Thursday, August 10, 2023

जीवन की यात्रा शब्दों में

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई का नमस्कार। वणक्कम।।


  जीवन की यात्रा  शब्दों में।

  शब्द  की उत्पत्ति 

कैसी हुई ?

 पता नहीं।

 दिव्योत्पत्तियों के 

चमत्कारों में 

भाषोत्पत्ति 

अति अद्भुत।।

 संकेत से 

 मनोभाव कैसे?

 संकेत से पानी माँगना,

 खाना माँगना, 

 हाथ जोड़कर 

नमस्कार,  

आँखों का इशारा 

प्यार का संकेत।

आसान।

 शब्द का तो अपना 

विशिष्ट महत्व है।

  मीठे शब्द ,कठोर शब्द।

 दोस्ती बनानेवाले शब्द।।

जन्म वैरी बनानेवाले शब्द।

 आशीषों के शब्द।

 प्रशंसा के शब्द 

निंदा के शब्द  ।

  घृणा प्रद शब्द।

  तिरुवल्लुवर तमिल के विश्वविख्यात कवि,

 उनके ग्रंथ तिरुक्कुरळ में

कहा है ---

आग की चोट जल्दी भरेगी।

 जीभ की चोट कभी न भरेगी।।

 रहीम ने कहा --   


रहिमन जिहा बावरी, 

कहि गइ सरग पताल।

आपु तो कहि भीतर रही,

 जूती खात  कपाल।।

 शब्दों में ही जीवन की यात्रा है।

पाप-पुण्य,स्वर्ग -नरक,

 जन्म -मरण, सुख-दुख,

सच- झूठ, नास्तिक -आस्तिक

 लौकिक --अलौकिक

 जीवन यात्रा शब्दों में।।

 स्वरचित भावाभिव्यक्ति।

एस.अनंतकृष्णन।

 स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Tuesday, August 8, 2023

विसर्जन यहां पाप।

 भक्ति माने धर्म काम! न फेंको ईश्वर की मूर्ति।।

 ईश्वर की मूर्ति विसर्जन में,

 करोड़ों रूपये व्यर्थ।।

  विसर्जन  विघ्नेश्वर  का  अपमान।

अपमानित  गणपति कुपित।

 जैसे मूर्ति बिखेरती,वैसे ही हिंदू बिखरेंगे।।

शाप का परिणाम एकता की कमी।

  ईश्वर वंदनीय है, विसर्जन निंदनीय जान।

 न करो ऐसा दुष्कर्म।।

 शास्त्रों में वेदों में

 दान धर्म का संदेश।।

 तीस हजार रूपयों की मूर्ति,

 लहरों के थप्पड़ से छिन्न-भिन्न।

 यह तो मूर्ख अंध भक्ति  समझना।।

करोड़ों के विसर्जन रूपये,

 गरीबों के देश के शिक्षा के 

 विकास में करना ही बुद्धिमानी।।

सोचो, समझो, जानो पहचानो

करो भक्ति का पैसों का सदुपयोग।।

  एस. अनंतकृष्णन,

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Monday, August 7, 2023

भाषाएँ

 भाषाएँ

अंतर्राष्ट्रीय  उपलब्धियाँ

 अंग्रेज़ी या हिंदी नहीं,

 बुद्धि लब्धि फिर भी

कदम कदम पर चाहिए 

धन धन धन। 

धन न तो न सम्मान।

 पंजीकरण शुल्क,

 सहयोग राशि।

 हम लेखक घंटों बैठकर 

 सोच समझकर 

ईश्वरीय वरदान से 

लिखते हैं,

 योग्यता के आधार पर 

 प्रकाशक प्रकाशन करके

 लेखक को देंगे पैसे।

 पाठकों की संख्यानुसार।।

 अब लिखना भी है 

पैसा भी देना है

 फिर भी बगैर पैसे दिए

 मिले हैं सम्मान पत्र।

 उन महापुरूषों को

 दिल से प्रमाण।।

 भारतीय भाषाओं पर 

 धनियों का प्रेम चाहिए।

 शासकों का प्रोत्साहन चाहिए।

 भारतीय भाषाओं में 

जीविकोपार्जन की ऊर्जा चाहिए।

 केवल अनुवाद के लिए करोड़ों रुपए, 

 अनूदित किताबें गोदामों में,

 अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों की संख्या

 मातृभाषा माध्यम बंद।

 जनता वही चाहेंगी,

 जैसे प्रकाशन के लिए 

पंजीकरण शुल्क।

 शोध निबंध  लिखने  शुल्क।

 आमदनी का ही मार्ग नहीं,

 कदम रखने पैसे,

 पर जीविकोपार्जन असंभव।

750साल की आजादी 

आधुनिक समाज

