Saturday, May 20, 2023

दो हजार नोट, मैंने देखा ही नहीं,

 दो हजार नोट, मैंने देखा ही नहीं,

इसकी चिंता मुझे नहीं।

रोज कमाता पेट भरने 

कहीं पेड क् नीचे,

फुटपाथ  पर,

बस स्टेंट पर, 

प्लेट  फार्म पर है

मेरी जिंदगी।

 खाना सोना

 न बिजली बिल की चिंता,

 न कर की चिंता,

कर फैलाकर  पैसा पाता हूँ।

न को हजार की चिंता,

न आय कर की चिंता, 

 न कर्जा भरने की चिंता।

न महँगे कपडे की चिंता।

 यह साक्षात्कार  है

मंदिर के इर्द गिर्द के भिखारियों  से।

सिद्ध पुरुष,अघोरी जैसे लोगों से।

भ्रष्टाचार,  रिश्वतखोरी  अधिकारी की चिंता भी नहीं।

भ्रष्टाचार  भरे काले धन के बंटवारे 

 सांसद विधायक की चिंता नहीं।

 न मेरे पास आधार कार्ड, 

न रेशन कार्ड।

 न मत देने का पहचान पत्र।

 मेरी गिनती नहीं मतदाता की संख्या में।

फिर भी मैं जी रहा हूँ।

न चिंता दो हजार नोच की।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक स्वरचनाकार अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु  का हिंदी प्रेमी

Friday, May 19, 2023

तकदीर

 [19/05, 10:00 pm] sanantha 50: श्रमदान  में कोई महान नहीं,

ईश्वर के प्रवचन में ,

आशीषें देने में

आश्रम बनाने में,

सर्वेश्वर की कृपा,

सब कुछ नहीं,

सारी मनोकामनाएँ पूरी होंगी।

 ख्वाब सब के सब देखते नहीं,

ख्वाब  देखना, 

ख्वाब  का साकार होना,

खुदा की मेहरबानी जान।।

फकीरों का ख्वाब  अलग,

पियक्कड़ों  का ख्वाब अलग,

भिखारियों का ख्वाब अलग।

समीक्षकों का सपना अलग।

  अमीरों का स्वप्न अलग।

 कवियों का सपना अलग।

ज्ञानियों   की सोच अलग।

 अगजग के हर एक वतनवासियों का

 सपना अलग अलग।

रूप,रंग,भाषा,

 पैदावर भी अलग अलग।

 हाथी तक अलग अलग रूप जान ।।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई ।।

[19/05, 10:38 pm] sanantha 50: सजा को सजाना सीखो।

सदा को सजा देना,

 उस की परवाह नहीं  करना।

 खूनी भी तकदीर से मंत्री बन जाता।

 पूलान देवी भी सांसद बना।

 सांसद बनकर भी  मनमोहन की

छाया में नचाया।

प्रधान मंत्री बनकर भी

 मन की बात बोल न सका।

 पन्नीर सेलवम मुख्य मंत्री,

जयललिता  पीछे नचाती।

 खूनी बनवाया ताजमहल,

पर बना वह मुहब्बत महल।।

 अंतिम दिनों में झरोके से देखा 

ताजमहल को आँसू बहाते बहाते।

 चक्रवर्ती दशरथ ,

 आँखों मेंआँसू बहाते बहाते

 शोक सागर में डूब मरे।।

 सोचो समझो, निश्चिंत रहो।

कबहिं मचावत राम गोसाई।।

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक 

एस/अनंतकृष्णन, चेन्नई, 

तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक


Thursday, May 18, 2023

अभाव

 भारतीय संस्कृति  

त्याग का मार्ग.

भोग का मार्ग 

अंग्रेज आने के बाद.

जनता में जागरण.

 बाल्य विवाह का अंत.

सति प्रथा का अंत.

सर्व शिक्षाअभियान.

सब ठीक. 

पर

यह नयी पाश्चात्य पद्धति 

मानव को

जगाया है सही.

पर पारिवारिक  जीवन में बेचैनी.

अथक परिश्रम आर्थिक प्रगति.

जिंदगी में अर्थ प्रधान.

बाह्याडंबर प्रधान. 

सुविधाएँ अधिक

पर जीवन में  न आत्म संतोष .

यंत्र मय जीवन.

 लक्ष्मी चंचला,मोह छोड .

भारतीय जीवन विचार. 

चंचला लक्ष.मी जोड,

जिंदगी भोगने न त्यागने.

बनावटी जीवन

परिणाम  न आंतरिक आनंद.

सदा अभाव की  चिंता.

 एक गाडी खरीदी,पर

 नयी माडल सुविधा अधिक. 

 नया मकान खरीदा,पर

इन्टेर्नल डेकरेसन बदलना

लौकिक आनंद ,अभाव प्रधान. 

न शांति प्रधान, 

परिणाम  आत्म संतोष नहीं,

अभाव भरी आत्मा.

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु.

Wednesday, May 17, 2023

पा गल

 असमंजस में पडना  .

दुविधा, धर्म संकट

 चंद्र शेखर जी के प्रभाव के कारण

 मैं पड गया असमंजस में.

  भक्त कवि अभिराम भट्टर,

 अमावश्य के दिन,

 ध्यान  मग्न कैफे थे.

 राजा के पूछने पर

ईश्वरी के ध्यान में  ही 

कह दिया --"आज पूर्णिमा " है.

राजा तो  कहा -"चाँद दिखाओ."!

अभिरामी देवी के यशोगान 

कवि करते रहे, 

देवी तो भक्तवत्सला है,

 अपनी नक बेसरी फेंक,

चाँद दिखाया.

असमंजसता  कवि की भगादी.

