Saturday, January 5, 2019

तिरुप्पावै. 21

तिरुप्पावै --२१

आण्डाल  रचित

--     श्री कृष्ण को जगाती हुई  आण्डाल  गाती  है -

  नन्द महाराज के यहाँ   गो  धन असंख्य हैं ;
 गायें  दानी हैं।
स्वतः बर्तन  भर दूध देती हैं।
 ऐसे गोधनी   नन्द के पुत्र 
श्री कृष्ण!
नींद से जागो।
 वेदों ने तुम्हारे यशोगान गाये हैं।
 तुम परमेश्वर हो ;
हमारी पहुँच तुम तक नहीं  हो सकती ।
 जग को दर्शन देने तुम्हारा अवतार हुआ है।
तुम ज्योति स्वरुप हो ;जागो ;
जैसे शत्रु अहंकार छोड़कर ,
तेरे चरण में शरणार्थी बनते हैं ,
वैसे ही हम तेरे शरणार्थी बनेंगे।
हम भी तेरे यशोगान करने आयी हैं।
जागो ;दर्शन दो।
श्री विप्रनारायण  जी के तमिल व्याख्या का हिंदी अनुवाद ;
धन्यवाद महोदय !

अष्ट सिद्धि नव निधि की ज़रूरत.(मु)

नमस्ते जी.
आज के चिंतन.
जग देखा,
जग का व्यवहार देखा,
सत्य को दबकर ही रहना है,
नहीं तो दबाकर ही जीना है.
जगत मिथ्या है,
जग सच्चा नही.
सत्य का बाह्याधार,
आंतरिक जीत
सत्य से मिलना
अति कठिन.
सरसरी नज़र से रामायण काल से
आधुनिक काल तक अध्ययन  में
धर्म, सत्य स्थिर शांति.
बाकी सब अस्थायी सुख.
सद्य फल  का प्राप्ति में
मानसिक शांति, व्यक्तिगत  शांति
खो बैठता हैं मनुष्य समाज.
 धन के सामने ही सब झुकते.
पद के सामने ही झुकते
पद-और धन का संबंध
 धर्म को जाते पर
ईश्वरीय  शक्ति तमाशा देखती रहती.
सत्य धर्म ईमानदारी  की रक्षा
अपनी प्राकृतिक  देन से करती रहती.
सत्य धर्म को  रो रोकर
पनपने सादर जीने त्यागना का उपदेश  देती.
सत्य धर्म न्याय के बोली में आदर,
शक्ति में विपरीत.
बल को शक्ति को अष्ट सिद्धि  नव निधि की ज़रूरत.
न तोकोई महत्व नहीं जग में.

सिद्ध पुरुष --तमिल के सिद्ध पुरुष (मु )

सिद्ध पुरुष --तमिल के सिद्ध पुरुष के गीत
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 अभिभावक से रखा
 दुलारा नाम भी
"शव "लाश " के नाम से
बदल जाता है।
 मन पसंद खरीदे कपडे भी
"जीर्ण वस्त्र "का नाम  पाता।
कठोर परिश्रम से बचाये
दौलत भी
वारीश ही भोगते।
मिलकर रही पत्नी या पति भी
साथ ही नहीं मर जाते।
कठोर दौड़ धुप
 किये शरीर
 प्राण खोकर पड़ा है।
प्यार की बातें जिसने  की ,
जान तक तजने की बात किसने की ,
वह आज गूंगा बन खड़ा है  या खड़ी है.
जिसे तुमने अपना नाता -रिश्ता माना ,
वह दूर खड़ा है.
तुम जिस जग  से आये ,
वह शरीर ईश्वर  की देन  है ,
तुम  तो चंद  दिनों का राह गीर हो।

Friday, January 4, 2019

आज के चिंतन (मु )

आज के चिंतन.
विभिन्न  मिट्टी,
विविध गुण.
रेगिस्तान  के पौधे, जीव जंतु,
पहाडी जडी  बूटियाँ,
दक्षिण के धान,
उ त्तर के गेहूँ,
पाश्चात्य  वनस्पतियाँ.
वह भूमिगत गुण.
भारतीय  त्यागी आलसी,
बैठे राम नाम जपो,मिलेगा खाना.
संपन्न समृद्धभूमि.
लगभग विश्व के सभी देश आये,
खूब लूट, मंदिर की मूर्तियाँ  ले गये,
अपनी भाषा, अपने धर्म तोपे,
बेगार गुलाम बनाये, सब सहा,
फिर भी देश की अमीरी, मंदिर का खजाना,
स्वर्ण  कलश, स्वर्ण  कवच,
हीरो का मुकुट, अमूल्य हीरे पन्नों से भरे गोदाम.
ईश्वर रक्षित मेरी मातृभूमि स्वर्ग  तुल्य.
जय हिंद. जय जवान जय किसान.
त्याग में आनंद, भोग में दुख.
यही भारतीय  गुण,
अर्द्ध नग्न साधु बदला सुंदर का गुण.
सही ईश्वरीय शक्ति.

