सोचा करता हूँ,
हिंदी ने मुझे जिंदगी दी।
आरंभ से बुढ़ापे तक संघर्ष पूर्ण हिंदी।
तमिलनाडु में अल्पसंख्यक हिंदी।
हिंदी क्षेत्र में खड़ा रहना मुश्किल।।
पर मेरे लिए अनुकूल हिंदी।
तमिल अध्यापकों के साथ विवाद।
सभी के बच्चों के नाम संस्कृत।
नाम पूछकर मैं सिर तानकर खड़ा रहता।।
पत्नी बहन के नाम पूछने पर
स्वर्ण लता,पद्मजा, पंकजम् कमला,शोभा श्वेता श्यामला कोमला।
वसंता,वसुमति,विजया,
प्रेमा। उदयनिधि, दया निधि।
फिर क्यों संस्कृत का विरोध।।
ह्रदयराज से पूछो
संस्कृत के बिना , उदयसूर्य कैसे?
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: साईं इतना दीजिए जामे कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूं ,साधु न भूखा जाय।।
पैसा की चिंता जोड़ी,
नाम की चिंता जोड़ी
न शांति न संतोष।
दोनों चिंताएँ छोड़ीं,
शांति और संतोष
जुड़ी अपने आप।।
अस्थाई शरीर
अस्थाई संसार,
जीवन चंद
सालों का मेहमान।।
क्यों करना दौड़ धूप।।
न पढ़ते कालिदास,
न पढ़ते तुलसीदास।
जो पढ़ते विवशता से।
भाग्यवान चमकते,
हिंदी तमिल क्षेत्र में।
अपनी संतानों को अपनी मातृभाषा से
दूर ही रखते
दुनियादारी लोग।।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
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