Tuesday, July 23, 2019

आदी मुद्रा योगाभ्यास

परिषद  को प्रणाम।
आदी मुद्रा  के चित्रण।
योगाभ्यास  में  सीखा।
अंगूठा  पंजे में  दबाकर,
चार उंगलियों  से
 बंद कर  देखो।
यह आदी मुद्रा।
बच्चा जब कोख में
रहता तभी ऐसी मुद्रा।
अतः नाम पडा आदी मुद्रा।
सहज प्राणायाम/ नियंत्रण  प्राणायम में,
दोनों  मुट्ठी  ना भी पर रखो।
साँस खींचने में  नियंत्रण  रखो।
लाभ तो अधिक, पर यह भारतीय  कला,विदेश में प्रचलित।
 अच्छाइयों को भारत से चलने दीजिएगा। पर भूलना तो अति मूर्खता।
आदी मुद्रा योगाभ्यास करें।
अपनी,तोंद, चर्बी  चढना
साँस  घुटने सब से बचिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। ,

शिवन= சிவன்

அன்பே சிவம்.
ஆசையே துன்பம்.
இன்னல் தீர்க்கும் ஓம் நமச்சிவாய நாமம்.
ஈடில்லா இன்பம் நல்கும்.
உள்ளத்தின்  சஞ்சலம் தீர்க்கும்,
ஊக்கம் தரும் நாமமே
ஓம் நமச்சிவாயம்.

Monday, July 22, 2019


(अभूत क्रिया धातु +अवै )

उण पवै  नालि ,उडुप्पवै  इरंडे
पुरम :185 -5

(उटु "पहनना " उटुप्पवै "अभूत
विशेषण संज्ञा <उटुप्पवै +अवै )
दो  हैं (कपड़ों के टुकड़े )वे ((सामान्य रूप से )पहनने के लिए हैं  .

                   कल
ऐवर  एनरु  उलकु   एत्तुम  अरसरकल
अकत्तरक : 25 :3

अरसन   "राजा "  अरसर  'राजा "बहुवचन ;
अरसरकळ  <अरसर +कळ ")
संसार से तारीफ किये  राजा -"तीन (  चेर, चोळ ,पाण्डिय )
         
                      यम

पिलैयलाल  मातो  पिरिन्तनम यनिन  अकम -528

(भूत क्रिया धातु +अन +आम )
(कंटे   कटिंतनम सेलवे ऑनतोटी
<कटिंत +अन +अम )
-कलि 115 -3
           ऍम  एम :
(काविनेम  कालने , सुरुक्किनेम कलप्पै  <सुरिक्की +इन +ऍम )पुरम -
206 :10  वलि  वलि  सिरक्क  वेना वेट्टमे <वेट्ट +एम् -ऐन. 2 :6

                     मार :
तोळी  मारुं  यानुम  पुलंपक
<तोळी +मार )अकम 15 :9

                      अर ,आर
नकैवर  कुरूकिन  अल्लतु ,पकैवर्ककुप 
<नकै +वि +अर , पकै +वि +अर ) पुरम
398 -9

(तेरुमंतु सेयतार  तलै
<सेयत +अर  ) कलि -39 :25

इर ईर
मुन्नुम  कोंटरिने नममनोर मरुत्तल  <कोंट +इर )
पुरम -203 .5
एनरु  ऍल्लिरु मेंसैतिरने नकुतिरो <सेयत +इर )कलि -142 :15

1 . 'अ ,रि ,तु ,आल ,मल ,कॉल ,कटै ,वलि ,इटट्टू  आदि संकेत उद्देश्य  क्रिया विशेषण ,
(कुरिप्पु  विनै एच्च विकुति )

Saturday, July 20, 2019

मुक्त भारत

भगवान  के दर्शन  में   ये अभिनेत्री  ईसाई  धर्म  प्रचारिका, वीऐ पि दर्शन, पर गरीब  भक्त  के लिए  ग्यारह घंटे।
भीड़  में पाँच  लोगों  की मृत्यु,
हस्पताल  में अनेक।
 देखा, अमीरों  केलिए  मनमाना करने मुक्त  भारत।
संचालक, मुख्य, सह,समन्वयक, सदस्य, चाहक सब को प्रणाम ।
  अनंतकृष्णन जी स्वरचित
मुक्त शैली,
मुक्त  विचार।
मुक्त चिंतन।
भारत महान
न बंधन  किसी बात का।
ईश्वर की चिंताएँ।
ईश्वर के नाम ठगने मूक्त।
हर कोई  भक्त।
आश्रम अनेक,
आसाराम  अनेक।
मंदिर  अनेक।
प्रार्थनाएँ विविध।
प्रायश्चित अनेक।
अंधविश्वास अनेक।
आसन अनेक।
न कहीं  समानता।
नंगे अघोरी के पीछे  अनेक।
दिगंबर साधु के  पीछे  अनेक।
भगवान के दर्शन  में  भी पैसा प्रधान।
न समानता।
शिक्षालय की भर्ती  में  भी
पैसे प्रधान।
सांसद, विधायक
बनने में  भी
पैसा प्रधान।
पैसे जोडो,
न्याय  अन्याय  मुक्त  जीवन।
पैसे बिना न भगवान  भी नालायक।
बरगद  के नीचे
गणेश की मूर्ति
न किसी का ध्यान।
मंदिर में  स्वर्ण,
हीरे खंडित गणेश,
अनियंत्रित  भीड।
पैसे जोडो,
अपराध करो,
दंड  पाकर भी
न जेलवास ।
मुक्त भारत।

