संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी
हिन्दी प्रचारक यस-अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक : आत्मनिर्भर दि:191219
कलियुग में एक बात
अच्छी लगती।
काश!आत्मावलंबन।
राजा के तीन बेटे।
बडा बेटा राजा बनने का हक।
बाकी दो की जिम्मेदारी कम।
सम्मिलित परिवार बडा बेटा
जिम्मेदारी,बाकी का दायित्व कम।
पितृतर्पण भी बडे बेटे कर्ता।
बाकी निश्चिंतव गैर जिम्मेदार।
कलियुग में परिवार के सब के सब
आत्मनिर्भर/आतामावलंबित।
परिवार अलग अलग।
नौकरी दूर दूर।
एक ही संतान।
वह भी विदेश में ।
आत्मनिर्भरता अनिवार्य।
तीन साल का बच्चा।
माँ-बाप दोनों करते नौकरी।
वह बच्चा खुद खाता।
प्यार से घंटों खिलाने समय नहीं।
आत्मनिर्भर बनाने में
कलियुग का महत्व अधिक।
राजनीति में माँ,बाप ,बेटे ,बेटी
अलग अलग चुनाव लडना।
आत्मसामर्थ्य आत्मबल से
आत्मनिर्भर होकर जीतना है।
आत्मानंद आत्मसुख आत्मसंतोष
आत्म सम्मान स्वाभिमान जिंदगी
जीने आत्म निर्भरता अतिआवश्यक।
आयकर बचाना है तो
एक ही व्यापार चार बेटों के लिए
अलग अलग दूकान।
आत्मनिर्भरता आय कर बचा लेता।
आत्मनिर्भरता अति लाभ प्रद।
पिता कांग्रेस माता भाजपा
पोता शिव सेना मामा कम्युनिस्ट
चाचा एक छोटा -जाति संप्रदाय
प्रांतीय दल।
आत्मनिर्भरता से जीने की कला।
एक ही परिवार भिन्न दल।
आत्मनिर्भरता में सत्ता
अपनों के हाथ में ।
यहाँ शकुनि ,मंथरा आदि बेकार नहीं।
हर एक अपने अपने काम में व्यस्त।
नाते रिश्ते मित्रों के लिए
आत्मनिर्भर होकर जीने में
आत्मानंद वही परमानंद।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी
हिन्दी प्रचारक यस-अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक : आत्मनिर्भर दि:191219
कलियुग में एक बात
अच्छी लगती।
काश!आत्मावलंबन।
राजा के तीन बेटे।
बडा बेटा राजा बनने का हक।
बाकी दो की जिम्मेदारी कम।
सम्मिलित परिवार बडा बेटा
जिम्मेदारी,बाकी का दायित्व कम।
पितृतर्पण भी बडे बेटे कर्ता।
बाकी निश्चिंतव गैर जिम्मेदार।
कलियुग में परिवार के सब के सब
आत्मनिर्भर/आतामावलंबित।
परिवार अलग अलग।
नौकरी दूर दूर।
एक ही संतान।
वह भी विदेश में ।
आत्मनिर्भरता अनिवार्य।
तीन साल का बच्चा।
माँ-बाप दोनों करते नौकरी।
वह बच्चा खुद खाता।
प्यार से घंटों खिलाने समय नहीं।
आत्मनिर्भर बनाने में
कलियुग का महत्व अधिक।
राजनीति में माँ,बाप ,बेटे ,बेटी
अलग अलग चुनाव लडना।
आत्मसामर्थ्य आत्मबल से
आत्मनिर्भर होकर जीतना है।
आत्मानंद आत्मसुख आत्मसंतोष
आत्म सम्मान स्वाभिमान जिंदगी
जीने आत्म निर्भरता अतिआवश्यक।
आयकर बचाना है तो
एक ही व्यापार चार बेटों के लिए
अलग अलग दूकान।
आत्मनिर्भरता आय कर बचा लेता।
आत्मनिर्भरता अति लाभ प्रद।
पिता कांग्रेस माता भाजपा
पोता शिव सेना मामा कम्युनिस्ट
चाचा एक छोटा -जाति संप्रदाय
प्रांतीय दल।
आत्मनिर्भरता से जीने की कला।
एक ही परिवार भिन्न दल।
आत्मनिर्भरता में सत्ता
अपनों के हाथ में ।
यहाँ शकुनि ,मंथरा आदि बेकार नहीं।
हर एक अपने अपने काम में व्यस्त।
नाते रिश्ते मित्रों के लिए
आत्मनिर्भर होकर जीने में
आत्मानंद वही परमानंद।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
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