Friday, December 6, 2019

जीवन


संचालक सदस्य संयोजक
चाहक रसिक पाठक
परिवार  दल जिंदगी।
जिंदा है जिंदगी।
जी गुरु ,मन।
वन में  जडी बूटियाँ।
झाडियाँ।
आदमखोर  जानवर।
विषैले साँप।
ऋषि,मुनि,जंगल वासी।
जी गुरु  +वन
जी मन।
मन में जी है तो
जीवन नंदन वन।
नंद गोपाल चरने आता।
जी में  आनंद।
जीवन में  परमानंद।
जिंदा  शरीर।
आएगी जिंदगी।
जी की कृपा।
बाग बन जाता  वन।
जड़ी-बूटियों का पता चल जाता।
शरीर स्वस्थ: जी स्वस्थ।
जी परमानंद। ब्रह्मानंद।
जीवन दीर्घावधि जिंदा रहता।
जिंदगी में  गीताचार्य बस जाता।
वन की हरियाली  ,
जी में सदा बहार।
जीवन में सदा बहार।
जीवनानंद जिंदगी।
आज परिवार दल के कारण।
जी रूपी मन में  वन में
रंग बिरंगी कविताएँ।
जी मन में  मंगल।
जंगल  की रक्षा।
जीवन में सदा बहार।
समय पर वर्षा।
 जी वन में  मन माना विचार।
जिंदा मुर्दा जिंदगी में
आशा संचार।
जी  वन में जिंदगी का बहार।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।


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