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Wednesday, November 6, 2019

देशोन्नति

संगम के साथियों को ,
सबेरे एक बजे का वणक्कम।
प्रणाम।
प्रात:काल की प्रार्थना।
भारत देश की रक्षा
भारत की प्रगति,
देश -भक्त और देशद्रोहियों के साथ,
तब तो  भारतोन्नति तो भगवद शक्ति से।
क्या इस में कोई शक?
आध्यात्मिकदेश,
आदी भगवान
शिव का देश।
त्रि शक्तियों का देश।

शोधार्ती विश्व के मानते हैं,
रूस के नास्तिक मानते हैं
यज्ञ -हवन धुएँ  का महत्व।
तमिलनाडू  से उत्तरकाण्ड तक के
 सीधी रेखा केशिव मन्दिर का महत्व।
तमिलनाडू के चिदंबरम मन्दिर,
भूमि का केंद्र बिन्दु।
तिरु नल्लारु शिव मन्दिर का महत्व।
हर मन्दिर की कलात्मक्ता में वैज्ञानिक्ता।
चेन्गिस्खां से अंग्रेजों तक
कितने आक्रमण,
कितने देश द्रोही।
हिमाचल से कुमारी अंतरिप तक
कितनी प्राकृतिक भिन्नताएँ ?
कितनी भाषाएँ ?
गोरे -काले लोग ,
प्रान्तीय- क्षेत्रीय जोश।
एकता तो गणेश -कार्तिक
 शिव-विष्णु,के कारण।
रामायण,महाभारत के कारण।
माया,शैतान,माया की शक्ति
लौकिक मानव में न हो तो
धनलक्ष्मी का मोह न हो तो
सदय:फल की ओर
विदेशी धारा में न  बहें तो
स्वार्थ राजनीति न हो तो
स्वर्ग तुल्य भारत।
 स्वरचित स्वचिंतक
यस-अनंतकृष्णन।

पचपन/बचपन

प्रणाम।वणक्कम
बचपन
शिशु को किसीने कहा ,
नन्हा मेहमान।
पत्नी का सारा  प्यार,
चुंबन आलिंगन शिशु की ओर।
शिशु बच्चा,तब बचपन।
पाठशाला गमन,
खेलकूद,गिल्ली ठंडा,
गोली खेलना,कबडी
न चित्रपट,न दूरदर्शन न मोबाइल।
न ट्युसन,न क्रीकट कोच,
न की बोर्ड,न कराते।
खल खेल में पढाई।
आज दो साल में प्रि के जी,
किस के लिए?
मातृभाषा भूलने के लिए।
तब से टियुसण।
हमारा बचपन पैदल चल,
पेड  की  छाया में,
दौड धूप में आँख मिचौनी में बीता।
आज के जल्दी जल्दी
 किताबों की बोझ पीठ में ढोते,
 स्कूल बस के आते ही दौडना,
ज़रा भी आजाद नहीं,
वैसे ही बचपन गुलाम सा,
बेगार सा,न माँ  का प्यार,
न दादा दादी की आशीषें,
न हँसी,न खेल कूद,
बीत  जाता  बचपन।
स्वरचित स्वचिंतक
यस.अनंतकृष्णन
पचपन
बचपन सा खेल कूद नहीं।
बचपन के लोगों से चर्चा  नहीं।
बडे  हो बढ बढ़ाना नहीं।
बुढापा का पहला सोपान।
तनाव,अवकाश होने तीन साल।
बेटी की शादी,लडके की पढाई नौकरी।
शक्कर,प्रेशर,न जाने वह है या नहीं
चेकप करने दोस्तों का आग्रह।
बचपन का मस्त खुशी पचपन में नदारद।
न धन,न पद,न अधिकार
वापस न देता जवानी।
ईश्वरीय नियम दंड पचपन।
यस।अनंतकृष्णन।

Tuesday, October 15, 2019

भाग्य बल

प्रणाम। नमस्कार। वणक्कम।
कल्पना का साकार
सपना का साकार
ज्ञान बल से
लगातार  कोशिश  से
मित्र  बल से ,
आर्थिक  बल से,
परंपरागत देन से
भाग्य बल से
पूर्व जन्म फल से
 सोचा ,देखा,
समाज  और राष्ट्र के जीवन का
अध्ययन  किया,
भाग्य  ही बडा लगता है।
यह तो ईश्वरीय देन है।

