Tuesday, June 5, 2018

प्रदूषण --हवा.

  मनुष्य को स्वस्थ  रहने  के लिए  उसके  इर्द-गिर्द का  वातावरण निर्दूषित  होना  चाहिए|

आजकल  के वैज्ञानिक विकास  में  सुविधाएं जो  बढ़  रही  है, पर मनुष्य  का तन

स्वस्थ  नहीं   है. स्वस्थ    शरीर  में  ही स्वस्थ  विचारों का  स्वस्थ प्रगति  काम  में  मन लगेगा.   आज कल  के प्रमुख प्रढूषण में वायु,जल ,ध्वनी ,भूतल पानी  के    साथ -साथ
जन -संपर्क साधनों  के  द्वारा  विचार प्रदूषण भी   बढ़  रहे  हैं.

   बड़े बड़े ऋषी -मुनि ईश्वर  साक्षात्कार करने अन्न -आहार  के  बिना तपस्या करते  थे.

माहात्मा  मोहनदास  भी आजादी की लड़ाई में अनशन अस्त्र का प्रयोग किया.
कई सप्ताह ,कई महीने  बिना    खाए  रह  सकते  हैं. पर  बिना  सांस    लिए  जीना  मुश्किल  है.

 अतः हवा को   साफ रखना   चाहिए.   आजकल  युवा -युवतियाँ  सांस लेने का बहुत  कष्ट  उठाते हैं.

पानी,भोजन ,फल, तरकारियों  की  गन्दगी हम  प्रत्यक्ष  देख  सकते  हैं. धुल धूसरित वस्तुवों  को फ़ेंक  देते  हैं.

  पर  हवा  ईश्वर के  सामान  अदृश्य है. पञ्च भूतों में यह तुरंत जान लेवा  भूत  है.  कई   संक्रामक  रोग   हवा  द्वारा  फैलते  हैं. कई  अति सूक्ष्म कीटाणु  हवा में फैलते समय आसानी से साँस  लेते   समय  मनुष्य  शरीर  में प्रवेश करते  हैं.

  हवा  प्रदूषण  से  बचने -बचाने  हमें  वातावरण  को  साफ  रखना  चाहिए.
   हमें  सार्वजनिक  स्थानों में धूम्रपान करना नहीं चाहिए. मल-मूत्र ,थूकना आदि आम जगह पर  करने से  भी बीमारियाँ फैलती  है.
अतः  हवा  को  साफ  रखना  हर  एक  का  कर्तव्य  है. हर एक की जिमीदारी  भी  है. 

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