Wednesday, January 8, 2020

नया साल

नमस्कार वणक्कम।
नया है नया साल है।
ताज़ा  है  नया साल  है।
नतीजा  ईश्वर  प्रेम।
नारा ईश्वर प्रेम।
उम्र बीत गयी।
तडप ठंड।
जवानी की अच्छाइयों को
जवानी  की भूलों  को
कितना पाया कितना खोया।
कितना गँवाया ।कितना कमाया।
कितनों का प्यार मिला।
ये विचार  अब नहीं।
सो गया वह गया।
बच्चे बडे हो गये।
बच्चे पिता बन गये।
मैं  बन गया दादा।
आधुनिक समाज में
संगणक विज्ञान में
मोबाइल गेम
साहित्य में
शादी में
हर बात ताजी नयी।
मैं  नादान बूढ़ा मेरी जिज्ञासा
मेरे संदेह निवारण
सब अनावश्यक।
मेरी सलाह  मेरे विचार
मेराजीवित रहना किसी को पसंद नहीं।
भगवान  भी अति क्रूर
जो जीना चाहता है,
शीघ्र अपना बना लेता है।
जो मरना चाहता है
उसका जीवन अति लंबा।
अब केवल ईश्वर के तप।
खाना-पीना सोना।
बुढापा  में  प्रिय  बनना है तो
मौन एक मात्र मार्ग।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम

Tuesday, January 7, 2020

சுட்டபதிவு

பதிவுகள் இரண்டு வகை
சுட்ட பதிவு. சுடாத பதிவு.
அதில் சுடுவதற்கு  முன்
மாவுகள்பலவகை.
அதை அஸ்திவாரம் என்றால்
சுட்ட  இட்லி தோசை மெதுவடை மசால்வடை ஆமைவடை தவளை வடை.
மாவு மறைந்தது.
காரணம்  பெயர் பெற
எண்ணெயில் ஆவியில்ஆஹா!
குளிப்பனியாரம்/குழிப்பனியாரம்.
உளுந்து வடை.வெறி தயிர் வடை.
மாவு மாறிவிட்டது.

Friday, January 3, 2020

भेद रहित संसार कैसे ?

सबको नमस्कार।
वणक्कम।
  भेद रहित संसार कहाँ?
   समान अधिकार कैसे?
   एक लाख बराबर बाँटो।
  कितने सुखी ?कितने दुखी?
  कितने एक लाख  को दस लाख  बनाया?
 कितने खाली हाथ?
 यह बुद्धि  यह भाग्य  कैसे?
कुछ लोग व्यापार करते हैं  तो
कुछ लोग ग्रंथ संग्रह।
कुछ लोग  पियक्कड़ बनते।
कुछ लोग  इलाज में खर्च।
उच्च  शिक्षा केलिए
शादी केलिए।
दान धर्म में।
रकम बराबर।
खर्च  अनेक।
समान अधिकार  कैसे  ?
भिन्न विचार भिन्न  रुचि।
ईश्वर के संसार में।
भिन्नता रहित एक विचार।
दिव्य पुरुष के हाथ।
कुरान बाइबिल गीता वेद।
उसके अनुयायी  भी भिन्न विचार के।
द्वैत अद्वैत आकार निराकार
 शैव वैष्णव ग्राम देवता।
कैथोलिक प्रोटेस्टेंट
सिया धब्बे चुन्नी।
हीनयान महायान।
दिगंबर श्वेतांबर।
कितने मार्ग  कितने संप्रदाय।
समानताएँ  किस में।
सत्य में  पसंद  सत्य, कटु सत्य।
गुप्त सत्य।प्रकट करने योग्य सत्य।
न जाने सत्य से मुक्ति नहीं
दंड भी। जीना दुश्वार।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।

खट्टा-मीठा

नमस्कार वणक्कम।
खटटा-मीठा ।
मीठा कडुवा।
षडरस व्यंजन।
शरीर स्वस्थ।
भगवान की सृष्टि में
कोयल काले कौआ सेती।
सातरंग  मिलकर इन्द्रधनुष।
अतिसुंदर मिलन - मिलान।
खुशबू मुख में।
बदबू बाहर।
भिन्न स्वाद ।
कडुक  औषधी।
कटुक वचन ।
न तो न जीवन।
कायर न तो वीर नहीं।
तदे मेडे रास्ता ही जीवन।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम

Tuesday, December 31, 2019

अधूरी ख़्वाहिशें ज़िन्दगी की.

विषय.. अधूरी ख़्वाहिशें ज़िन्दगी की.
१-१-२०२०

सबको नमस्कार।
चाह गई चिंता मिटी ,कहा कबीर ने।
अरमान न तो आशा नहीं ,क्रिया नहीं।
ख्वाहिशें ख़्वाब को पूरी करती।
अभिलाषा न तो ज्ञान नहीं।
ज्ञान नहीं तो क्रिया नहीं।
इच्छा शक्ति ज्ञान शक्ति क्रिया शक्ति
तीनों का महत्त्व आध्यात्मिक ध्यान।
हमारे साधू संतों ने मूर्ति रखीं मंदिरों में.
ख्वाहिशें निराकार ख़्वाबों को साकार बनाती।
संयम रहित कामांधकार ख्वाहिश नहीं।
लड़कियों के पीछे जाना ,
कुत्ते कुतिया के पीछे जाना दोनों बराबर।
इंसान हो तो इंसानियत जितेंद्र की ख्वाहिशें चाहिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस.अनंतकृष्णन।

उसी को छोडकर सब कुछ दिखाई देता है

नमस्ते।
उसी को छोडकर
  सब कुछ दिखाई  देता  है ।क्यों?
माया महा ठगनी,
हठयोगी कबीर की वाणी।
नाम जपता , पर मन शैतान  की ओर।
लक्सिमी चंचला की ओर।
चाँदी की चिडिया का फडफडाना।
शैतानों का बाह्याडम्बर।
एक लाख  गणेश  की मूर्ति
विसर्जन  के नाम अपमान।
 उसी को (पर ब्राह्म) को छोड़
सब कुछ दिखाई  देता है।
हम अपने अच्छे  सांसद विधायक  को भी चाँदी की चिडिया के फड़फड़ाता
चुनते नहीं  हम अपने अधिकार
 खो बैठते हैं।
 ईश्वरानुग्रह का रास्ता भूल जाते हैं।
उसी को छोडकर
 सब कुछ दिखाई देता है ।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम

Friday, December 27, 2019

ईश्वरीय शक्ति

आदी काल से आज तक ,
फिर भी न्यायप्रिय लोग ,
तटस्थ लोग जीते हैं।
जग में तो ईश्वरीय शक्ति साथ देती है.
 गरीबों को भी जीने का रास्ता।
 कूड़े उठानेनेवाले ,
भार उठानेवाले ,
गड्ढा खोदनेवाले ,
खेती करनेवाले ,
न हो तो अतः ईश्वरीय सृष्टि में
धन ही प्रधान नहीं ,
अंत में शव ही नाम।