Thursday, February 22, 2018

सपना

सपना /स्वप्न / होते हैं 
कई तरह के. 
दिवा सपना साकार होता नहीं, 
तडके के स्वप्न का 
होता है फल. 
सपन को कार्यान्वित करने
परिश्रम कठोर करने की आवश्यकता है.
कितने आविष्कारक हुए जग में
अग जग के कल्याण के लिए.
अघ जग अलग, वे हैं गरीबी में,
आविष्कारकों के सपने साकार होने
धन कमाना है आवश्यक.
तभी बनता है अघ जग.
भ्रष्टाचारी / रिश्वतखोरी / हतयारे/ आतंकवादी.
यह धन का सपना पाप की कमाई.
पुण्य की कमाई भाग्यवानों के लिए.
न राजा, न मंत्री, न सांसद न विधायक न अधिकारी
पाप की कमाई से जग को अघ जग ही बना देते.

धोखा

धोखा /ठगाना भी कहते हैं ;
धोखा देना /धोखा खाना 
दोनों में दया के पात्र 
धोखा खानेवाले हैं,
पर धोखा देनेवाले 
अति चतुर होते हैं ;
चतुर लोग भी धोखा खाते हैं.
ऐसे लोग हँस मुख होते हैं.
मधुर वचन बोलते हैं,
क्रोध न करते हैं ,
देखने में भोले भाले होते हैं .
उनका अभिनय ऐसा हैं ,
चेहरे ऐसे हैं ,
उनपर दया आती हैं ,
चतुर भी धोखा खाते हैं.
हार की जीत ,
सुदर्शन की कहानी .
साधू के घोड़े को
डाकू खड्ग सिंह
रोगी के छद्म वेश में
ले लेता है.
धोखा देता हैं.
तब साधू बाबा उससे
कहते हैं --मेरे प्रिय घोड़ा तुम्हीं रख लो .
पर किसी से न कहना --
रोगी के वेश में ठगा है;
क्योंकि कोई भी दुखी को
मदद न करेंगे.
यह तो कहानी ही रह गयी;
अब पता माँगकर ,चोरी करते हैं;
बिकुत देकर धोखा देते हैं.
मदद देकर धोखा देते हैं .
तमाशा दिखाकर धोखा देते हैं.
दस रूपये नोट नीचे डालकर
लाखों रूपये चोरी कर लेते हैं.
भगवान के नाम , प्रायश्चित के नाम भी
धोखा देते हैं;
किसी कवि ने लिखा है -
कदम कदम पर फूँक=फूंककर चलना है;
दुनिया तो अजब बाज़ार हैं.
सिनेमा का गाना याद आती है -
धोखा शब्द पढ़ते ही ,
हरे भाई ! देखते चलो,
दाए भी नहीं ,बाएं भी नहीं ,
ऊपर भी नहीं ,नीचे भी .
आगे भी नहीं ,पीछे भी .
पग -पग पर सतर्क चलना है.
चुनाव धोखा देने का परिणाम है.
उनकी होशियारी हैं ,
पिछले चुनाव के वादे को
नया जैसा बताना.
शासक दल न करते ,
विपक्षी दल आरोप लागाते
हमें चुनो, पूरा करेंगे.
पर वादा न निभाते,
पक्ष-विपक्ष दोनों ऐसे ही
ठग ते हैं , चाँदी के चंद टुकड़े लेकर
मत दाता भी उन्हीं के पिछलग्गू बनते हैं.
ठगने /ठगाने मत दाता तैयार.