 भात भूल गया,rice .

 समय भूल गया time.

चित्र भूल गया picture.

  भारतीय भाषाएँ धीरे धीरे ओझल।


एस. अनंत कृष्णन।

 स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

[08/08, 10:08 am] sanantha 50: भारतीय भाषाएँ हज़ारों नदारद।

 संस्कृत   जातीय नफ़रत।

 अंग्रेज़ी गुमाश्ते धन के लिए

 संस्कृत को पढ़ना लिखना भूल गये।

 सिखाना पाप समझा,

 अब 75साल आज़ादी के बाद

 विकास जारी।

 तमिलनाडु में नफ़रत फ़ैलाना जारी।

 जय अंग्रेज़ी, लक्ष्मी देवी।।

 लाखों करोड़ों की नौकरी। 

आज़ादी के 75साल ,

 हिंदी के विकास में कई लाख करोड़।।

 पर करोड़ों के नफ़रत का पात्र हिंदी।

 तमिलनाडु में अमूल्य प्राण त्यागने तैयार।।

 यह व्यर्थ का खर्च।

 हर साल सरकार अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल खोलने देती अनुमति।

 पता चला सरकारी स्कूल में 65हजार वेतन अध्यापक का।

 निजी स्कूलों में एक अध्यापक का वार्षिक वेतन तन 65हजार।

 अध्यापक बेगार।

 Increment नहीं, तब नौकरी से निकाल देते।

 अंग्रेज़ी स्कूल खोलने लाखों का रिश्वत।।

 अधिकारी मालामाल।

  एल.के.जी के लिए 50हजार से 7लाख तक दान।।

 सरकारी स्कूलों में  शौचालय नहीं।

देवालय हूंगी में मंत्री डालता लाखों रुपये।

 हीरे का मुकुट,सोने का कवच।

  जय भगवान।

Sunday, August 6, 2023

मानवता

 


नमस्ते वणक्कम 

एस.अनंतकृष्णन का।

मैं तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी

 प्रचारक और लेखक अनुवादक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक, स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक,  उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान,लखनू द्वारा

सौहार्द सम्मान प्राप्त हिंदी सेवक

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मानवता न तो मानव पशु समान।

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मन है तो मान है मान।

मान -सम्मान चाहिए तो

मानव को चाहिए मानवता।।

मानवता या इन्सानियत

 मानव को सम्मान ही नहीं

 मानवेतर चमत्कार का अधिकारी

 बना देता है।

 मानवता  ही  पाषाण युग के

पशु तुल्य  मानव को,

 मानव बनाया मान।।

 नंगे शिकारी जीवन,

हरा माँस खानेवाला,

 पेड़ के खोखले में रहनेवाला,

जंगली पशु ही मानव।।

मानव का जीवन अस्थिर था।

ईश्वर ने बुद्धि बल दिया तो 

मानव में स्थिरता आती।।

आग , चक्र,खेती का पता लगाया।

 स्थिरता आयी, स्थिरता में संस्कार।

संस्कार में सभ्यता,

मन में उच्च विचार।।

 परोपकार की भावना।

 दान धर्म का अपनाना,

धन जोड़ना तन छोड़ने के दिन

न आएगा काम।

काम, क्रोध,मद,लोभ,ईर्ष्या ,

मानव को पशु ही बना देता है जान।।

मानवता ही मानव की मर्यादा।।

पुण्य काम करने की प्रेरणा,

 मित्रता निभाने का आधार।

माता-पिता गुरुजनों को देवतुल्य मानना।

 मन में आदर्श विचार लाना,

जीने और जीने देने की सोच।।

 कर्तव्य निभाना, काल की याद रखना।।

जानो मानो मानव का मान प्राप्त करने

मनुष्यता या इन्सानियत या मानवता निभाना।।

स्वरचित एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै।।

प्रधान अध्यापक, अवकाश प्राप्त।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 












