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Friday, December 26, 2025

भारतीय क़ृषि खेती

 किसान का जीवन 

एस. अनंत कृष्णन।

चेन्नई।

27-12-25.


भारत जीव नदियों का 

 सर्वसंपन्न देश है।

 अतः कृषि प्रधान देश है।

 यहाँ सभी प्रकार के अन्न

 तरकारियाँ, फल फूल 

 पैदा कर सकते हैं।

 पर आज़ादी के बाद 

 पाश्चात्य उद्योग धंधों को

 प्रधानता देकर 

 देश के खेतों में को

 झीलों को 

 नदारद करके‌

 अन्नदाता किसान की हालत  आत्महत्या तक।

 प्रदूषित पानी 

 पीने का पानी 

पैसे देकर 

 विदेशी कारखाने 

 के विकास,

 परिणाम चैन नगर के 

 चार बेकार कहानी के

जैसे मेहनती किसान 

 भूखा प्यासा।

 किसान को

 अपने धंधा छोड़कर 

 खेत बेचकर शहर में 

 छोटे मोटे काम में 

 लग जाते हैं।

 किसान के जीवन 

 अत्यंत दुख प्रद है।

 स्नातक स्नातकोत्तर डाक्टरेट की माया

 सब  के सब नौकरी में।

 मेहनत करने कोई तैयार नहीं।

गरीब किसान के बच्चे 

 अन्य कार्यों में लग जाते हैं।

 खेत के काम करने मज़दूर नहीं मिलते।

 मधुशाला खोलकर 

 किसान के जीवन को 

ग़रीबी के गड्ढे में डालने 

 सरकार तैयार।

 किसानों की गरीबी,

कर्ज का बोझ

 नौकरी छोड़ अन्य काम।

 हमारे नेता सब अंग्रेज़ों के पिछलग्गू,

 देश की आध्यात्मिकता शांति को नष्ट करके

 भारतीय प्रधान धंधा खेती  को लापरवाही 

 करके 

 विजयमल्लय्या,

 नीरव मोडी को कर्जा देकर

 प्रवासी भारतीय बना दिया।

उनका ऋण  मिटा दिया 

बिना वसूल किए।

 विदेशी खून मिश्रित नेता।

स्वार्थ पूर्ण धन लोभ।


 किसान को ऋण देने में 

 लापरवाही।

 उनकी माँग पूरी करने

 तैयार नहीं।

आधुनिक आविष्कार के मोह माया,

 किसान के जीवन पर

 ध्यान देने कोई नहीं।

इन शासकों के कारण 

 किसान असह्य कष्ट सह रहे हैं।

 भावी पीढ़ी एक एक दाने के लिए तड़पेगा।

 ऊंची इमारतें, ऊँची मूर्तियों से देश

 बाह्य सुंदरता से गौरवान्वित।। 

पर  असली विकास 

 नदियों का राष्ट्रीयकरण 

 किसान को प्रधानता न देना।

 भावी धनी नागरिक 

 अंग्रेज़ी देश का रूखा सूखा भोजन में।

 किसान है के बच्चे उद्योग धंधों में 

 सोचिए देश के विकास 

 बाह्य सुख,महँगाई।

 मानसिक शांति ,

  स्वच्छ वायु ,पानी 

 खोकर साँस लेने में मुश्किल।

 किसान के जीवन का कष्ट 

संपूर्ण देश धनी,

 धन रहेगा, मरेंगे लोग 

 भूखा प्यासा।

  किसान का जीवन 

 अति अशांति।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई 


 

 





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