मानव अद्भुत सृष्टि

कुछ न कुछ
लिख सकते हैं,
क्या लिखना है,
वही सोच.
तभी याद आई-
शीर्षक समिति का
एक शीर्षक.
प्रेरित गीत.
निराश मन बैठा तो
कबीर अनपढ की प्रेरित
देव वाणी याद आई.
जाके राखै साइयाँ,
मारी न सके कोय.
हाँ, भगवान ने मेरी सृष्टि की है.
जरूर उनकी कृपाकटाक्ष मिलेगी ही.
गुप्त जी की याद आई
नर हो, न निराश करो मन को,
हाँ मैं नर हूँ,. सिंह हूँ,
शेर हूँ, सियार हूँ, भेडिया हूँ,
हाथी हूँ, साँप हूँ, हिरण हूँ
सब पशु पक्षियों की तुलना
कर
जी रहा हूँ.
कोयल स्वर,
गरुड नजर,
उल्लू की दृष्टि,
मीन लोचन,
कमल नयन,
वज्र देह
ईश्वर की अद्भुत सृष्टि हूँ.
अद्वैत हँ.
अहं ब्रह्मास्मि,
मैं भगवान हूँ,
भगवान को नाना रूप देकर
खुद भगवान तुल्य बन जाऊँगा.
विवेक है, विवेकानंद बन सकता हूँ.
आदी शंकराचार्य बन सकता हूँ.
खारे पानी को मीठे पानी
बना सकता हूँ,
पंख हीन , पर
आकाश में उड सकता हूँ.
उमड़ती नदी को बाँध
बनाकर रोक सकता हूँ.
मैं मानव हूँ,
अद्भुत सृष्टि हूँ.

भारत में पट कथा

बाह्याडंबर से मध्यवर्ग 
उठाते है कष्ट 
चित्रपट गया, सौ रुपये में 
गन्ना रस, दस रुपये के छोटा सा टुकडा, 
बाहर पच्चीस, वहाँ अंदर सौ. 
पुलिस, अधिकारी अन्य विभागियें को
वी ऐ पी पास,
बाह्याडंबर का बातें
मुझे विवश होकर नाते रिश्तों के संतोष
ते लिए जाना पडा.
वाहन खडा करने एक घंटे के तीस रुपये.
तीन घंटे बहार निकले चालीस मिनट.
चार घंटे के लिए 120.
हीरो बदमाश कई बलात्कार, हत्या के बाद
हीरोइन से मिलना, सुधरना, .
पुलिस अन्यायी, वकील न्यायाधीश अन्यायी
मंत्री राजनीतिज्ञ अन्यायी,
हीरो के हाथ में न्याय की रक्षा.
न सरकार, न पुलिस,

आहा! भारत की रक्षा.

Tuesday, February 20, 2018

पाप की सजा

पाप की सजा
पाप  की  मात्रा,
जन्म फल, कर्म फल के हिसाब से
माफी या दंड .
 सबहीं नचावत राम गोसाई  का 
उपन्यास  पढिए.

.  एक खूनी साफ साफ बच जाता है.
   उस का बेटा गृह मंत्री  बनता है.
  एक निरपराध  को दंड मिल जाता है.
  दशरथ वेदना में तडपकर मरते हैं.

 अनजान गल्ती से शाप का पात्र बनता हैं.  कर्ण  की सजा,  
 माँ का त्याग,
 कबीर की जीवनी,

सबहीं नचावत राम गोसाई. मोहनदास करमचंद की हत्या,
इंदिरा गांधी की हत्या,
 संजय की  मृत्यु,,
 राजीव की हत्या
कर्म फल या जन्म फल.

 नगरवाला, यल .यन.  मिश्रा ,
 पुलिस अफसर की हत्या,

 शाहजहाँ  का कारावास,
अशोक हत्यारे का महान
अशोक बनना,

सबहीं नचावत राम गोसाई.

आत्म मंथन

हमारा आत्म मंथन  ,खुद को सुधारता है,
सामाजिक आत्ममंथन
कभी कभी  बंदर -गौरैया

कहानी बन जाती है.देश भक्तों की आत्म मंथन
त्याग का मार्ग दिखाता है.
सांसद - वैधानिक के आत्म मंथन

आधुनिक काल  में  बदमाशी,
भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी
न जाने कितनी बातें 
 युवकों को बिगाड  देती.

