Wednesday, March 21, 2018

हिंदी प्रचार

कहते हैं
मैं समाज के साथ
नहीं देता.
मैं हूँ जीने लायक नहीं ,
आदमी.
मैं हूँ पागल.
अन्याय को बारे में,
स्वार्थ लोगों के बारे में
लिखता हूँ,
दोषारोपण करता हूँ.

सोलह वर्ष की आयु में
हिंदी प्रचार में लगा.
देखता हूँ हिंदी प्रचार प्रसार के लिए
करोडों के खर्च,
पर केवल
कैसे हिंदी का विकास करना?
आज भी वही सवाल.
कितने लाख करोड़ .

सत्तर साल के बाद भी
राष्ट्रीयता कम होकर
इत्र-तत्र-सर्वत्र अलग प्रांत,
अंग्रेज़ी का यशोगान .
इसका कोई प्रयत्न नहीं ,
प्रचारकों को गलत मार्ग दिखाने तैयार.
हिन्दी छात्र को उत्तीर्ण करना
कराना , करवाना .
यही सरकारी स्कूल में भी .
आरक्षण में ओहदे के अयोग्य भी योग्य .
मातृभाषा माध्यम का अवहेलना.
अंग्रेज़ी माध्यम का आदर.

आजादी के सत्तर साल हो गये,
मधुशाला के आय से सरकार चलती है,

हिंदी प्रचार सभा, तिरुच्ची, चेननै के अहाते में

अंग्रेजीं माध्यम स्कूल,
मोहनदास करमचंद ,विनोबा और सर्वोदय यज्ञ
आदि के नेता की आत्माएं
आँसू बहाएँगी.

उसके द्वारा आय.

स्टालिन ,जयललिता केवल
ओट लेने तमिल तमिल कहते हैं
चलाते हैं अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल.
द्रमुख पार्टी के शासन के बाद
हिंदी के विरोध में
हर गाँव में अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल.
धन लूटने -कमाने का आसान तरीका.
मातृभाषा माध्यम से आजीविका नहीं
सत्तर साल की स्वतंत्रता के बाद
समाज का अटल विशवास.
सूट-टै-शू -वर्दी -सब की बिक्री स्थल.
शिक्षा को भी .

मतदाता पैसेवाले को ओट देता ,
भ्रष्टाचारी शासन करता ,
सरकारी स्कूल के अध्यापक
केवल वेतन लेने अध्यापक.
बाकी मेहनत अपने आप की वृद्धि के लिए.
जो सच्चे- आदर्श अध्यापक
उनका कोई नहीं महत्त्व.
वही अध्यापक आदर पाते -धनाधन बनते
जो प्रश्न पत्र देते, अच्छे अंक दिलवाते ,
प्रमाण पत्र दिलाते दिलवाते.

सरकारी अधिकारी
शासक दल के बेगार.
सबहीं नचावत राम गोसाई
कह जी रहे हैं
निस्वार्थ सेवक त्यागमय जीवन
स्वार्थ दुनिया,
स्वार्थ धन लोभी, बलात्कारी,
स्वर्ग तुल्य भारत को नरक तुल्य बना रहे हैं.

सत्तर साल के बाद भी
अखंड भारत में शिक्षा ,
आज केवल अमीरों को आरक्षित

योग्यता हो या न हो,
उम्र में, अंकों में सब में ढिलाई
भर्ती में प्राथमिकता.

कहने पर ,लिखने पर कहते हैं
मैं पागल, समाज के साथ नहीं चलता.

जरा सोचना अन्याय के विरुद्ध लिखने से

लिखना समाज, दोस्त, नाते रिश्ते
पागल मान भले ही मुझे दूर रखें, पर

एक न एक दिन कोई न कोई कहेगा ही
हममें भी कोई था
वह चिनगारी में हवा फूँक क्रांति करता.
आजादी की लडा ई में
कितनों ने प्राण दिये,
मैं तो केवल दूर समाज से,
नाते रिश्तों से, स्वार्थ लाभ के दोस्तों से,
मेरी दोस्ती का लाभ उठाकर
कितना अन्याय किया,
| दोस्ती निभाने चुप रहा.
हिंदी छात्र संख्या घटती रही.
मातृभाषा माध्यम भारत भर बंद.
आज भगवान राम की मूर्ति पर
चप्पल मारने की राजनीति.
जय हो भारत महान|

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