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Wednesday, July 16, 2025

ईश्वरीय देन

 जीवन की सीख

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

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 मनुष्य जीवन खुला ग्रंथ है।

 अपने को पहचानो,आगे बड़ो।

 अपनी ताकत और कमजोरियों को समझो।

 वाणी के डिक्टेटर कबीर ने कहा है:-

बुरा जो देखन मैं गया, बुरा न मिला कोय।

जो दिल खोजा अपना,

मुझ से बुरा न कोय।

 आत्म चिंतन अत्मपहचान से

 आत्म शुद्धि, मन का नाश परिणाम आत्मज्ञान।

 आत्मज्ञान ईश्वरत्व ज्ञान।

जीवन की सीख तो यही है।

 भगवान के ध्यान में 

 आत्मशांति और आत्मविश्वास।

अलौकिक आनन्द, स्थाई।

 लौकिक सुख वासनाएँ

 अस्थाई चंद

 घंटों के लिए।

 मधुशाला बेहोशी मिट जाएगी।

 सनातन धर्म जितेन्द्रियता  की नसीहतें देती हैं।

 पाश्चात्य ठंड प्रदेश के 

 जीवन की सीख मनमाना आनंद। भोगों, मरो।

 यह जीवन अर्थ प्रधान।

 न सार्थक जीवन का मार्ग।

 लौकिक सुख अस्थाई।

 आध्यात्मिक सुख त्याग का है।

 सर्व जन हिताय है।

   तमिल के विश्वविख्यात कवि तिरुवल्लुवर ने लिखा है

अपने दिल जान समझकर झूठ मत बोलो,

झूठा स्थापित होने पर तेरा दिल ही तुझे सताएगा।

 यह भी जीवन की सीख।

 जीवन की सीख है मानवता।

 मानवता न तो मानव पशु समान।

 लौकिक ज्ञान से विधि की विडंबना बदलना असंभव।

 सूक्ष्म बिंदुओं के जुड़ने से

 विभिन्न आकार,

 विभिन्न गुणियों का मनुष्य।।


काला ,गोरा, नाक  के आकार , नाटे लंबे मनुष्य।

 वंशगत आकार गुण।

 जीवन की सीख के लिए 

 अमानुष्य शक्ति को जानो, पहचानो।

 शाश्वत सुख ईश्वरीय ध्यान में।

 सबहिं नचावत राम गोसाईं।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

 




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