक्षवादी।
दलों  के समर्थक।
विपक्षी  दल।

स्वार्थ  लोग।

जो भी हो नतीजा
अकाल। पानी  की कमी।
सूखापन। चिंतन के लिए
यह नादानी या खानदानी या ईश्वरीय देन।
पता नहीं।  जागना है।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

Monday, June 17, 2019

धुआँ

प्रणाम।
चाहक,प्रेरक संचालक, समन्वयक, संयोजक, लायक,नायक, सब के प्रति   कृतज्ञ  हूँ।

शीर्षक  :ये धुआँ  कहाँ से उठता है। 
 हवन होम से ,
जग कल्याण के लिए।
धूम्रपान  से जग
 अहित के लिए।
कारखाने  से सुख भरे
आलसी जीवन
 बिताने के लिए।
वाहन से प्रदूषण  के लिए।
ज्ञान चक्षु  प्राप्त  मानव ही अस्थाई जग
 जीवन के लिए,
प्राकृतिक  संतुलन  खो बैठकर असाध्य  रोगों  की चिन्गारी की धुआँ उठाता रहता है।
आतंकवादी धुआँ, स्वार्थी  धुआँ, लालची धुआँ,
सब उठाता ,
अशांति  की धुएँ में
साँस घुटकर वेदना की धुएँ  पुंज  में असह्य 
पीडों की धएँ में,
अज्ञात  धुएँ में  अस्पष्ट
जीवन बिताता रहता है।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Thursday, June 13, 2019

सोना

प्रणाम दोस्तों। 
स्वर्ण, सोना,कांचन, 
सुख प्रद या दुख प्रद,
जमा करने में मजा।
पहनकर चलने फिरने में 
कदम कदम पर
आनंद या आतंक ।
भगवान के गले में
पूर्वजों का असली,
अब असली या नकली,
मंदिर के तहखाने में
करोड़ों किलो सोना
कितना गायब।
पता नहीं।
मंत्री ने 100 किलो
सोने का मुकुट दिया।
उसमें श्वेत कितना,
काला कितना ,
सूंडी में मिले करोडों में
रिश्वत के कितने,न्याय के कितने,लूट के कितने।
स्वर्ण, कांचन, सोना
कितने दुःख प्रदान,
सुख प्रद,न्याय अन्याय
पता नहीं, चाहें बढती, बढाती,घटाती नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक  एस। अनंत कृष्णन