नमस्ते।
संयोग वियोग।
कल्पना करने समय कहाँ?
प्रेम प्रेमिका के मिलन कहाँ?
रीति काल के कवियों के समान
बेकार लोग कोई नहीं आजकल।
स्नातक शिक्षित समाज में
पति नैट ड्य्टी पत्नी डे ड्यूटी
दिन दिन संयोग वियोग ।
आधुनिक समाज में।
बात बात में गुस्सा।
रोज पति-पत्नी में मन मुटाव।
बिस्तर दक्षिण उत्तर ध्रुव।
दिमागी काम भारी मन।
संयोग वियोग दिन दिन।
दादी से पूछा आपका जमाना कैसा?
दादी ने कहा हम पढी लिखी नहीं।
दस साल की उम्र में शादी।
बडा सम्मिलित परिवार।
न ग्रैंडर।न वाशिंग मिशन न मिक्शी।
आजकल के समान अलग अलग
शयनाघर नहीं, थक कर रात
ग्यारह बारह बजे सोने जाते।
पति पत्नी बोलते नहीं।
पर चार घंटे की नींद।
हर साल एक बच्चा।
हम न जानते संयोग वियोग।
ये कल्पना राजकुमारी राजकुमार।
दरिद्र बेकार कवियों के काम।
युवकों को सोचने समय नहीं।
विदेश में नौकरी। नेट में मिलन।
संयोग वियोग के चिंतन का समय नहीं।
संयोग में बात बात की लडाई।
अलग परिवार हम दो ।तलाक की बातें।
संयोग वियोग की बातें पटकथा में।
बेकार लोगों की कल्पना।
घर का हर काम यंत्र करता।
यंत्र के कर्जा चुकाने पति पत्नी
यंत्रवत जीवन ।
बच्चे केलिए किराया माता।
शादी की देरी निस्संतान की चिंता।
संयोग वियोग के वर्णन करते
बेकार लोग।
यंत्र वत व्यस्त जीवन में
संयोग वियोग न जानते लोग।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
संयोग वियोग।
कल्पना करने समय कहाँ?
प्रेम प्रेमिका के मिलन कहाँ?
रीति काल के कवियों के समान
बेकार लोग कोई नहीं आजकल।
स्नातक शिक्षित समाज में
पति नैट ड्य्टी पत्नी डे ड्यूटी
दिन दिन संयोग वियोग ।
आधुनिक समाज में।
बात बात में गुस्सा।
रोज पति-पत्नी में मन मुटाव।
बिस्तर दक्षिण उत्तर ध्रुव।
दिमागी काम भारी मन।
संयोग वियोग दिन दिन।
दादी से पूछा आपका जमाना कैसा?
दादी ने कहा हम पढी लिखी नहीं।
दस साल की उम्र में शादी।
बडा सम्मिलित परिवार।
न ग्रैंडर।न वाशिंग मिशन न मिक्शी।
आजकल के समान अलग अलग
शयनाघर नहीं, थक कर रात
ग्यारह बारह बजे सोने जाते।
पति पत्नी बोलते नहीं।
पर चार घंटे की नींद।
हर साल एक बच्चा।
हम न जानते संयोग वियोग।
ये कल्पना राजकुमारी राजकुमार।
दरिद्र बेकार कवियों के काम।
युवकों को सोचने समय नहीं।
विदेश में नौकरी। नेट में मिलन।
संयोग वियोग के चिंतन का समय नहीं।
संयोग में बात बात की लडाई।
अलग परिवार हम दो ।तलाक की बातें।
संयोग वियोग की बातें पटकथा में।
बेकार लोगों की कल्पना।
घर का हर काम यंत्र करता।
यंत्र के कर्जा चुकाने पति पत्नी
यंत्रवत जीवन ।
बच्चे केलिए किराया माता।
शादी की देरी निस्संतान की चिंता।
संयोग वियोग के वर्णन करते
बेकार लोग।
यंत्र वत व्यस्त जीवन में
संयोग वियोग न जानते लोग।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।
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