जीवन की सच्चाई
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई, तमिलनाडु
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जीवन क्या है?
जन्म -मरण के बीच
भूमि में चंद दिनों का मेहमान ।
जीवन में दो रूप हैं,
लौकिक और अलौकिक।
लौकिक में माया के आकर्षण, विषय सुख
अस्थाई सुख को
स्थाई मानकर,
जिंदगी भर दुख झेलता रहता है।
सद्यःफल देनेवाले
लौकिक वासनाएँ,
मधु,जुआ और स्त्री,
मृत्यु पर्यंत दुख ही दुख।।
लौकिकता तजकर
अलौकिकता अपनाने से
आध्यात्मिक ध्यान,
मनका दमन परिणाम
परमानंद ब्रह्मानंद
आत्मज्ञान आत्मिक सुख
चाह गई चिंता मिटी मनवा बेपरवाह।
जाको कुछ न चाहिए
वही शाहंशाह।
माया/शैतान अस्थाई सुख का मोह।
ऐसे जीवन में
दुख ही दुख।
ध्यान,नाम जप, प्राणायाम में
स्थाई सुख।
यही है जीवन की सच्चाई।
सोचो,जानो, समझो।
जागो, पारलौकिक जीवन अपनाओ।
वही है जीवन की असलियत/ सच्चाई।
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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