Monday, June 30, 2025

हिंदी तमिल जानो

 


जय श्री राम।

வணக்கம்.वणक्कम् நமஸ்தே नमस्ते।

ஹிந்தி தமிழ் அறிவோம்.

हिंदी तमिल जानेंगे।

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.

 से.अनंतकृष्णन




இறைவனை நினைப்போம்

ईश्वर का स्मरण करेंगे। हिंदी 

इरेवनै निनैप्पोम्। तमिऴ् 


இறைவனையே சரணடைவோம்.

ईश्वर  की शरणागति  हम।

इरैवनैये शरणडैवोम!


  நமது தேவை அவனறிவான்.

 हमारी माँग जानता है लह‌

नमतु तेवै अवनऱिवान।


 நம்மை அவன் படைத்ததற்கு

 ஒரு நோக்கம் இருக்கும்.

हमारी सृष्टि का एक उद्देश्य होंगे।

नम्मै अवन् पडैत्ततऱकु ऒरु नोक्कम इरुक्कुम्।



 அதற்கான 

ஆற்றலைத் தருவான்.


उसकी ऊर्जा वह देगा।

अतऱकान आट्रलै अवन तरुवान।।


 எனக்களித்த ஆற்றல் ஹிந்தி.

 मुझे दिया है हिंदी की उर्जा।

ऍनक्कळित्त आट्रल् हिंदी।

 சிலருக்கு வணிக ஆற்றல்.

क्यों को  व्यापारिक ऊर्जा।

सिलरुक्कु वणिक आट्रल्।

 சிலருக்கு பரம்பரை அதிகாரம்.

कुछों को परंपरागत अधिकार।

सिलरुक्कु परंपरै अधिकारम्।


 சொத்துக்கள்.

संपत्तियाँ।

सोत्तुक्कळ्।

 சிலருக்கு ஆரோக்கிய உடல்.

कुछों को स्वस्थ शरीर।

सिलरुक्कु आरोग्य उडल्।

 அறிவியல் ஞானம்.

वैज्ञानिक ज्ञान।


கிணறு தோண்ட 


किणरु तोंड,

குளி வெட்ட ,

गड्ढा खोदने

कुळि वेट्ट


குப்பை அள்ள 

कूड़ा उठाने 

कुप्पै अळ्ळ

 அவைகளில்

उनमें 

अवैकळिल्

 ஈடுபடும் 

लगने

ईडुपडुम्

ஆர்வம் 

जिज्ञासा 

आर्वम्

சக்தி .

शक्ति।

शक्ति।

அறிவு  ज्ञान 


ஆண்டவன்  भगवान 

அளிப்பதே.की देन।

आंडवन अळिप्पते।

 அவனை வழிபடுவோம்.

उसकी प्रार्थना करेंगे।

 நமது எண்ணங்கள்

 நிறைவேறும்.


हमारे विचार पूर्ण होंगे।

नमतु ऍण्णंकळ् निऱैवेऱुम्।



 ஓம்கணேசாய நமஹ.

ओं गणेशाय नमः 

ஓம் கார்த்திகேயாய நமஹ.

ओं कार्तिकेय आय नमः 

ஓம் நமசிவாய. 

ஓம் नमः शिवाय 


 துர்காயை நமஹ.

