Monday, March 5, 2018

ईश्वरीय आतंक

बहुत ही जल्द से जल्द,
खर्च  करना आसान.
कमाना  अति  कठिनतम.
एक अधिकारी का घर,
मनमाना  रिश्वत.
उसकी बेटी की शादी,
बरफ   की सुंदर मूर्तियाँ,
देवी-देवताएँ,
शनैः शनैः गल रही थी,
केवल मूर्तियाँ  ही नहीं,
अधिकारी का ईश्वरीय
  भय - आतंक भी.
तरकारियें में ईश्वर,
भात में ईश्वर,
फिर प्रसाद  के रूप में
बाँटकर खाना,
ईश्वर भक्ति पच रही है,
बाह्याडंबर  का अति भक्ति,
नयी नयी सोच, नये नये ढंग,
 बाह्य तडक भटक,
असली भक्ति नकली आडंबरता
के आगे की  पड गई.


(स्वरचित अनंतकृष्णन द्वारा)


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