जीवन के अनुभव।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक.
मानव का जन्म
अबोध शिशु के
रूप में।
भूख के कारण रोना,
पेट भरने पर हँसना,
अनुभूति से बढ़ता है।
पहले घुटने के बल,
फिर खड़े होकर
चलता है।
जीवन के अनुभव से
बहुत कुछ
सीखा करता है।
अपने माता-पिता ,नाते रिश्तों से सीखता है।
समाज में आने पर
अनुभव से बहुत कुछ।
पाठशाला की पढ़ाई में,
नौकरी के कार्यालय में,
राजनैतिक लोगों में
कवि सम्मेलनों में,
मंदिरों के प्रवचन में,
जीवन के सुख दुख में
कदम कदम पर अनुभव।।
जीवन के उत्थान पतन में ,
व्यापार के लाभ नष्ट में
बहुत कुछ अनुभव पाता है।
वाहन के चलाने में अनुभव।
पुलिस की कार्रवाई से अनुभव।।
दोस्तों की संगति से,
हर पल हर कदम पर
अनुभव से बहुत कुछ सोचकर,
फूँक फूँक कर चलता है।
मिले अनुभव से अपनी संतानों को अपने से
और सुचारू रूप से
पाल पोसकर श्रेष्ठ बनाता है।
अनुभव से मानव
पतन से बचता है।
भगवान के भक्त बनता है।
जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव
मानव को सुनागरिक बनाता है।
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