चित्रपट के मंथन सेयुवक पहले बदमाशी, 
खूनी, बलात्कारी,
मध्यावधि   के बाद
खुद कानून हाथ में ले

पुलिस, सांसद, मंत्री, न्यायाधीश ,
सब को  अपने   नियंत्रण  में.
युवकों में  बुरा प्रभाव.
 यों ही  विचार मंथन व्यक्तिगत सुधार या बिगाड के मूल में.

Sunday, February 18, 2018

आज के चिंतन

कल मैंने प्रेम , नफरत ,और कुछ चिंतन जो आये लिखे हैं. उनके चाहकों को , प्रशंसकों को मैं आभारी हूँ . धन्यवाद प्रकट करता हूँ.

________आज के चिंतन__

मनुष्य क्यों असंतोष , दुखी ,नाखुशी , अशांत हैं ,
इन पर आज जो विचार आये ,
हर मनुष्य की सृष्टि में ,
ईश्वर ने सुख-दुःख ,पद ,
अधिकार , कर्तव्य आदि
लिखकर ही पैदा करता है.
मनुष्य की बुद्धी भी उसीने पहले ही
भरकर भेजता है.
कला संगीत ,नृत्य ,भक्ति ,
भी जन्मजात है.
प्रायः हम कहते सुनते हैं ,
मेरा बच्चा जन्म से गुन - गुनाते रहते हैं .
मेरा बच्चा हमेशा औजारों से खेलता है.
मेरा बच्चा कुछ न कुछ चित्र खींचता है.
मेरा बच्चा गणित में रूचि दिखाता है.
मेरा बच्चा वैज्ञानिक विचार में है,
मेरा बच्चा चालाक है,
मेरा बच्चा चतुर है ,
मेरे बच्चे को झूठ बोलना पसंद नहीं हैं .
मेरा बच्चा झूठ ही बोलता है, चोरी करता हैं ,
भगवान की प्रार्थना नहीं करता.
मेरा बच्चा किताब लेकर पढता रहता है.
मेरे बच्चे को राजनैतिक विचार है.
मेरे बच्चे को अभिनय आता हैं ,
भाषण देता है ,
यों ही बच्चपन में ही
अहंकार, क्रोध , ईर्ष्या , प्रतिशोध ,सेवा भाव ,
अधिकार ,आज्ञा आदि गुण-भाव मालूम हो जाते हैं .
जन्म से रोगी को देखते हैं ,
असाध्य रोगी को देखते हैं ,
जवानी में कमजोरी , संतान हीन लोगों को देखते हैं .
शादी पत्नी या पति में राक्षसी गुण देखते हैं ,
कामुक देखते हैं , छद्मवेशी देखते हैं ,
सन्यासी देखते हैं ,
विभानडक ने अपने पुत्र को
ब्रह्मचारी ही देखना चाहते थे ,
पर सहज ही वह स्त्री के मोह में
पड जाने की दशा होती हैं ,
बुद्ध को सन्यासी से बचाने की
बड़ी कोशिश की गयी.
पर असंभव ही रहा.
रत्नाकार ,तुलसी, दास , मूर्ख कालिदास ,
तमिल के स्त्री कामान्धाकार अरुण गिरी
,अशोक आदि अपने बुरे गुण तजकर
लोक प्रिय बन गए.
जनता उनके बुरे कर्मों को भूलकर
आदर- सम्मान की दृष्टी से देखते हैं.
जन्म से लिखी भाग्य रेखा को
बदलने की शक्ति किसी में नहीं.
ईसा को शूली पर चढ़ना पड़ा.
मुहम्मद को पत्थर की चोट सहनी पडी.
इंदिरा ,राजीव को निकट से ही ह्त्या हुयी.
दुर्घटना में अल्पायु में मर जाते हैं .
यों ही समाज के चालू व्यवहार के
अध्ययन करें तो
पता चल जाएगा--;
सबहीं नचावत ,राम गोसाई.