सबको प्रणाम !
आज का स्वतः चिंतन
भारत की प्रगति में बाधाएं :--
१. हिन्दू धर्म में एकता नहीं.
२.सनातन धर्म व्यापक है. खुद अपने को
भगवान माननेवाले हैं .
अपने को मंदिर बनाकर पूजा पाठ करने वाले हैं.
आध्यात्मिकता जीविकोपार्जन का साधन बन गया.
कदम कदम पर मंदिर ; पर अलग अलग मूर्तियाँ .
अय्यर मंदिर /अय्यंगार मंदिर / हर जाति का मंदिर.
ये मंदिर एकता तोड़ रहे हैं या जोड़ रहे हैं पता नहीं .
मंदिरों के इर्द -गिर्द ठग ज्यादा हैं .
आसपास के दूकानों में नकली रुद्राक्ष , नकली चन्दन ,
एक तरह की मिट्टी से बने चन्दन घिसाने के पत्थर ,
एक तरह से वाणिज्य केंद्र.
ईश्वर का भय नहीं लुटेरों को. भ्रष्टाचारियों को ,रिश्वतखोरों को.
देव दर्शन दो मिनट ,लम्बे कतारों में घंटों खड़े होकर.
जब तक ईश्वरीय भय शाश्वत नहीं , तब तक देशोन्नति में रुकावटें होंगे ही.
हिन्दुओं को देखा देखी मस्जिद ,चर्च भी बढ़ रहे हैं.
तीनों धर्मों में भेद भाव है, असली ,नक़ली,शाखाएं , उपशाखाएँ ,शंकाएं ,भक्ति में सांप छछूंदर की गति है.
देखिये , मानुष मनुष्य पर का विशवास लुप्त हो रहा है.
आश्रम खजाना बन रहा है . किसीको अपने पर अपनी भक्ति पर प्रहलाद, ध्रुव जैसे दृढ़ भक्ति नहीं. भक्ति में ईश्वर की कृपा प्राप्त करने दलील ,एजंट .
सोचिये ! अपने पर भगवान पर दृढ़ विश्वास रखिये.
तब तो मानसिक शान्ति मिलेगी ही.
आज का स्वतः चिंतन
भारत की प्रगति में बाधाएं :--
१. हिन्दू धर्म में एकता नहीं.
२.सनातन धर्म व्यापक है. खुद अपने को
भगवान माननेवाले हैं .
अपने को मंदिर बनाकर पूजा पाठ करने वाले हैं.
आध्यात्मिकता जीविकोपार्जन का साधन बन गया.
कदम कदम पर मंदिर ; पर अलग अलग मूर्तियाँ .
अय्यर मंदिर /अय्यंगार मंदिर / हर जाति का मंदिर.
ये मंदिर एकता तोड़ रहे हैं या जोड़ रहे हैं पता नहीं .
मंदिरों के इर्द -गिर्द ठग ज्यादा हैं .
आसपास के दूकानों में नकली रुद्राक्ष , नकली चन्दन ,
एक तरह की मिट्टी से बने चन्दन घिसाने के पत्थर ,
एक तरह से वाणिज्य केंद्र.
ईश्वर का भय नहीं लुटेरों को. भ्रष्टाचारियों को ,रिश्वतखोरों को.
देव दर्शन दो मिनट ,लम्बे कतारों में घंटों खड़े होकर.
जब तक ईश्वरीय भय शाश्वत नहीं , तब तक देशोन्नति में रुकावटें होंगे ही.
हिन्दुओं को देखा देखी मस्जिद ,चर्च भी बढ़ रहे हैं.
तीनों धर्मों में भेद भाव है, असली ,नक़ली,शाखाएं , उपशाखाएँ ,शंकाएं ,भक्ति में सांप छछूंदर की गति है.
देखिये , मानुष मनुष्य पर का विशवास लुप्त हो रहा है.
आश्रम खजाना बन रहा है . किसीको अपने पर अपनी भक्ति पर प्रहलाद, ध्रुव जैसे दृढ़ भक्ति नहीं. भक्ति में ईश्वर की कृपा प्राप्त करने दलील ,एजंट .
सोचिये ! अपने पर भगवान पर दृढ़ विश्वास रखिये.
तब तो मानसिक शान्ति मिलेगी ही.
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