Tuesday, June 5, 2018

देशोन्नति में रुकावटें.

 सबको  प्रणाम !

आज का स्वतः चिंतन

भारत  की  प्रगति में बाधाएं :--

१. हिन्दू धर्म में एकता नहीं.
२.सनातन धर्म व्यापक  है.   खुद अपने को
भगवान   माननेवाले हैं .
अपने को मंदिर बनाकर पूजा पाठ करने वाले    हैं.

आध्यात्मिकता  जीविकोपार्जन का साधन  बन गया.
 कदम कदम पर   मंदिर ; पर अलग अलग मूर्तियाँ .
अय्यर   मंदिर /अय्यंगार  मंदिर / हर जाति का   मंदिर.
 ये मंदिर एकता तोड़ रहे हैं  या  जोड़ रहे  हैं   पता नहीं .

मंदिरों के इर्द -गिर्द ठग ज्यादा हैं .
आसपास के दूकानों में नकली रुद्राक्ष , नकली चन्दन ,
एक तरह की मिट्टी से  बने चन्दन घिसाने के पत्थर ,

 एक तरह से वाणिज्य केंद्र.

ईश्वर का भय नहीं  लुटेरों को. भ्रष्टाचारियों को ,रिश्वतखोरों को.

देव दर्शन दो   मिनट  ,लम्बे   कतारों  में घंटों खड़े होकर.

जब तक ईश्वरीय भय शाश्वत नहीं , तब तक देशोन्नति में रुकावटें होंगे ही.
हिन्दुओं को देखा देखी मस्जिद ,चर्च भी बढ़ रहे  हैं.
तीनों धर्मों में भेद भाव है, असली ,नक़ली,शाखाएं , उपशाखाएँ ,शंकाएं ,भक्ति में सांप छछूंदर की गति  है.
देखिये , मानुष मनुष्य पर का विशवास लुप्त हो रहा  है.
आश्रम खजाना बन रहा है .  किसीको अपने पर  अपनी भक्ति पर  प्रहलाद, ध्रुव जैसे दृढ़ भक्ति नहीं. भक्ति में ईश्वर की कृपा  प्राप्त करने दलील ,एजंट .
सोचिये ! अपने पर  भगवान पर दृढ़ विश्वास रखिये.

तब तो मानसिक  शान्ति मिलेगी  ही. 

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