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Sunday, December 14, 2025

आत्मसंतोषी

 आत्मसंतोष 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

15-12-25.

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आत्म संतोष, 

आत्मसुख,

आत्मानंद, 

आत्मज्ञान 

 ये हैं आध्यात्मिक चिंतन।

 लौकिक चिंतन में,

 सत्य का साथ नहीं,

 भक्ति के क्षेत्र में बाह्याडंबर अधिक।

 राजनैतिक क्षेत्र में 

 भ्रष्टाचारी।

 प्रशासनिक और

 न्याय के क्षेत्र में 

लक्ष्मी की चंचलता।

 आत्म संतोष कैसे?

 नश्वर जगत में 

 अनश्वर सत्य,

 अधर्म प्रशासन,

   आतंकवाद 

 ठग, चोर,डाकू,

 पढ़ें लिखे वकील,

 चार्टर्ड एकाउंटेंट 

  व्यापारी,

 सब तटस्थ है तो

 आत्मसंतोष।

 स्वार्थ राजनैतिक 

 हमेशा अपने  असंतोषी,

 विरोधी विचार गठबंधन।

 आत्मसंतोष कैसे?

 रामावतार में राम दुखी।

 कृष्णावतार में कृष्ण दुखी।

  शासक अपने पद,

   अपनी तरक्की,

    षडयंत्र आत्मसंतोष कैसे?

 संसार में अनेक वस्तुएँ,

   जगत मिथ्या, 

   ब्रह्म सत्यं।

परिणाम जगत में 

 आत्म संतोष कैसे?

 चोरी का माल,

  रिश्वत का मार्ग,

 एकांत में नहीं देता,

 आत्मसंतोष।

 बुढापा ही  स्वर्ग- नरक का केंद्र।

 भूलोक में कितने लोग

 शांति पाते हैं, 

संतैषी है? पता नहीं!

   सुपुत्र कुपुत्र की बात।

 व्यापार में लाभ नष्ट।

 भिखारी भी रिश्वत देकर 

 बैठता है मंदिर के सामने।

 मंदिर के इर्द-गिर्द 

 ठगों की दूकानें

 मनमाना दाम।

 दर्शन दो क्षण,

 पेसैवालों के घंटों के दर्शन। 

 रिश्तेदारों की उन्नति,

 ईर्ष्या, क्रोध, लोभ,

 मेरी दृष्टि में आत्मसंतोषी कौन?

 शीरडी साईं चरित्र,

 समाज के दुख दूर करने,

 स्वयं कितने दुखी,

 शारीरिक कष्ट,

 भक्ति के क्षेत्र में 

 भिन्न भगवान,भिन्न सिद्धांत।

 मामा के आराध्य देव अलग।

 दादा,दादी  के आराध्य देव अलग-अलग।

 ज्योतिषी एक ही जन्म कुंडली, प्रायश्चित्त अलग अलग।

  वही आत्मसंतोषी, 

   जिसका मन चंचल नहीं।

 एक ही सिद्धांत,

 धर्माचरण,

 सत्या चरण 

 वैसा कोई दीख न पड़ा।। इतिहास में,पुराण में।

हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद,

 दक्ष,शिव ,कंस कृष्णन 

 मंथरा कैकेई राम

 ईश्वर तुल्य लोगों की कथा भी

 राम कहानी अपनी अपनी।

आत्म संतोष नश्वर ब्रह्मांड की खोज में कोई नहीं।।ईसा का शूली पर  चढ़ना,

मुहम्मद का मक्का मदिरा भागना।

आध्यात्मिक क्षेत्र में भी 

 असंतोषी ही ज़्यादा है।





 


 

 





 



 

 


 




 



  


 


 


 

 


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