फूल
अनंतकृष्णन का
विनम्र नमस्कार।
वणक्कम।
हे ईश्वर।
तेरी रचनाएँ
अति अद्भुत।
पर सब के सब
अस्थिर।
अस्थायी।
फूल रंगबिरंगे।
नारी रूप के फूल।
योनि रूप के फूल।
पंक जल में खिले पंकज।
हर फूल के रूप अलग।
सुगंध अलग।
अति अल्प आयु ।
कली के रूप में
चमेली तोडी जाती।
पारीजात बिना
तोडे झर जाते।
गुलाब अति सुन्दर
अनेक रंग।
गुलाबी रंग के फूल
सुगंधित।
अल्प आयु के फूल।
खिलते हैं झरते हैं।
मुरझाते हैं।
ईश्वर का सजाना।
सुहाग रात कमरा
सजाना।
शव सजाना।
एक भक्ति।
दूसरा आनंद।
तीसरा शोक।
भक्ति, सृजन, मुक्ति ।
तेरे उपयोग प्रेम में।
खिले:
महके ,
चल बसे।
मनुष्य जीवन।
नश्वर जगत
दार्शनिक
तत्व का प्रतीक
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
अनंतकृष्णन का
विनम्र नमस्कार।
वणक्कम।
हे ईश्वर।
तेरी रचनाएँ
अति अद्भुत।
पर सब के सब
अस्थिर।
अस्थायी।
फूल रंगबिरंगे।
नारी रूप के फूल।
योनि रूप के फूल।
पंक जल में खिले पंकज।
हर फूल के रूप अलग।
सुगंध अलग।
अति अल्प आयु ।
कली के रूप में
चमेली तोडी जाती।
पारीजात बिना
तोडे झर जाते।
गुलाब अति सुन्दर
अनेक रंग।
गुलाबी रंग के फूल
सुगंधित।
अल्प आयु के फूल।
खिलते हैं झरते हैं।
मुरझाते हैं।
ईश्वर का सजाना।
सुहाग रात कमरा
सजाना।
शव सजाना।
एक भक्ति।
दूसरा आनंद।
तीसरा शोक।
भक्ति, सृजन, मुक्ति ।
तेरे उपयोग प्रेम में।
खिले:
महके ,
चल बसे।
मनुष्य जीवन।
नश्वर जगत
दार्शनिक
तत्व का प्रतीक
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन
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