Thursday, January 3, 2019

पाठशाला,मधुशाला (मु )

सब को सादर प्रणाम.
वणक्कम.
भारतीयता, भारतीय  भाषाओं  को भारतीय  नहीं चाहते.
विदेशी चाहते हैं.
विदेशी  सब  को चाहते हैं,
सनातन धर्म को चाहते हैं,
अमेरिका चर्च तोडकर नहीं,
100करोड डालर में खरीदकर
मंदिर बनवा रहे हैं.
इंग्लैंड  के राजकुमार  हिंदु धर्म को
इतना चाहते  हैं कि चंदन तिलक फूल माला पहनाकर,
अगले जन्म हो तो हिंदू परिवार में जन्म लेना चाहते हैं.
  मगर भारतीय अर्धनग्न वस्त्र,
जनवरी पहली तारीख को नशे में नाचना,
तलाक मुकद्दमा, बलात्कार का समर्थन,
आदी में लगे हैं, 
चेन्नई  में मात्र सात नव वर्ष मनाने में मर गये, 270 घायल.

 अजब की बात है
तमिल हमारी जान, प्रेमिका, कन्या, माता ऐसे 
दुलारनेवाले नेता, संस्कृत के विरोधी  के देश में
तमिल माध्यम के स्कूल में पढने  नहीं आते.
विद्यार्थी  संख्या कम होने से सरकारी स्कूल बंद हो रहा है,
वहाँ तीन चार निजी अंग्रेजी  स्कूल खुल रहा है.
यल. के़जी  दान पचास हजार लेते हैं.
चार छात्र दान से भी कम
एक अध्यापक  का एक साल वेतन.
वह भी कई शर्त लगाकर.

 मातृभाषा  माध्यम स्कूल बंद, पर
मधुशाला अधिक.
जैसे मातृभाषा  माध्यम को

जनता बंद करने में सफल है तो
जनता मधुशाला की ओर न जाने पर
मधुशाला बंद हो जाएगी.
 जनता करेगी क्या?
 पैसेवालों को ही चुनाव जीत का
 मेरी मातृभूमि  में मेरा स्वप्न
दिवा या करके का पता नहीं.

तिरुप्पावै. 19,20

आंडाल रचित तिरुप्पावै. 19.
 भगवान होने पर
उनको भी लौकिक आनंद और नींद   जाने न देता.
आंडाल  कृष्ण के जगाती है...
 दीपस्तंभ  जल रहे हैं,
 हाथी दाँत के पलंग पर कोमल
 शय्या  पर
सो रहे हैं.
नप्पिननै के स्तनभार पर सिर रख लेटे हुए
प्रफुल्लित  छाती वाले कृष्ण  जागो.
 काजल लगाई नप्पिननै!  कब तक अपने पति को
सोने दोगी.पल पर भी कृष्ण  के संग से हटना न चाहती.
यह धर्म नहीं है. सहक्रिया भी नहीं है.
उनको  जगाने दो. हमको  भी दर्शन करने दो .

तिरुप्पावै  आंडाल 20
श्री  कृष्ण!  तुम कलियुग के देव हो.  तीन  तीस करोड दोनों के होम पर भी भक्तों के दुख दूर करने त्वरत गति से आकर रहनेवाले हरी!  जल्दी जागो.
तुम सशक्त हो., नेक हों, शतृको भयभीत करनेवाले हो, पवित्र हो. जाहो. स्वर्ण कलश सम स्तन, पतली कमर, मँगाया रंग के ओंठवाली नप्पिन्नै! तुम लक्ष्मी सम हो. तुमभी जागो.
  तुम हमें  चूडियाँ, पंखा, दर्पण आदि देकर तुम्हारे पति कृष्ण तो भी देकर, अनुग्रह  की वर्षा करो.
 पति पत्नी दोनों को प्रशंसा कर जगाना आँडाल की चतुराई भक्ति श्रद्धा स्तुत्य है

Wednesday, January 2, 2019

तिरुप्पावै.. 16, 17

तिरुप्पावै... 16.17

आंडाल अपनी  सभी सखियों को जगाने  के बाद  स्नान करके 
नंद के महल पहुँची. 
द्वार पालक से महल में प्रवेश  करने की  प्रार्थना  करती हैं. 
सुंदर तोरण वाले महल के द्वार रक्षक! 
हम ग्वाल बालिकाओं के लिए दरवाजा खोलो.

श्यामवर्ण के कृष्ण  ने हमें छोटा ढोल देने का वचन दिया है. उसे लेने के लिए  स्नान करके आयी हैं. उनको जगाने गीत गानेवाली  हैं. हमें अंदर जाने से मना न करना. महल का द्वार खेलकर हमें अंदर जाने दो.
आंडाल तिरुप्पावै.. 17.

पंद्रह गीत तक आंडाल 
सखियों को जगाती रही. 
सब नही चुकी हैं. 
श्री कृष्ण से मिलने महल के द्वार 
पहुँचकर नंद, यशोधा,श्री कृष्ण 
आदि को जगाती है... 
हमारे दानशील, नेता नंद जी! जागिए.
आपको वस्त्र, खाना, नीर आदि को 
दूसरों को इतना देते हैं, सब का मन संतोष हो जाता है.  आप उठाए. 
लता  सी कमर वाली 
हमारी  नेत्री यशोधाजी, 
मंगलदायक दीप सा उज़्ज़्वल  सूरतवाली  !आप उठिए! 
 आकाश फाड़कर  जग नापे 
देवों के नेता  श्री कृष्ण जागो.
स्वर्ण घुंघुरु पहने लक्ष्मी 
पुत्र बलराम जागो. 
तुम और  तुम्हारा  भाई  दोनों उठकर

हमको दर्शन दीजिए.