आज काव्यांचल में
पहली बार,
तमिलनाडु के आँचल से
तालियाँ, वाह! वाह!
काव्यांचल के कलाकारों को .
+++++++++++++++
मैं अपनी भाषा,
अपनी शैली,
अपने विचार
लेकर चल रहा हूँ ;
वह पथ
कैसा है ?
जानना चाहता हूँ.
राह बनता है
या कँटीला झाडू|
जानने में उत्सुक
छंद नियम के जाल में
तडपता
कुछ लिखना कहना
पल ही में
अवरोध बन जाता.
तभी मन में आया,
जो मन में आया लिखो,
कोई आलोचक
कविता कहें तो
बन जाओगे कवि.
कोई नव कविता माने तो
कवि के स्तर पर होना आसान.
हैकू कहें,
गद्य पद्य कहे,
बकवास कहे
अनपढ कहे,
जो भी कहे,
आलोचना एक कवि की.
अतः कम से कम
लेखक की कोटी में
निंदक, चाहक, या प्रशंसक
मिल ही जाएँगे.
यह तो सिर दर्द पाठकों का ,
कवि रूढीवादों का|
मन की बात कहने में
क्या रुकावट.?
दोहे चौपाई, छप्पय
पढ पढ कर बाल पक गये.
बंधन तोड़ कुछ लिखो.
कोई न कोई एक नई शैली का नाम
किसी न किसी समय देगा ही|
कभी न कभी ऐसा ही बन जाता.
रुद्राक्ष धारी हूँ मैं.
पास है दोस्त राजगोपाल.
ईश्वर के चरण छूकर लिखता हूँ.
पाठकों को मेरा विनम्र नमस्कार
अपनी रायें ,सुझावें ,निंदा ,प्रशंसा का
सम्पूर्ण अधिकार पाठकों में हैं.
पहली बार,
तमिलनाडु के आँचल से
तालियाँ, वाह! वाह!
काव्यांचल के कलाकारों को .
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मैं अपनी भाषा,
अपनी शैली,
अपने विचार
लेकर चल रहा हूँ ;
वह पथ
कैसा है ?
जानना चाहता हूँ.
राह बनता है
या कँटीला झाडू|
जानने में उत्सुक
छंद नियम के जाल में
तडपता
कुछ लिखना कहना
पल ही में
अवरोध बन जाता.
तभी मन में आया,
जो मन में आया लिखो,
कोई आलोचक
कविता कहें तो
बन जाओगे कवि.
कोई नव कविता माने तो
कवि के स्तर पर होना आसान.
हैकू कहें,
गद्य पद्य कहे,
बकवास कहे
अनपढ कहे,
जो भी कहे,
आलोचना एक कवि की.
अतः कम से कम
लेखक की कोटी में
निंदक, चाहक, या प्रशंसक
मिल ही जाएँगे.
यह तो सिर दर्द पाठकों का ,
कवि रूढीवादों का|
मन की बात कहने में
क्या रुकावट.?
दोहे चौपाई, छप्पय
पढ पढ कर बाल पक गये.
बंधन तोड़ कुछ लिखो.
कोई न कोई एक नई शैली का नाम
किसी न किसी समय देगा ही|
कभी न कभी ऐसा ही बन जाता.
रुद्राक्ष धारी हूँ मैं.
पास है दोस्त राजगोपाल.
ईश्वर के चरण छूकर लिखता हूँ.
पाठकों को मेरा विनम्र नमस्कार
अपनी रायें ,सुझावें ,निंदा ,प्रशंसा का
सम्पूर्ण अधिकार पाठकों में हैं.
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