Tuesday, July 16, 2019

स्कूली जीवन,

कलम की यात्रा के संचालक को नमस्कार। 
स्कूली जीवन,
हमारे बचपन में बडा आनंद। 
एक नोट बुक,
एक स्लेट, एक पेंसिल बस,
पाँचवीं 
कक्षा तक।
आज के बच्चे 
बोझ ढोकर जाते हैं। 
हम घर आकर खुशी-खुशी खेलते थे । 
आज के बच्चे, 
ट्यूशन जाते, 
कराते,कीबोर्ड 
हरफनमौला बनने बनाने 
अधिक कष्ट देते 
आज के स्कूली जीवन यंत्र मय।
घर से स्कूल बस,स्कूल से घर तक बस ।
न दोस्तों से मिलना जुलना। 
मोबाईल हाथ में बस।
क्या लिखूँ स्कूली जीवन ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।

Monday, July 15, 2019

अध्यापक

नवोदित साहित्यकार मंच
के संचालक, संयोजक, समन्वयक  सब को नमस्कार।
   शीर्षक:-
गुरु, मुर्शिद,शिक्षक,
अध्यापक ,निजी अध्यापक।
आजकल अध्यापक संघ
मजदूर संघ समान।
 मजदूरी  से मंजूरी।
 गुरु माने बडा।
 गुरु  गिरिवर से
गिर गिरकर नदी ने बहना सीखा।
कविता  बचपन में  पढी।
गुरुकुल में  प्रवेश अति दुर्गम।
गुरु  मिलना भाग्य  पर निर्भर।
गुरु आडंबर रहित  कुटिया  में। पर केवल  प्रतिभाशाली  को ही शिक्षा  देते।
आज कल के अध्यापक  अति उदार।
सभी को शिक्षा  देने  तैयार।
न देखते सूचित,अनुसूचित प्रतिभाशाली, औसत,मंद बुद्धि।
शुल्क  अदा करो।
स्नातक, स्नातकोत्तर  ग्यारंटी।
आगे सिर्फ  अंग्रेज़ी बोलते।
केंपस इंटरव्यू,
नौकरी  ग्यारंटी।
अंग्रेज़ पोशाक,
अग्रजिह्वा में  अंग्रेज़ी, पोशाकें, खाना,पीना,
उठना,बैठना,
चमचागीरी  बस
ये सब सिखाने अध्यापक।
केवल शुल्क।
सभी कौशल,
सर्वांगीण विकास।
आधुनिक शिक्षक,
शिक्षाप्रणाली में
भारत  में  करोडपति ज्यादा।
हर विषय  के अलग-अलग विशेषज्ञ।
विज्ञान  अध्यापक  गणित  नहीं  जानते।
हिंदी   और भारतीय  अध्यापक  के
उपदेशात्मक अनुशासन के दोहे  को प्राथमिकता नहीं।
संक्षेप  में  कहें  तो भारतीयता
भूल धन कमाने का, खर्च  करने की सीख सीखने,
हर क्षेत्र  के विशेषज्ञ  अध्यापक।
 गुरु से  संकुचित  ज्ञान, पर बाह्याडंबर  दिखावे के बडे
अध्यापक ।
सलाम। स्वरचित स्वचिंतक।
शिक्षक  के सामने सभी बराबर।
धनी निर्धनी  के  आसमान  पाताल का भेद।
स्वरचित स्वचिंतक:
यस.अनंतकृष्णन।

Tuesday, July 9, 2019

विचार प्रदूषण

अनंत शक्तिमान
अज्ञात  शक्ति  ,
आदी नाथ ने
ज्ञान चक्षु देकर
अमृत विष समान
काम,क्रोध, मद ,लोभ
विषैले गुणों  को
मन में बेचैनी ही बैचैनी के लिए
जाँच करने रखा है।
तुलसी ,कबीर  जैसे
संतों  द्वारा  भी चेतावनी दी है।
ये गुण  बुद्धिमानों को भी
बुद्धु बनाने के लिए।
फिर भी मानव न सुधरा।
स्वार्थ वश जग को
विचार प्रदूषित कर दिया है।
सभी प्रदूषणों  में  विचार  प्रदूषण
मानव को शांति से जीने नहीं देगा।