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Saturday, July 19, 2025

मैं और ईश्वर

 मैं हू़ँ वरिष्ठ नागरिक।

 वरिष्ठता  ईश्वरीय नियम।

 ईश्वरीय नियम के लिए 

 कोई उपनियम,

 परिस्थितिवश  सुधारात्मक नियम

 प्रशासकों के अनुकूल नियम नहीं।

 मानवीय धन,पद, अधिकार के दाल न गलेंगे।

मेरे शरीर तो शिथिल,

 मन की चंचलता नहीं,

 मन हमेशा गीता में विलीन।

 निष्काम कर्म करता हूँ,

 जीविकोपार्जन 

के लिए हिंदी।

 ईश्वरीय देन।

प्रचार या साहित्य लेखन

 विचार अभिव्यक्ति ,

 ईश्वरीय वरदान।

 मोहनदास करमचंद 

 गांधी जी द्वारा स्थापित 

 हिंदी प्रचार सभा मेरे जीवन की आधारशिला।

 जो कुछ बना हूँ हिंदी की देन।

 किसी की चिंता न करके 

 सेवा कर रहा हूँ,

 फल भगवान पर छोड़ दिया।

 फल देता ही है,

 सभा के स्वर्गीय सत्याग्रहाचार्य ने 

 देवेन मनुष्य रूपेण 

 आकर  लेस्ली हाईस्कूल के हिंदी अध्यापक की सूचना दी।

 मैं सुदूर पलनी का 

 सोचा तक नहीं,

 सरकारी मान्यता स्कूल में हिंदी है।

  नौकरी मिली, चार साल वहाँ।

 तब सेल्वराज लेस्ली स्कूल के अध्यापक 

 देवेन मनुष्य रूपेण का

 दूसरे मार्गदर्शक ने 

 एम.ए.पढने की सलाह दी।

 श्री वेंकटेश्वर की कृपा है

 वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय तिरुपति में सौ रूपये के खर्च में परीक्षा शुल्क सहित एम.ए.,

 परीक्षा फल के आते ही

 हिंदू हायर सेकंडरी स्कूल में स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक।

निष्काम मैं ने दस साल हिंदी की सेवा बिल्कुल मुफ्त में की।

 निष्काम सेवा का फल  मिला।

 मज़बूरी के कारणB.Ed.,MEd.

 तुरंत दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई में 

अंश कालीन प्राध्यापक।

 बी.एड., कालेज में 

 अतः मैं प्रोफसर हूँ।

  भगवान पर ही विश्वास कर सेवा साहित्यिक सेवा में लगा हूँ।

 फल तो भगवान दे ही रहा है।

 मेरे ब्लागों के दर्शक दो लाख से ज़्यादा।

 मेरे जीवन के  तीसरे 

 देवी हैं बहन डाक्टर राजलक्ष्मी कृष्णन 

 देवेन मनुष्य रूपेण का

 प्रतिनिधित्व  के अनुरोध से

हिंदी साहित्य संस्थान, लखनऊ का आवेदन पत्र।

 बहन ने कहा ,आप तनाव मेहनत करते हैं, उनके कारण सौहार्द सम्मान।

 नागरी लिपि का आजीवन सदस्य।

 ईश्वर की प्रेरणा 

 मैं तमिल हिंदी सेवा करता रहता हूँ।

 भगवान की देन 

 राजभाषा स्वर्ण जयंती समारोह में विशिष्ट अतिथि।

  जगत मिथ्या ब्रह्म सत्यं।

 मेरे जीवन में सार्थक।

निष्काम कर्म कर,

 ईश्वर की बुद्धि देन 

 जान समझकर ईमानदार सेवा,  भगवान अपने दायरे में हमें चमकाएगा।।

 जय भारत!जयहिंदी। जय भारतीय भाषाएँ।

 कबीर का दोहा पंद्रह साल की उम्र से अहमात्मा में 

 सद्यःफल के लिए 

  गलत काम करना दुखप्रद है।

 जाको राखे साइयां मारी न सकै कोय।

 बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।

 सर्वेश्वर की शरणागति।

 एस . अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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