नमस्ते वणक्कम्।
सोचा बहुत,
मित्र से ,
सहपाठी से
सहकर्मियों से
नाते रिश्तों से
गुणी मनुष्यों से
अवगुणियों से
सहायकों से
अंत में मन को मारा,
आत्मा से मिला,
आत्मज्ञान मिला।
अत्यंत महत्वपूर्ण बातें
अपूर्व शांतिप्रद संतोषप्रद
आनंद प्रद मार्ग एक ही
वह मार्ग है सत्य मार्ग ।
नेक मार्ग, तटस्थ मार्ग
ईश्वर का चरण लो।
केवल ईश्वरीय
विचार चिंतन करो।
वह जानता है
क्या देना है?
क्या न देना है?
कहाँ रखना है?
कैसे रखना है।
कर्तव्य सही निभाओ।
कर्तव्य करने की क्षमता,
ईश्वरीय देन है।
शिक्षा मिली ठीक है,
तैरना नहीं जानते तो
बेचारे हो तुम।
ऊँच नीच न मानो
भले ही तुम इंजनीयर हो,
गड्ढा खोदने मज़दूर न आएगा तो
तेरी योजना चौपट।
भंगी न तो सारा शहर दुर्गंध।
अपने अपने धंधे में माहिर।
ईश्वर का शरण लो।
इच्छाएँ तुम्हारी
पूरी होंगी।
पूर्ण करने आएगा,
कोई अज्ञात,
मनुष्य के रूप में
ईश्वर आएगा।
तुम्हारा एक मात्र सहारा
भगवान, भक्त वत्सल।
सत्य मार्ग अपनाओ,
संसार में मनोवांछित
फल पाओ।
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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