Tuesday, December 31, 2019

उसी को छोडकर सब कुछ दिखाई देता है

नमस्ते।
उसी को छोडकर
  सब कुछ दिखाई  देता  है ।क्यों?
माया महा ठगनी,
हठयोगी कबीर की वाणी।
नाम जपता , पर मन शैतान  की ओर।
लक्सिमी चंचला की ओर।
चाँदी की चिडिया का फडफडाना।
शैतानों का बाह्याडम्बर।
एक लाख  गणेश  की मूर्ति
विसर्जन  के नाम अपमान।
 उसी को (पर ब्राह्म) को छोड़
सब कुछ दिखाई  देता है।
हम अपने अच्छे  सांसद विधायक  को भी चाँदी की चिडिया के फड़फड़ाता
चुनते नहीं  हम अपने अधिकार
 खो बैठते हैं।
 ईश्वरानुग्रह का रास्ता भूल जाते हैं।
उसी को छोडकर
 सब कुछ दिखाई देता है ।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम

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