Thursday, October 10, 2019

हनीट्रिप

प्रणाम। नमस्ते।
शीर्षक :--शहद यात्रा (हनी ट्रिप )
माया महा ठगनी कहा कबीर ने।
शहद यात्रा ,मीठी यात्रा ,शारीरिक मिलान यात्रा।
अंग्रेज़ी की देन।
जब मेरी शादी हुई ,तब हनीमून कहना अश्लील।
अर्द्धांगिनी के साथ केवल सोने का समय.
फिर न मीठी यात्रा की सोच.
न वातानुकूलित कमरा। न गद्देदार बिस्तर। न पंखा।
आश्चर्य की बात ,एकांत शयन नहीं ,हर साल
जनसंख्या बढ़ने में योगदान।
न आर्थिक सुविधा,घर में कोलाहाल की कमी नहीं।
आजकल शहद यात्रा ,
छत्ता टूट मक्खियों को डंकन
एकांत वातानुकूल कमरा ,
एक दिन का किराया ५०००/-रूपये।
पर न हुआ बच्चा।
शहद यात्रा ,हानि ट्रिप ,
ह के पास खड़ी रेखा।
हनी हानि होगया।
हमारे जमाने का सार्वजानिक बिस्तर ,
रात को ११ बजव ,चार बजे उठना ,
नहाना ,कीर्तन भजन।
संतानलक्ष्मी का उदार अनुग्रह।
उधार हनीमून /शाद यात्रा में
हैं कि नहीं ,पर खिले चेहरे मुक्त नहीं।
स्वरचित ,स्वचिंतक
यस.अनंतकृष्णन।

Tuesday, October 8, 2019

--रावण अब तक जीवित है ,वज़ह कौन ?

.नमस्ते। वणक्कम। प्रणाम।
शीर्षक :--रावण अब तक जीवित है ,वज़ह कौन ?
हर साल रावण लीला मनाना ,
राम द्वारा उसके यशोगान का चित्र।

राम द्वारा अग्निप्रवेश सीता को जंगल भेजना।
भीष्म के राजकुमारियों का अपकरण।
वीरगाताकाल में एक राजकुमारी  के लिए
 अनेक सैनिकों की पत्नियों का विधवापन ,बच्चों का अनाथ,

शाहजहां ने शेर शाह को मारकर मुमताज अपहरण ,
इंदिरा गांधी का फिरोज नाम का त्याग गांधीजी नाम जोड़ना।
सेल्यु कस का चन्द्रगुप्त से वैवाहिक सम्बन्ध
 न जाने और ऐतिहासिक घटनाएँ रावण को जीवित रखा है।

दशानन का अहं अब राम बन संहार करना है.

दशानन का अहं अब राम बन संहार करना है.
अहं कैसे राम बनेगा ?
रावण का अहं राम बनेगा तो राम राज्य नहीं
रावण का ही राज्य होगा
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
प्रेम गली अति सॉंकरी, तामें दो न समाहिं।।।
मिसरा गिनना अहं ब्रह्मास्मि समान
विचार अभिव्यक्ति आसान।
आज धनाहं राम का संहार कर रहा है.
रावण का अहम् अब राम बननेपर भी
रूपये का अहम् रावण ही बनेगा बेशक।स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन

Saturday, October 5, 2019

ashtami

प्रणाम। वणक्कम !

अष्टमी।
अष्टमी के दिन
कार्य करने पर असफलता गए लगाती है.
न जाने अष्टमी तिथि में
भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।
कृष्ण बने
लोक्रंचक और
लोकरक्षक !
देखा कितने लोग अष्टमी व्रत रख
अपनी मनोकामनाएँ पूरी कर लेते हैं.
आपको मालूम है जिनको
मालूम नहीं उन के लिए
अपनी मनो कामनाएँ पूरी होती हैं ,
भाव बाधाएँ मिट जाती हैं।
अहोई अष्टमी ,
दुर्गाष्टमी ,
शीतला अष्टमी
जन्माष्टमी।
हम भी सनातन परिपाटी अपनाएंगे
देवियों की कृपा पात्र बनेंगे।
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Anandakrishnan Sethuraman
Anandakrishnan Sethuraman प्रणाम।
विषय मुक्त /विधा मुक्त रचनाएँ
आज सरस्वती पूजा शामको और कल।
विद्या की देवी ,वीणावादिनी !
विश्व की प्रगति तेरे अनुग्रह से।
प्रकृति की विजय !
रोग की मुक्ति !
अंतरिक्ष की यात्रा।
आसमान का उड़ान !
आवागमन की तेज़ी।
वातानुकूल सुविधा ,
चाहते तो गरम हवा !
चाहते तो ठण्ड हवा।
आयु की वृद्धि।
हे सरस्वती देवी !तेरी कृपा!
विनम्र प्रार्थना !ज्ञान दो
जगत कल्याण का.
सद्बुद्धि दो ,
जगत में भ्रष्टाचार न हो !
हत्या,आत्महत्या ,काम ,क्रोध ,लोभ
घृणा आदि दुर्भाव न हो।
दान -धर्म ,परोपकार ,सहानुभूति आदि
सद्भावों भरकर मनुष्यता निभाने की
सद्बुद्धि दो !
माँ सरस्वती !आतंकवाद न रहें !
शासकों के दिल से स्वार्थता दूर करो.
दोस्ती बढ़ाने दुश्मनी दूर करने
आत्मसंयम जितेंद्र बनने की दृढ़ ज्ञान दो.
स्वरचित ,स्वचिंतक
यस। अनंतकृष्णन ,तमिलनाडु।
वणक्कम