Tuesday, March 13, 2018

भाषा सहोदरी

मैं हूँ तमिलनाडु का हिन्दी प्रेमी ,
सहोदरी हिंदी खींच लाई ,
ऐसा बाँधा बंधन न छोड़ सकता ,
जोड़ ही सकता हैं ,
चोट खाकर किया हिन्दी का प्रचार.
वह सहोदरी के द्वारा सेवा का मेवा भी मिला,
न बाहर आया चेन्नई से ,पर मुख पुस्तिका द्वारा
मिले कई सहोदर -सहोदारियाँ .
अंतर जाल का माया जाल अति विस्तार ,
फँसाएगा तो छूटना मुश्किल.
खडी बोली की सारा शैली पसंद ,
समझ पाना आसान.
अवधी , व्रज , मैथिली से
आज विकसित हिंदी.
धन्य वह सहोदरी ,
जिसने है राखी बांधी.
उसके विकास में हम है सदा सन्नद्ध . स्वरचित -अनंत कृष्णन

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