 

 







 

 

 








Saturday, August 5, 2023

मानवता न तो मानव

 मानवता न तो मानव मानव नहीं दानव, पशु समान 

स्‌नातक स्नातकोत्तर, पर तलाक का मुकद्दमा अधिक.

आत्मसंयम कम,अवैध संबंध की खबरें अधिक।

आधुनिक शिक्षा में धर्म नहीं,अनुशासन नहीं ।

केवल स्नातक । विश्वविद्यालयों की संख्या अधिक।.

माता -पिता बुढापे में वृद्धाश्रम में। 

नये नाते के बंधन में, आदी नाथा बंद ।

त्यागमय जीवन नहीं,भोगमय जीवन ।

मानवता का,भारतीय संस्कृति का ,

संयम की सीख,अत्यंत है आवश्यक ।

एस.अनंतकृष्णन,तमिलनाडु चेन्नै .

आसान

 नमस्ते। वणक्कम।

एस.अनंतकृष्णन का।

शीर्षक ,--आसान नहीं होता गृहिणी होना।

 विधा --अपनी भाषा अपनी शैली अपने विचार।

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 मैं  गृहिणी ,

अब मेरी बेटी,

गृहिणी होनेवाली है।

कहा, बेटी! तेरी शादी होनेवाली है।

 गृहिणी होना आसान नहीं है,

  यहाँ का कुलदेव अलग,

  प्रार्थना का ढंग अलग।

  खान-पान बनाना अलग।

 मिठाई का भेद भी अलग।

 वहाँ का आबोहवा भी अलग।।

 पहाड़ से घाटी की ओर।

वहाँ गर्मी अधिक।

 सास-ससुर  का स्वाद अलग।

 देवर -देवरानी  का पसंद अलग।

 घर की सफाई भी अलग।

 पानी  का स्वाद भी अलग।

खाद्य-पदार्थों में घी ,

तेल डालना भी अलग-अलग।।

आगबबूला होना भी अलग-अलग।

फूँक फूँककर चलना है,

कदम कदम पर, पल पल।।

सावधान रहना।‌

 बेटी ने कहा - हमारा खाना

 बिज्जा,बर्गर,नान।

ये फोन रखने पर आएगा।

 मैं भी दफ्तर, वह भी दफ़्तर।

 सास ससुर   भी दफ़्तर ।

 हम हैं नयी गृहिणी।।

 स्नातक स्नातकोत्तर।

 हमारे वेतन ठंडा बना देगी सब को।।

एस.अनंतकृष्णन।

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक

Tuesday, August 1, 2023

भारत

 नमस्ते वणक्कम।

  एस.अनंतकृष्णन  का।

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कलंकित भारत,

मणिपुर मात्र नहीं,

इत्र तत्र सर्वत्र।।

 आज कल की बात नहीं,

 रामायण,महाभारत काल  से

 आज तक।।

यह का अपराध शासक,

धनी, उच्च वर्ग के कारण।

 रामायण के शुरु करते ही 

यही कहते हैं दशरथ के तीन रानियाँ।

महाभारत के शुरुआत में ही कहते हैं

 वीर पुरुष भीष्म ने तीन राजकुमारियों को

जबर्दस्त ले आया।

ये लड़कियों पर का अत्याचार

राजाओं की वीरता,

अंतःपुर  की रानियों की संख्या से ही

आंकी जाती हैं।

  आजकल के चित्रपट के गीत,

   अनुशासन नीतिग्रंथ रहित  पाठ्यक्रम।

    अनुशासन रहित खबरों की नींव।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक एस.अनंतकृष्णन।