दुर्गा मैं नमः।


ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் 

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 


आनंद

 आनंद के क्षण

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

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दर्द,रुदन, चीख, चिल्लाहट

 बाद में आनंद के क्षण।

 हाँ, माँ की प्रसव वेदना,

 शिशु बाहर आते 

 असह्य दर्द चीख।

शिशु का रुदन ।

 रुदन सुनकर 

 माँ के चेहरे में मुस्कुराहट।

दादा दादी नाना नानी 

 सब के लिए 

 आनंद के क्षण।

 मानव जीवन का शुभारंभ ही ऐसा।

 पल पल में सुख।

 पल-पल में दुख।

  मानव जीवन में।

 परीक्षा में उत्तीर्ण 

 अच्छे अंक आनंद के क्षण।

 परीक्षा में उत्तीर्ण ,

 कम अंक

 आनंद और दुख मिला क्षण।

 शासक दल में चुनाव 

जीतना अति आनंद क्षण।

 चुनाव जीतकर 

पद न मिलना आनंद और

 दुख के क्षण।

  मानव जीवन में 

 आनंद के क्षण

 प्रयत्न,परिश्रम के कारण।।

 नौकरी मिली, आनंद के क्षण।

 विदेश में नौकरी आनंद।

 माता-पिता ,भाई बहन को

 पत्नी बच्चे को बिछोह के क्षण।

 यही मानव जीवन के

 विरह मिलन के आनंद क्षण।

 पूर्णानंद कैसे?कब?

अतः आनंद के क्षण ही अधिक।

Sunday, June 29, 2025

प्रकृति का प्रकोप। एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 30-6-25. प्रकृति पंच तत्वों से बनी है, एक तत्व न तो जीना दुश्वार। प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना मानव मानव का कर्तव्य। हवा है उससे फैलते हैं संक्रामक रोग। पानी से फैलती बीमारियाँ। भूमि भी अपनी संतुलन खो बैठती। आकाश भी कलंकित हो जाता। गरमी बढ़ती , पंच तत्वों को साफ़ साफ़ रखना न तो प्राकृतिक प्रकोप बढ़ जाता। जंगलों को काटने से भूमि स्खलन, वायु की स्थिति बदलना, भूकंप, कारखानों के धुएँ से वायु प्रदूषण, कारखानों के रसायनिक अवशेषों से भूतल के पानी प्रदूषण आवागमन साधनों से ध्वनी प्रदूषण, धुएँ से वायु प्रदूषण। प्रकृति प्रकोप से अतिवृष्टि अनावृष्टि। भूकंप, सुनामी, समुद्र प्रकोप,दावानल, ज्वालामुखी पहाड़ जलन। इन प्राकृतिक प्रकोपों से बढ़कर अति भयंकर विचारों का प्रदूषण।। अश्लील नाच गाना गोद संगणिक खेल। इन सब से न बचें तो प्राकृतिक प्रकोप। बचने जंगलों को नगर विकास के नाम से नष्ट न करवाना। झीलों को नदारद करना। भारतीय ऋषि मुनि वन महोत्सव मनाते थे, हवन यज्ञ करते थे। अब जंगल नगर बन रहा है। अब वृक्ष लगाना है, पानी में नदियों में विषैले वायु को साफ़ करना रसायनिक खादों के बदले प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, रसायनिक विषैले पानी अवशेषों को साफ करना, नदियों में मिश्रित होने से रोकना। कूड़ों को कूड़ेदानों में डालना, खुद बचना और संसार को बचाना ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव का कर्तव्य है जान।।

 प्रकृति का प्रकोप।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

30-6-25.

प्रकृति पंच तत्वों  से बनी है,

 एक तत्व न तो जीना दुश्वार।

प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना 

मानव मानव का कर्तव्य।

हवा है उससे 

 फैलते हैं

 संक्रामक रोग।

 पानी से फैलती बीमारियाँ।

भूमि भी  अपनी 

संतुलन खो बैठती।

आकाश भी 

कलंकित हो जाता।

गरमी बढ़ती ,

 पंच तत्वों को

 साफ़ साफ़ रखना 

न तो

प्राकृतिक प्रकोप

 बढ़ जाता।

जंगलों को काटने से

 भूमि स्खलन,

 वायु की स्थिति बदलना,

 भूकंप, 

 कारखानों के धुएँ से

वायु प्रदूषण,

 कारखानों के रसायनिक अवशेषों से  भूतल के पानी प्रदूषण 

 आवागमन  साधनों से

 ध्वनी प्रदूषण,

धुएँ से वायु प्रदूषण।

प्रकृति प्रकोप से

अतिवृष्टि अनावृष्टि।

भूकंप, सुनामी,

 समुद्र प्रकोप,दावानल,

ज्वालामुखी पहाड़ जलन।


 इन प्राकृतिक

 प्रकोपों से बढ़कर 

अति भयंकर 

विचारों का प्रदूषण।।

अश्लील नाच गाना 

 गोद संगणिक खेल।

इन सब से न बचें तो

प्राकृतिक प्रकोप।

 बचने जंगलों को 

नगर विकास के नाम से

 नष्ट न करवाना।

झीलों को नदारद करना।

भारतीय ऋषि मुनि 

वन महोत्सव मनाते थे,

हवन यज्ञ करते थे।

अब जंगल नगर

 बन रहा है।

अब वृक्ष लगाना है,

पानी में नदियों में 

 विषैले वायु को 

साफ़ करना

रसायनिक खादों के बदले

 प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना,

रसायनिक विषैले पानी अवशेषों को साफ करना,

नदियों में मिश्रित होने से रोकना।

 कूड़ों को कूड़ेदानों में डालना,

 खुद बचना और संसार को बचाना

ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव का

 कर्तव्य है जान।।

Saturday, June 28, 2025

समय

 समय की धारा 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

29-6-25.

…......

समय की धारा 

 रुकती नहीं,

 पानी की धारा 

 चट्टानों से टकराती है,पर

 समय की धारा चलती रहती है।

विचारों की धारा तो

 सुंदरता देख 

 किसी की परवाह नहीं करती।

 तेज हवा भी  ऊँची पहाड़ी में ज़रा कम होती,

पर समय की धारा 

 अबाध गती से

 पल पल चलती रहती।

समय की धारा रोककर 

कोई काम नहीं कर सकता।

पानी की धारा बाँध से रुकती।

 समय की धारा  का  बाँध बनाना असंभव।

बचपन चला, लड़कपन चला, जवानी चली।

 बुढापा आया।

पैसे हैं इलाज से तपस्या से

मेरा बचपन न वापस।

 जवानी न वापस 

 समय की धारा 

 किसी की न सुनती।

पैसे का बरबाद फिर कमाया।

 समय का बरबाद बरबाद ही।

 समय की धारा रोकी नहीं जाती।

समय के बरबाद से

पछताना ही बचता।

Friday, June 27, 2025

सत्य

 सत्य की पुकार।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 28-6-25.

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सत्य की पुकार सुनी,

 पीछा किया 

‌आज भी केवल 

उनका नाम सत्यवादी के रूप में लिया जाता है।

 हरिश्चन्द्र  की कहानी 

 पता नहीं सत्य के पालने के लिए  या

 सत्य से मुख मोड़ने के लिए।

 शब्द में जादू करके

 कृष्ण ने द्रोणाचार्य को 

 निहत्था बना दिया।

 धर्म क्षेत्रे, गुरु क्षेत्रे 

 कहते हैं 

 युद्ध  में अधर्म चला।

 जीतकर भी पांडव दुखी।

आजकल के चित्र पटों में 

 सत्यप्रिय अधिकारी सपरिवार मारे जाते हैं।

सत्यवानों को 

डराने के लिए।

 युवकों को डराने के लिए 

चित्रपट में इंस्पेक्टर अमीरों से लाखों लेकर

 निरपराधी को मारते हैं।।

मंत्री भी खलनायक को

 बचाने में ‌

सत्यमेव जयते सही।

सत्य की पुकार कौन सुनेगा।

सचमुच मैं सत्यवादी हूं।

अकेला हूँ।

सत्य की पुकार सुनकर 

 कोई चुनाव नहीं लडता।

वोट के लिए नोट।

 काले धन का भरमार खर्च।

 चुनाव आयोग मौन?

 सत्य की पुकार कौन सुनता।

 पर सत्य की पुकार का अपना महत्व है।

सत्य का हार असहनीय है।

सबके दिलों में चुभता है।

अतः सब सत्य की पुकार मानकर  सत्यमेव जयते 

का नारा लगाते हैं।

Thursday, June 26, 2025

सुख की खोज

 खुशियों की तलाश।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

27-6-25.

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शिशु का जन्म,

रोते हुए होता है,

 रोना भी पेट भरकर

भूख शांत करके 

  हँसने के लिए।

आदमी आनंद मनाने के लिए  धन की तलाश में।

अमीर पति और सुंदर पत्नी की तलाश में।

 मानव शरीर और

 जीने का संसार नश्वर।

 मानव सद्यःफल की खुशी के लिए,

लौकिक सुखों के 

 पीछे पड़कर दुख 

झेलता रहता है।

 दुख अधिक होने पर

खुशियों की तलाश में 

ज्योतिष की तलाश में,

तीर्थ यात्रा में,

ध्यान में 

आध्यात्मिक मार्ग पर

 खुशियों की तलाश में।

 ऐसे लोगों का स्वास्थ्य 

 अच्छा लगता है।

 कुछ लोग लौकिक वासनाओं के पीछे 

 पड़कर दुख को सुख मानकर   मधुशाला 

 माधुशाला में  ,

 माधुशाला के सुख को  

असली सुख मानकर

 खुशी खोज लेते हैं।

धूम्रपान में, नशीली  तंबाकू  में 

खुशियाँ खोज लेते हैं,

वही    दुख के रोग के कारण न समझते।

  चित्रपट के निर्माता निर्देशक 

 धन के लोभ में 

 युवकों के संयम बिगाड़कर 

 खुशी खोज लेते हैं।

भ्रष्टाचारी 

 राजनैतिक लोग,

 ठेकेदार  मनमाना लूटकर 

 खुशी की तलाश

    करते हैं।

 जो हो धनी हो या गरीब 





   



  

 

 

 



 

 





 


 




खुशियों की तलाश में।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

27-6-25.

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मानव जीवन सुख दुख की आँख मिचौनी 

 खेल समान।

 मानव खुशी की खोज में 

 दो मार्गों में चलते हैं,

 एक लौकिक दूसरा अलौकिक।।

 लौकिक माया मार्ग के

 अस्थाई सुख को

 स्थाई मानकर

 वासनाओं में फँसकर तड़पता रहता है।

 मधुशाला और माधुशाला का दास बन जाता है।

 नशीली चीजोंके सेवन कर सुध-बुध खो बैठता है,

 दुख को सुख 

मानकर जीता है।

 दुख में खुशी खोज

 लेता है।

 अलौकिक मार्ग पर

 आत्मसंतोष आत्मानंद  के चाहक 

ज्योतिष के चरण लेते हैं,

 प्रायश्चित करते हैं,

फिर भी दुखी रहते हैं।

 कुछ लोग आचार्य के आश्रम में चरण लेते हैं।

 कुछ लोग तीर्थयात्रा 

 करते हैं,

 मंदिर मंदिर में 

 खुशी की खोज में 

  फिरते हैं।

  कुछ लोग ध्यान तपस्या में लग जाते हैं।

आदमी अपनी अपनी खुशियाँ खोज ही लेता है।

 लौकिक हो या लौकिक 

 अंत में कफ़न ही बचता है।







  



 






 




 

 










 






Tuesday, June 24, 2025

मानव का बल

 जीवन का आधार 

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई

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 हम जीवन का आधार 

 नश्वर शरीर और संसार मानते हैं।

 लौकिक सुखों में आनंद मनाते हैं।

 जीवन में सुख दुख

 बदल बदलकर आते हैं।

 जीवन का आधार 

वास्तव में स्वयं को समझना है।

 आत्मबोध आत्मविश्वास 

 आत्मज्ञान प्राप्त करना है।

मनको काबू में रखना,

 आत्मा में मन को विलीन करना है।

 आत्मा परमात्मा एक समझना है।

 जीवन  में  तटस्थ रहना है।

भेद भाव राग-द्वेष  दूर करना है।

 दृढ़ विश्वास करना है कि

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।।

  ईश्वर की कृपा प्राप्त करनी है,

कबीर का दोहा सदा याद रखनी है।

 जाको राखे साइयां मारी न सकै कोय।

 बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।