  आजकल अवकाश  के बाद

 न्यायाधीश  कहता है,

 मैने कई बार

असमंजस  में  पडकर

गलत फैसला सुनाया है.

   यही आजकल सभी

 विभागों में  हो रहा है

अर्थात धर्मसंकट/दुविधा/असमंजस.

 धन कालोभ, पद का लोभ, मंत्री का भय,परिवार मोह,

अपने अपने दल की सुरक्षा. 

  अपना स्वार्थ,  तबादला का आतंक.

 मानव  असमंजस  में पड जाता है.

न्याय का गला दबा देता है.

एस.अनंतकृष्णन, 

स्वरचनाकार स्वचिंतक. 






 


तकदीर

 रास्ता तो 

किस्मत का खेल।

 तकदीर अच्छा हो तो 

 तदबीर होगा अनुकूल।

सीता की हालत देखी।

 द्रौपदी  का चीर हरण।

जयद्रथ  का अकाल मृत्यु ।

कर्मफल   सिरोरेखा में।

 मुमताज की सुंदरता

 शेरखान  की मौत।।

 अपना अपना भाग्य।

 अंगूठी खो जाना ,

शकुंतला की विधि की विडंबना।

 ऋषि का शाप कैसे?

 सोचो समझो, विधि की विडंबना 

 टलना टालना खुदा की मेहरबानी!

स्वरचनाकार स्व चिंतन

 अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु. 


 

 






 



खुदा

 खुुद को बरबाद करना

खुदा को भूलनेे में।

 जन्नत और जहन्नुम

तकदीर और तदबीर 

खुदा की मेहरबानी।

ख्वाब  का साकार

खुदा के इबादत से।

किस्मत आ जमाना है तो

खुमार से नहीं,

खुमार ऐसा हो

नशीली वस्तुओं से नहीं,

खुदा के बंदे बनने में।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई ।

स्वरचनाकार  स्वचिंतक अनुवादक ।

Tuesday, May 16, 2023

तमिल और संस्कृत –

 यह “भक्ति द्राविड उपजी ” सर्वमान्य युक्ति है । पर भक्ति की मूल भाषा संस्स्कृत  कैसी बनी। यह देव भाषा आ सेतु हिमाचल तक  बहुत बडा चमत्कार कर दिया । मुगल आये तो कबीर की मिश्रित अरबी, पारसी,देशी भाषाओं  की शैली आयी । उर्दू का प्रभाव उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कहानियों में देख सकते है। संस्कृत शब्द भंडार  जयशंकर प्रसाद के  ऐतिहासिक नाटकों की शोभा बढाते हैं । आ सेतु हिमाचल की प्रांतीय भाषाओं के साहित्यों में रामायण,महाभारत,रघुवंश,नल दमयंती,शकुंतला  आदि प्रसिद्ध है । वास्तव में  संस्कृत में दिव्य जादू भरी चमत्कार है ।

तमिल और संस्कृत –
तमिल और संस्कृत  का विशिष्ट संबंध है। तमिल के अधिकांश नीति ग्रंथ जैन मुनियों की देन है ।
जगत प्रसिद्ध तिरुक्कुरल भी जैन मुनि की देन माननेवाले हैं । तमिलं के प्रसिद्ध  पंच महाकाव्य  के नाम संस्कृत  भाषा के हैं । अर्द्धमागधि जैन धर्म की साहित्यिक भाषा है ।उनके नैतिक साहित्य का प्रभाव तमील  साहत्य पर पडा है ।
१.शिल्प +अधिकार -शिलप्पधिकार–शिलंबु = ँघुँघरु तमिल में कहते हैं।-जैन काव्य
२. मणिमेखलै–कमर का आभूषण –बौदध
३.कुंडलकेशी –  कान का आभूषण,घुंघरेलु बाल– बौद्ध
४.जीवकचिंतामणि–चिंतामणि—मुकुट का पन्ना /चिंतन कापन्ना जैन
५.वलैयापति –वलय  चूडियाँ–जैन
इन ग्रंथों की मूल रचित भाषा प्राकृत/संस्कृत.
संघ काल- संग +कालम ये  दोनों  शब्दों  का प्रयोग  आ सेतु हिमाचल में होते हैं, पर तमिल नाडू की प्रांतीय राजनीति  संस्कृत का विरोध करती है ।
संस्कृत की बेटी  हिंदी और तमिल का नाता-
पहचानिए
सोचिए।
भारतीय एकता की पक्की नींव  ः–
तत्सम-तद्भव शब्द—-
अवश्य–अवसियम
अनावश्यक–अनावसियम्
आनंद –आनंदम्
अधिक–अतिकम् ,अधिकम्
अल्प-  अल्पम्
आदी -आदी
अंत =  अन्तम्
हठ — अडम्
अतृप्त –अतिरुप्ति
अंध-अन्तकन्
आत्मा–आन्मा
आहार —आहारम्
आकार–आकारम्
आधार —आधारम्
आकाश–आकायम्
अष्टमा सिद्धि–अट्टमा सित्ति
अधर्म—अधर्मम्
अखंड– अकंड
ऐसे तुलनात्मक   शब्दों के तोड मरोड से  हर भारतीय प्रांतीय भाषाएँ एक दूसरे से की निकटता स्पष्ट दीख पडेगी ।

   पाँच  महा काव्य की भाँति  तमिल के  प्रसिद्ध  लघु  काव्य भी  जैन काव्यों के आधार पर  लिखे गये हैं । तमिल भाषा के लघु पंच महा काव्य  भी आ सेतु हिमाचल तक समझ में आनेवाली  भाषा है ।
नागकुमार कव्य, उदय कुमार काव्य, यशोधरा काव्य ,नील केशी,चूलामणि आदि ।
 तमिल - संस्कृत  का  अविच्छिन्न संबंध ।
स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन