Monday, June 30, 2025

हिंदी तमिल जानो

 


जय श्री राम।

வணக்கம்.वणक्कम् நமஸ்தே नमस्ते।

ஹிந்தி தமிழ் அறிவோம்.

हिंदी तमिल जानेंगे।

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.

 से.अनंतकृष्णन




இறைவனை நினைப்போம்

ईश्वर का स्मरण करेंगे। हिंदी 

इरेवनै निनैप्पोम्। तमिऴ् 


இறைவனையே சரணடைவோம்.

ईश्वर  की शरणागति  हम।

इरैवनैये शरणडैवोम!


  நமது தேவை அவனறிவான்.

 हमारी माँग जानता है लह‌

नमतु तेवै अवनऱिवान।


 நம்மை அவன் படைத்ததற்கு

 ஒரு நோக்கம் இருக்கும்.

हमारी सृष्टि का एक उद्देश्य होंगे।

नम्मै अवन् पडैत्ततऱकु ऒरु नोक्कम इरुक्कुम्।



 அதற்கான 

ஆற்றலைத் தருவான்.


उसकी ऊर्जा वह देगा।

अतऱकान आट्रलै अवन तरुवान।।


 எனக்களித்த ஆற்றல் ஹிந்தி.

 मुझे दिया है हिंदी की उर्जा।

ऍनक्कळित्त आट्रल् हिंदी।

 சிலருக்கு வணிக ஆற்றல்.

क्यों को  व्यापारिक ऊर्जा।

सिलरुक्कु वणिक आट्रल्।

 சிலருக்கு பரம்பரை அதிகாரம்.

कुछों को परंपरागत अधिकार।

सिलरुक्कु परंपरै अधिकारम्।


 சொத்துக்கள்.

संपत्तियाँ।

सोत्तुक्कळ्।

 சிலருக்கு ஆரோக்கிய உடல்.

कुछों को स्वस्थ शरीर।

सिलरुक्कु आरोग्य उडल्।

 அறிவியல் ஞானம்.

वैज्ञानिक ज्ञान।


கிணறு தோண்ட 


किणरु तोंड,

குளி வெட்ட ,

गड्ढा खोदने

कुळि वेट्ट


குப்பை அள்ள 

कूड़ा उठाने 

कुप्पै अळ्ळ

 அவைகளில்

उनमें 

अवैकळिल्

 ஈடுபடும் 

लगने

ईडुपडुम्

ஆர்வம் 

जिज्ञासा 

आर्वम्

சக்தி .

शक्ति।

शक्ति।

அறிவு  ज्ञान 


ஆண்டவன்  भगवान 

அளிப்பதே.की देन।

आंडवन अळिप्पते।

 அவனை வழிபடுவோம்.

उसकी प्रार्थना करेंगे।

 நமது எண்ணங்கள்

 நிறைவேறும்.


हमारे विचार पूर्ण होंगे।

नमतु ऍण्णंकळ् निऱैवेऱुम्।



 ஓம்கணேசாய நமஹ.

ओं गणेशाय नमः 

ஓம் கார்த்திகேயாய நமஹ.

ओं कार्तिकेय आय नमः 

ஓம் நமசிவாய. 

ஓம் नमः शिवाय 


 துர்காயை நமஹ.

दुर्गा मैं नमः।


ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் ஓம் 

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 


आनंद

 आनंद के क्षण

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

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दर्द,रुदन, चीख, चिल्लाहट

 बाद में आनंद के क्षण।

 हाँ, माँ की प्रसव वेदना,

 शिशु बाहर आते 

 असह्य दर्द चीख।

शिशु का रुदन ।

 रुदन सुनकर 

 माँ के चेहरे में मुस्कुराहट।

दादा दादी नाना नानी 

 सब के लिए 

 आनंद के क्षण।

 मानव जीवन का शुभारंभ ही ऐसा।

 पल पल में सुख।

 पल-पल में दुख।

  मानव जीवन में।

 परीक्षा में उत्तीर्ण 

 अच्छे अंक आनंद के क्षण।

 परीक्षा में उत्तीर्ण ,

 कम अंक

 आनंद और दुख मिला क्षण।

 शासक दल में चुनाव 

जीतना अति आनंद क्षण।

 चुनाव जीतकर 

पद न मिलना आनंद और

 दुख के क्षण।

  मानव जीवन में 

 आनंद के क्षण

 प्रयत्न,परिश्रम के कारण।।

 नौकरी मिली, आनंद के क्षण।

 विदेश में नौकरी आनंद।

 माता-पिता ,भाई बहन को

 पत्नी बच्चे को बिछोह के क्षण।

 यही मानव जीवन के

 विरह मिलन के आनंद क्षण।

 पूर्णानंद कैसे?कब?

अतः आनंद के क्षण ही अधिक।

Sunday, June 29, 2025

प्रकृति का प्रकोप। एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 30-6-25. प्रकृति पंच तत्वों से बनी है, एक तत्व न तो जीना दुश्वार। प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना मानव मानव का कर्तव्य। हवा है उससे फैलते हैं संक्रामक रोग। पानी से फैलती बीमारियाँ। भूमि भी अपनी संतुलन खो बैठती। आकाश भी कलंकित हो जाता। गरमी बढ़ती , पंच तत्वों को साफ़ साफ़ रखना न तो प्राकृतिक प्रकोप बढ़ जाता। जंगलों को काटने से भूमि स्खलन, वायु की स्थिति बदलना, भूकंप, कारखानों के धुएँ से वायु प्रदूषण, कारखानों के रसायनिक अवशेषों से भूतल के पानी प्रदूषण आवागमन साधनों से ध्वनी प्रदूषण, धुएँ से वायु प्रदूषण। प्रकृति प्रकोप से अतिवृष्टि अनावृष्टि। भूकंप, सुनामी, समुद्र प्रकोप,दावानल, ज्वालामुखी पहाड़ जलन। इन प्राकृतिक प्रकोपों से बढ़कर अति भयंकर विचारों का प्रदूषण।। अश्लील नाच गाना गोद संगणिक खेल। इन सब से न बचें तो प्राकृतिक प्रकोप। बचने जंगलों को नगर विकास के नाम से नष्ट न करवाना। झीलों को नदारद करना। भारतीय ऋषि मुनि वन महोत्सव मनाते थे, हवन यज्ञ करते थे। अब जंगल नगर बन रहा है। अब वृक्ष लगाना है, पानी में नदियों में विषैले वायु को साफ़ करना रसायनिक खादों के बदले प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना, रसायनिक विषैले पानी अवशेषों को साफ करना, नदियों में मिश्रित होने से रोकना। कूड़ों को कूड़ेदानों में डालना, खुद बचना और संसार को बचाना ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव का कर्तव्य है जान।।

 प्रकृति का प्रकोप।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

30-6-25.

प्रकृति पंच तत्वों  से बनी है,

 एक तत्व न तो जीना दुश्वार।

प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना 

मानव मानव का कर्तव्य।

हवा है उससे 

 फैलते हैं

 संक्रामक रोग।

 पानी से फैलती बीमारियाँ।

भूमि भी  अपनी 

संतुलन खो बैठती।

आकाश भी 

कलंकित हो जाता।

गरमी बढ़ती ,

 पंच तत्वों को

 साफ़ साफ़ रखना 

न तो

प्राकृतिक प्रकोप

 बढ़ जाता।

जंगलों को काटने से

 भूमि स्खलन,

 वायु की स्थिति बदलना,

 भूकंप, 

 कारखानों के धुएँ से

वायु प्रदूषण,

 कारखानों के रसायनिक अवशेषों से  भूतल के पानी प्रदूषण 

 आवागमन  साधनों से

 ध्वनी प्रदूषण,

धुएँ से वायु प्रदूषण।

प्रकृति प्रकोप से

अतिवृष्टि अनावृष्टि।

भूकंप, सुनामी,

 समुद्र प्रकोप,दावानल,

ज्वालामुखी पहाड़ जलन।


 इन प्राकृतिक

 प्रकोपों से बढ़कर 

अति भयंकर 

विचारों का प्रदूषण।।

अश्लील नाच गाना 

 गोद संगणिक खेल।

इन सब से न बचें तो

प्राकृतिक प्रकोप।

 बचने जंगलों को 

नगर विकास के नाम से

 नष्ट न करवाना।

झीलों को नदारद करना।

भारतीय ऋषि मुनि 

वन महोत्सव मनाते थे,

हवन यज्ञ करते थे।

अब जंगल नगर

 बन रहा है।

अब वृक्ष लगाना है,

पानी में नदियों में 

 विषैले वायु को 

साफ़ करना

रसायनिक खादों के बदले

 प्राकृतिक खादों का प्रयोग करना,

रसायनिक विषैले पानी अवशेषों को साफ करना,

नदियों में मिश्रित होने से रोकना।

 कूड़ों को कूड़ेदानों में डालना,

 खुद बचना और संसार को बचाना

ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव का

 कर्तव्य है जान।।

Saturday, June 28, 2025

समय

 समय की धारा 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

29-6-25.

…......

समय की धारा 

 रुकती नहीं,

 पानी की धारा 

 चट्टानों से टकराती है,पर

 समय की धारा चलती रहती है।

विचारों की धारा तो

 सुंदरता देख 

 किसी की परवाह नहीं करती।

 तेज हवा भी  ऊँची पहाड़ी में ज़रा कम होती,

पर समय की धारा 

 अबाध गती से

 पल पल चलती रहती।

समय की धारा रोककर 

कोई काम नहीं कर सकता।

पानी की धारा बाँध से रुकती।

 समय की धारा  का  बाँध बनाना असंभव।

बचपन चला, लड़कपन चला, जवानी चली।

 बुढापा आया।

पैसे हैं इलाज से तपस्या से

मेरा बचपन न वापस।

 जवानी न वापस 

 समय की धारा 

 किसी की न सुनती।

पैसे का बरबाद फिर कमाया।

 समय का बरबाद बरबाद ही।

 समय की धारा रोकी नहीं जाती।

समय के बरबाद से

पछताना ही बचता।

Friday, June 27, 2025

सत्य

 सत्य की पुकार।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 28-6-25.

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सत्य की पुकार सुनी,

 पीछा किया 

‌आज भी केवल 

उनका नाम सत्यवादी के रूप में लिया जाता है।

 हरिश्चन्द्र  की कहानी 

 पता नहीं सत्य के पालने के लिए  या

 सत्य से मुख मोड़ने के लिए।

 शब्द में जादू करके

 कृष्ण ने द्रोणाचार्य को 

 निहत्था बना दिया।

 धर्म क्षेत्रे, गुरु क्षेत्रे 

 कहते हैं 

 युद्ध  में अधर्म चला।

 जीतकर भी पांडव दुखी।

आजकल के चित्र पटों में 

 सत्यप्रिय अधिकारी सपरिवार मारे जाते हैं।

सत्यवानों को 

डराने के लिए।

 युवकों को डराने के लिए 

चित्रपट में इंस्पेक्टर अमीरों से लाखों लेकर

 निरपराधी को मारते हैं।।

मंत्री भी खलनायक को

 बचाने में ‌

सत्यमेव जयते सही।

सत्य की पुकार कौन सुनेगा।

सचमुच मैं सत्यवादी हूं।

अकेला हूँ।

सत्य की पुकार सुनकर 

 कोई चुनाव नहीं लडता।

वोट के लिए नोट।

 काले धन का भरमार खर्च।

 चुनाव आयोग मौन?

 सत्य की पुकार कौन सुनता।

 पर सत्य की पुकार का अपना महत्व है।

सत्य का हार असहनीय है।

सबके दिलों में चुभता है।

अतः सब सत्य की पुकार मानकर  सत्यमेव जयते 

का नारा लगाते हैं।

Thursday, June 26, 2025

सुख की खोज

 खुशियों की तलाश।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

27-6-25.

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शिशु का जन्म,

रोते हुए होता है,

 रोना भी पेट भरकर

भूख शांत करके 

  हँसने के लिए।

आदमी आनंद मनाने के लिए  धन की तलाश में।

अमीर पति और सुंदर पत्नी की तलाश में।

 मानव शरीर और

 जीने का संसार नश्वर।

 मानव सद्यःफल की खुशी के लिए,

लौकिक सुखों के 

 पीछे पड़कर दुख 

झेलता रहता है।

 दुख अधिक होने पर

खुशियों की तलाश में 

ज्योतिष की तलाश में,

तीर्थ यात्रा में,

ध्यान में 

आध्यात्मिक मार्ग पर

 खुशियों की तलाश में।

 ऐसे लोगों का स्वास्थ्य 

 अच्छा लगता है।

 कुछ लोग लौकिक वासनाओं के पीछे 

 पड़कर दुख को सुख मानकर   मधुशाला 

 माधुशाला में  ,

 माधुशाला के सुख को  

असली सुख मानकर

 खुशी खोज लेते हैं।

धूम्रपान में, नशीली  तंबाकू  में 

खुशियाँ खोज लेते हैं,

वही    दुख के रोग के कारण न समझते।

  चित्रपट के निर्माता निर्देशक 

 धन के लोभ में 

 युवकों के संयम बिगाड़कर 

 खुशी खोज लेते हैं।

भ्रष्टाचारी 

 राजनैतिक लोग,

 ठेकेदार  मनमाना लूटकर 

 खुशी की तलाश

    करते हैं।

 जो हो धनी हो या गरीब 





   



  

 

 

 



 

 





 


 




खुशियों की तलाश में।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

27-6-25.

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मानव जीवन सुख दुख की आँख मिचौनी 

 खेल समान।

 मानव खुशी की खोज में 

 दो मार्गों में चलते हैं,

 एक लौकिक दूसरा अलौकिक।।

 लौकिक माया मार्ग के

 अस्थाई सुख को

 स्थाई मानकर

 वासनाओं में फँसकर तड़पता रहता है।

 मधुशाला और माधुशाला का दास बन जाता है।

 नशीली चीजोंके सेवन कर सुध-बुध खो बैठता है,

 दुख को सुख 

मानकर जीता है।

 दुख में खुशी खोज

 लेता है।

 अलौकिक मार्ग पर

 आत्मसंतोष आत्मानंद  के चाहक 

ज्योतिष के चरण लेते हैं,

 प्रायश्चित करते हैं,

फिर भी दुखी रहते हैं।

 कुछ लोग आचार्य के आश्रम में चरण लेते हैं।

 कुछ लोग तीर्थयात्रा 

 करते हैं,

 मंदिर मंदिर में 

 खुशी की खोज में 

  फिरते हैं।

  कुछ लोग ध्यान तपस्या में लग जाते हैं।

आदमी अपनी अपनी खुशियाँ खोज ही लेता है।

 लौकिक हो या लौकिक 

 अंत में कफ़न ही बचता है।







  



 






 




 

 










 






Tuesday, June 24, 2025

मानव का बल

 जीवन का आधार 

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई

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 हम जीवन का आधार 

 नश्वर शरीर और संसार मानते हैं।

 लौकिक सुखों में आनंद मनाते हैं।

 जीवन में सुख दुख

 बदल बदलकर आते हैं।

 जीवन का आधार 

वास्तव में स्वयं को समझना है।

 आत्मबोध आत्मविश्वास 

 आत्मज्ञान प्राप्त करना है।

मनको काबू में रखना,

 आत्मा में मन को विलीन करना है।

 आत्मा परमात्मा एक समझना है।

 जीवन  में  तटस्थ रहना है।

भेद भाव राग-द्वेष  दूर करना है।

 दृढ़ विश्वास करना है कि

 सबहीं नचावत राम गोसाईं।।

  ईश्वर की कृपा प्राप्त करनी है,

कबीर का दोहा सदा याद रखनी है।

 जाको राखे साइयां मारी न सकै कोय।

 बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।

  


 




Saturday, June 21, 2025

स्वार्थता

 स्वार्थ की दीवार 

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु।

22-6-25.

स्वार्थ की दीवार 

देश द्रोही बनाती।

 पुरुषोत्तम का भाई

 आंभी ने सिकंदर का साथ दिया।

 स्वार्थ की दीवार 

 सद्यःफल के लिए 

 अंग्रेज़ी  सीखी।

भारतीय वीर अंग्रेज़ी के सिपाही बने,


 संस्कृत के विद्वान 

 अंग्रेज़ी के पारंगत बने।

अपनी पोशाकें अपनी चोटी

 अपने आचार विचार तक बदल दिया।

अंग्रेज़ी स्कूलों की आमदनी ने

सद्यःफल की नौकरी ने

मातृ भाषा माध्यम स्कूलों को अपमानित माना।

स्वार्थता ने नोट लेकर

 भ्रष्टाचारियों को

 सांसद और विधायक 

 बना रहा है।

चित्रपट बदमाशों की शक्ति दिखाकर

 शुरुआत में न्याय अधिकारी,

 न्याधिपति को कत्ल करके

  धन के बल पर 

 अत्याचार,

 अंतराल तक बदमाश,

 वही सुधरकर 

 न्याय की रक्षा करता।

 न पुलिस,न न्यायाधीश।

बदमाश रक्षक बनता।

 स्वार्थी चित्रपट के निर्माता 

 अश्लीलता दिखाकर 

 धन कमाता।

 स्वार्थ की दीवार 

 रिश्वतखोरों को साथ देता।

झीलों को इमारतें बनाने

 नदारद कर देता।

जंगलों को नगर बनाता।

 हरियाली को नष्ट कर नगर विस्तार करता।

 खेती की भूमि में 

 इमारत ही इमारत।


 स्वार्थ राजनैतिक

 सद्यःफल के लिए 

 कच्ची सड़कें बनानेवाले 

 ठेकेदारों को ठेका देते।

 स्वार्थता मानव को कंजूसी बनाता।

महाभारत का घोर पाप युद्ध स्वार्थ के कारण ही।

  स्वार्थ की दीवार 

 अंधा होता।

   इतनी बड़ी दीवार बनाता,

नाते रिश्ते दोस्तों को दूर ही रखता।

 स्वार्थता स्वार्थी को 

 दुख ही देता,

 सुख नहीं।

 स्वार्थ अपनी कला को

 दूसरों को नहीं सिखाता।

 परिणाम भारतीय आदर्श

 हस्त कलाएँ  बर्बाद।

भारतीय चिकित्सा पद्धति नदारद।

Friday, June 20, 2025

योग दिवस

 योग दिवस

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु।

21-6-25.


भारत विश्व का ज्ञान गुरु,

 आध्यात्मिक गुरु,

 वैज्ञानिक ज्ञान को 

 ईश्वरीय ज्ञान  मानता ।

 ऐसे ज्ञान में योग अमूल्य देन।

 हज़ारों साल पुराना योग

 आज  अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य को प्रमुखता देकर मनाया जाता है।

  योग शारीरिक, मानसिक  शक्ति के लिए।

योग मन की एकाग्रता के लिए।

 योग आत्मविश्वास के लिए।

 योग आत्मबोध के लिए।

 योग आत्मज्ञान के लिए।

 योग शांतिप्रद, संतोष प्रद जीवन के लिए।

 मन की चंचलता मिटाने के लिए।

 माननीय प्रधानमंत्री  श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयत्न से विश्व योग दिवस ।

 मजहब धर्म विचार से परे

‍ विश्व हित के लिए,

 जगत कल्याण के लिए।


 योग दिवस।

   भारतीय ज्ञान दर्शन में 

   योग विज्ञान  संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए।

 आध्यात्मिकता   प्रधान,

 योग  आजकल 

 शारीरिक शक्ति के लिए।

 मानसिक तनाव दूर करने के लिए।

 जय जगत को सार्थक बनाने के लिए 

 योग दिवस ।

दशा की शिथिलता के लिए,

  अनेक रोगों से बचने के लिए।

 नीरोग जीवन के लिए।

 योग एक अपूर्व कला है।




 

Thursday, June 19, 2025

जग कल्याण

 जगत कल्याण 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

20-6-25.

भारत ऐसा आध्यात्मिक देश है,

जिसने संसार को सिखाया 

 वसुधैव कुटुंबकम्।

 जय जगत।

 भारतीय धर्म  कहता है 

 सर्वे जना सुखिनो भवन्तु।

  एक विशेष ग्रंथ ही श्रेष्ठ है, बाकी ग्रंथों को जलाओ।

 यह भारतीय धर्म नहीं,

  हर कोई भगवान है,

 हर व्यक्ति में 

  विशेष शक्ति है ।

 विवेकानंद का चिकाको भाषण,

 भाइयों, बहनों,

 पाश्चात्य देशों के दिलको

झकझोर कर दिया।

  बुद्ध का प्रेम, अहिंसा, सत्य संदेश,

 महावीर का जिओ,और जीने दो,

 गाँधी जी का सत्याग्रह 

 नानक संदेश 

 रोज दिन से रात तक

जो करते हो,

 उसे  लिखकर पढो।

 पता चलेगा, 

 बुरा क्या किया।

 अपने आप सुधारों।

जगत कल्याण 

 इन्सानियत पर होगा।

मनुष्यता न तो मनुष्य पशु बराबर।

 काम क्रोध मंद लोभ तजना जगत कल्याण।

कबीर ने कहा

 कुरान पढ़ते हो

वेद पढ़ते हो,

 खुदा को न जाना पहचाना।

भेद बुद्धि राग-द्वेष 

 जगत कल्याण की बहुत बड़ी बाधा।

धर्म मार्ग अपनाना 

 जगत कल्याण के लिए 

 अति आवश्यक।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

उल्लास यात्रा

 पिकनिक/ वन महोत्सव वन भोज।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

19-6-25.

मानव मन में 

 प्राकृतिक शोभा

 अति आनंद प्रद और संतोषप्रद।

 अपने नगरीय जीवन  से

ऊबकर समुद्र तट पर,

 जलप्रपात  में 

घने जंगल के छायादार में 

 एक दल के साथ जाना,

  जल प्रपात में नहाना,

समुद्र तट पर घूमना,

 वन में ऊंचे छायादार पेड़,

रंग-बिरंगे फूल,  पक्षी,

 हिरनों का चौकड़ी भरना,

 कितना मनोरम्य स्थान।

यह उल्लास यात्रा,

 घर से बनाये खुराक व्यंजन,

 विविध दोस्तों के घर से

 बनाये विविध पकवान।

 नागरीय जीवन से प्रदूषण से बचकर आनंद जीवन।

 स्वस्थ जीवन 

 वास्तव में पिकनिक में 

प्राकृतिक विश्रांति।

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु

Wednesday, June 18, 2025

संस्कृत पढ़कर धंधा करनेवाले ही आय के लिए ठगते हैं। आय जो है मानव बुद्धि को भ्रष्ट करती है। सद्यःफल के कारण ठगना न्याय सिद्ध हो जाता है। जैसे नोट देकर ओट पाते हैं। भ्रष्टाचारी फिर सांसद विधायक बनता है। वह राजशासन है तो यह धर्म शासान हैं। दक्षिण कला उत्तर कला के नाम से ऐयंकार बीच सड़क पर तू तू मैं मैं करते हैं। अदालत में मुकदमा लड़ते हैं। शिवा भक्त अपने अपने अलग संप्रदाय से मानव मानव में भेद। दीक्षा देने कम से कम दस हज़ार लेते हैं। वैसे ही विष्णु भक्त, राघवेन्द्र भक्त तिलक बदलकर अपनी विशिष्टता दिखाते हैं। तिलक बड़ा या ईश्वरत्व बड़ा

 संस्कृत पढ़कर धंधा करनेवाले ही आय के लिए ठगते हैं।

 आय जो है मानव बुद्धि को भ्रष्ट करती है।  सद्यःफल के कारण 

 ठगना न्याय सिद्ध हो जाता है। जैसे नोट देकर ओट पाते हैं। भ्रष्टाचारी  फिर सांसद विधायक बनता है। वह राजशासन है तो यह धर्म शासान हैं।

 दक्षिण कला उत्तर कला के नाम से ऐयंकार बीच सड़क पर तू तू मैं मैं करते हैं। अदालत में मुकदमा लड़ते हैं।

शिवा भक्त अपने अपने अलग संप्रदाय से मानव मानव में भेद। दीक्षा देने कम से कम दस हज़ार लेते हैं।

वैसे ही विष्णु भक्त,

 राघवेन्द्र भक्त तिलक बदलकर अपनी विशिष्टता दिखाते हैं।

 तिलक बड़ा या ईश्वरत्व बड़ा पता नहीं।

Tuesday, June 17, 2025

आत्मा परमात्मा

 आत्मविश्वास 

18-6-25.


एस . अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


विधा --अपनी हिंदी 

          अपने विचार। अपनी पूर्ण स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

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 नश्वर शरीर में 

 अनश्वर आत्मा।

परमात्मा का वास।

 भगवान  का अंश

 माया  शक्ति और मन

 दिव्य शक्ति पर 

डालता पर्दा।

मन माया के चक्कर में 

 विषय वासना में फँस जाता।

परिणाम दुख ही दुख झेलता।

 बाद में आत्मा परमात्मा का स्मरण आता।

 तभी आत्मज्ञान

 पुण्य पूर्व जन्म के कारण जागता।

  मोहनदास करमचंद गांधी लिखते हैं,

 मेरे बुरे व्यसनों से 

 मुक्ति ईश्वर से मिली।

 तब मन आत्मा में विलीन होता।

 आत्मा सत्य असत्य ,

 पाप पुण्य के भेद जानती।

 आत्मा, अपने बल को पहचान जाता।

अपने बोध ही ईश्वरीय अखंड बोध।

 आत्मज्ञान से आत्मविश्वास बढ़ जाता।

 नर नहीं, परमात्मा शक्ति तुझ में,

 दधिची का स्मरण दिलाता।

 निराशा आशा में बदलता।

 विचार तरंगें तम जाता।

 परिणाम आत्म विश्वास,

 दृढ़ निश्चय असंभव को संभव बना लेता।

 अपने को पहचानना ही

 आत्मविश्वास का पहला सोपान।

 वह भी ईश्वरीय देन।

 आत्मविश्वास मनुष्य को

 आत्मोन्नति के शिखर पर ले जाता।

  एस.अनंतकृष्णन।

18-6-25.



 




Saturday, June 14, 2025

आत्मनियंत्रण

 S.Anandakrishnan

एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।

 15-6-25.

शीर्षक --आत्मनियंत्रण।

 विधा --अपनी हिंदी 

          अपने विचार 

      

अपनी स्वतंत्र शैली         भावाभिव्यक्ति 

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आत्मनियंत्रण आसान नहीं,

 समाज के डर से

 कानून के डर से

 नियम पालन में 

 आत्म नियंत्रण।।

शरीर और जगत मिथ्या।

माया इस पर प्रकाश डालती।

माया हटाने आत्मज्ञान।

 सत्य असत्य न्याय अन्याय का पहचान।

 सुंदरता के पीछे मन।

 वासनाओं के पीछे मन।

सद्यःफल के पीछे मन।

 मन का नियंत्रण,

 मनका नाश

 वही  आत्म नियंत्रण।।

जितेंद्रता भी आत्मनियंत्रण।

आत्मनियंत्रण न तो

 अनुशासन की कमी।

 काम, क्रोध,मंद, लोभ का तेज।

परिणाम चरित्र निर्माण में बाधा।

आदर्श नाम के लिए 

 आत्मनियंत्रण की आवश्यकता।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

तमिल भाषा नीति

 बुढापा।

 ईश्वर ने दी।

 शारीरिक शिथिलता 

 मन में भूत वर्तमान भविष्य की तरंगें।

हिंदी विरोध वातावरण में 

 हिंदी का जीवन।

 सोचता हूँ, 

तमिलनाडु राजनीति में 

 हिंदी विरोध 1937से।

 यह राजनीति तमिल के नाम पर कितनों की जानें ली।

तनित तमिऴ् अलग तमिल 

 संस्कृत‌ रहित।

 वह असफल।

चिन्ह बना उदय सूर्य।

विपरीत शब्द तमिऴ् में 

 उसकी मूल भाषा पता नहीं,

 हिंदी में भी।

 मुख  मुखम् कहते हैं

 मुख के लिए तमिल शब्द नहीं।

 षण्मुख को आरुमुकम् कहते हैं।

वाद विवाद तर्क

 भारत भर में आम शब्द।

अलग तमिऴ् आंदोलन 

अब why this कोलैवॆऱि में।

फल  तमिल में पऴम्।

जितना सोचता हूँ,

 बगैर संस्कृत के

 तमिल का निर्वाह नहीं।

 निपुणता नहीं।

 श्रीरंगम् तिरुअरंगम्

रंग अरंग  तमिल कैसै?

 यह राजनीति द्रमुक दिलवाले सोचते क्यों नहीं।

तेलुगू कन्नड़ मलयालम् में 

 संस्कृत का प्रभाव।

 तेलंगाना तेलुगू में 

 दक्खिनी हिन्दी का प्रभाव।

 क्यों तमिल राजनीति 

 जानकर भी विपरीत विचार में।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

 



Friday, June 6, 2025

विचार रोपण

 


नमस्ते,

वणक्कम्।


 युवकों के मन में 

विचार रोपण करना है।

केवल हिंदी क्षेत्र के

 मुनाफाखोर ही नहीं 

अन्य क्षेत्रों के हिंदी के प्रति

नफ़रत खोरों में भी।

विचार प्रदूषण मिटाना होगा।

सुविचार रोपण करना होगा।




जिनको हिंदी से जिंदगी मिली है,

जो हिंदी द्वारा जी रहे हैं,

 हिंदी के गुण गान से  कुछ नाम, दाम मिल रहे हैं है

 वे ही हिंदी दिवस,

 हिंदी के विकास में 

 कुछ कर्तव्य और नाम के वास्ते कुछ कर रहे हैं,

 बाकी लोग अंग्रेज़ी सीखकर मज़े में रहते हैं 

न उनमें हिंदी के प्रति या अपनी मातृभाषा के प्रति 

 लगाव नहीं हैं।

 उनमें हिंदी या भारतीय भाषाओं के प्रति ,

प्रेम और श्रद्धा के विचारोपन करना है।

 उसके लिए चाहिए 

जीविकोपार्जन का स्रोत।।

वह दिन ब दिन सूखता जा रहा है।

  आम जनता में 

 अंग्रेज़ी माध्यम का मोह बढ़ रहा है।

सरकार शिक्षा के खर्च कम करने अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल की अनुमति देती जा रही है।

मातृ भाषा माध्यम पढ़ना 

 अपमान की चरम सीमा 

 अधोगति की ओर ले जाना है।

 हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रति श्रद्धा, प्रेम, लगाव के बीजोरोपन बोना है,

जीविकोपार्जन का जल सींचना हैं।

 जीविकोपार्जन की नदियाँ सूखती जा रही हैं।

 स्रोत की संभावना  कम दीख रही है।

 हिंदी गौरव समारोह 

 स्वतःपूंजी अपनी प्रशंसा 

में करने दान देने वालों के लिए।

 पैसा दो सम्मान पाओ

 यह हिंदी सामान व्यवसाय भी बढ़ रहा है।

 विचार रोपण  प्रेम का करना है, विचार प्रदूषण करना है।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Thursday, June 5, 2025

संस्मरण

 मानसरोवर  साहित्य अकादमी को  

एस. अनंत कृष्णन का नमस्कार।

  विधा --संस्मरण 

  विषय ≠वो बाग बगीचे।

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  अब 75वर्ष का बूढ़ा हूँ।   15 साल के  नाबालिग से पच्चीस साल की जवानी में, प्रौढ़ावस्था में  से वो बाग बगीचे की हरियाली में पहला करता हूँ।  कितना मानसिक अंतर, कितना  शारीरिक और सांसारिक  वैचारिक, दार्शनिक अंतर।  नाबालिग में निश्चिंत घूमना, जवानी में प्राकृतिक उत्तेजना  विपरीत लिंग के आकर्षण, असफल प्यार, चिंतित मन, तितली की तरह मानसिक परिवर्तन, रंग-बिरंगे फूलों के आकर्षण, अंत में बड़ों के आग्रह से अनजान अपरिचित लड़की से शादी,  जाने अनजाने पारिवारिक  रीति-रिवाज, एक ओर मायके  दूसरी ओर   ससुराल दोनों तरफ़ से पीटा जाता।

 अब भी बाग भी टहला करता हूंँ, न जवानी और नाबालिग का प्राकृतिक विश्रांति। मानसिक बोझ, 

 दुविधा साँप छछूँदर की गति सा घूम रहा हूँ। 

 निस्सार   नीरस टहलना। अभी अभी मन  

आध्यात्मिक चिंतन की ओर मुड़ने लगा।

जब मानसिक  उलझनें बढ़ती जाती हैं,

 तभी अमानुष्य शक्ति या ईश्वरीय शक्ति 

आत्मज्ञान देकर जगत् मिथ्या, शरीर मिथ्या,

 लौकिक वासनाओं से दूर अखंड बोध देकर

 मन नाश हो जाता  है,  मन आत्मा में लीन होकर 

 अद्वैत भावना उत्पन्न होती है।

 अब 75साल की उम्र में टहला करता हूँ।

 न नाबालिग विचार, न जवानी का  लौकिक प्रेमोल्लास केवल परमानंद, ब्रह्मानंद आत्मसुख, आत्मानंद। हर मानव के  जीवन का परिवर्तन रूप दुख सुख का नाश वही आत्मबोध ।

वह परमानंद ब्रह्मानंद वर्णनातीत शब्द रहित 

 वही दुखों से मुक्ति और ईश्वरीय मिलन।

तब पुनर्जन्म का स्थान नहीं।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

शिव दास, भारतीय भाषा प्रेमी।


 


 

 


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