Friday, September 20, 2024

भक्ति भ्रम है

 नमस्ते वणक्कम्।

मंदिर एक पवित्र स्थल है।

 ईश्वरीय शक्ति और दंड के भय से ही

 न्याय मार्ग पर लोग जाते हैं।

 पर ईश्वर  तुल्य मानव ,। 

अहं ब्रह्मास्मी

 वैसे ही हिरण्यकश्यप का व्यवहार,

 परिणाम नरसिंह अवतार।

  भगवान नहीं है या है

 पर कोई भी मानव सुखी नहीं है।

 अहं ब्रह्मास्मी  के सिद्धांत 

 मानव में तटस्थता चाहिए।

   हिंदू धर्म की तमाशा देखिए,

  अपने नेता के लिए मंदिर बनवाते हैं।

  वह नेता तटस्थ नहीं है।

 एक दलीयनेता।

 असुरों का शासन, असुर कुलों की रक्षा के लिए।

 शिव, विष्णु भक्त अपने अपने संप्रदाय के लिए।

 राम और कृष्ण भक्ति शाखाएँ,

 शिव के भक्तों का  कितने आश्रम।

 विष्णु के भक्तों के कितने आश्रम।

 ये भक्ति  की एकता केलिए नहीं,

 मानव  मानव में एक भेद दृष्टि।

   हिंदुओं को जागना है,

   एकता के लिए,  

 जगाना है एकता के लिए।

 भारतीय लोग जिन्होंने विदेशी धर्मों को 

अपनाया, उनके मन में हिंदू धर्म के प्रति 

 श्रद्धा  भक्ति होनी चाहिए।

  मैं बहुत सोचता हूँ,

 हिंदू धर्म एक पेशा बन गया है।

 मंदिर पवित्र भक्ति का स्थल नहीं है।

 एक व्यापारिक केंद्र हैं।

 भक्ति के विश्वास अंधविश्वास नहीं होना चाहिए।

 भिखारी भिखारिन में भी 

अपाहिज के वेश  धारण करते हैं।

स्वस्थ लोग भी भीख माँगते हैं।

  दया दानशीलता ठीक है,

 पर भगवान के वेश में भीख माँगने पर

 भगवान का अपमान है।

 ऐसे नकली वेषधारियौं को 

 प्रोत्साहन देने पर ईश्वर हंँसी का पात्र बन जाते हैं।

 हमें ईश्वर पर विश्वास रखना है,

 न आश्रम के दलालों पर।

   पहले भक्ति भक्ति के लिए 

न  व्यापारिक केंद्र बनाने के लिए।

  धर्म  है भक्ति, न मत संप्रदाय।

  तिरुपति बालाजी लड्डू में 

 मिलावट,  मंदिर में भ्रष्टाचार।

  हर मंदिर में मिठाई की दूकान।

   ऐसे ही भक्ति व्यापार बनेगा तो

  हिंदू धर्म के विकास और एकता कभी नहीं होगी।

 धन प्रधान बाह्याडंबर भक्ति नहीं है।

 एस.अनंतकृष्णन।

Sunday, September 15, 2024

भारत और पाश्चात्य देश

 வணக்கம்  नमस्ते। தமிழ் ஹிந்தி  அறிக.கற்க.


 பாரதமும் மேற்கத்திய நாடுகளும்

भारत और पाश्चात्य देश 


ईसाई या  सनातन धर्म के विरुद्ध  बोलनेवाले,

 पाश्चात्य देशों के समर्थक  बोलते हैं कि 

वैज्ञानिक तत्काल  के सुखी साधनों के आविष्कारक पाश्चात्य लोग ही हैं। 

 கிறிஸ்தவர்கள் அல்லது சனாதன அறத்தை எதிர்ப்பவர்கள் அறிவியல் உடனடி  இன்பங்கள்  அளிக்கும்  சாதனங்களை கண்டு பிடித்தவர்கள் மேற்கத்திய நட்டவர்கள்.

  भारत देश के लोग  विविध भोजन पदार्थ को

 षडरस व्यंजन के आविष्कारक है।

 இந்திய மக்கள் அறுசுவை உண்டிகளைத் தான் கண்டுபிடிதாதுள்ளனர்.

  वे अज्ञानांधकार में है।

 அவர்கள் அறியாமை இருட்டில் உள்ளனர்.

 वे पाश्चात्य देश के जलवायु पर विचार नहीं करते।

 அவர்கள் மேற்கத்திய நாடுகளின் 

தட்ப வெப்ப நிலை அறியாதவர்கள்.

 मैं दस बार अमेरिका गया।

 நான் பத்து முறை அமேரிக்கா சென்றுள்ளேன்.

 एक बार जनवरी महीने मैं गया।

 ஒரு முறை ஜனவரி மாதம் சென்றேன்.

 घर से बाहर निकलना अति मुश्किल।

வீட்டில் இருந்து வெளியே செல்வது மிகவும் கடினம்.


सड़क   पर और घर के बाहर  छे फुट से ज़्यादा बर्फ।

 சாலையிலும் வீட்டிற்கு வெளியிலும்   ஆண்டிக்கு மேல் பனிக்கட்டி.

 बड़े बड़े जंगल, पर  एक भी उपयोगी पेड़ नहीं है।

 பெரிய பெரிய மரங்கள் காடு.

 ஆனால் ஒன்று கூட பயன் தரும் மரங்கள் கிடையாது.

 हमारे देश की तरह नीम का पेड‌ ,पीपल  का पेड़,  बरगद का पैड, इमली, कटहल, बादाम के पेड़ नहीं।  पेड़ों के जड़ भी बेल जैसे भूमि फैलते हैं।, हमारे देश के समान अति गहराई तक नहीं जाते।

‌நமது நாட்டைப் போல்  வேப்ப மரம் அரசமரம் ஆலமரம் புளி,பலா பாதாம் மரங்கள் கிடையாது.

மரங்களின் வேர்கள் பூமியில் படர்கின்றன. நமது நாட்டைப் போல் ஆழமாக வேரூன்றவில்லை.

  उनको घर से बाहर आना है तो बर्फ मिटाने के लिए औजार या यंत्र चाहिए।  गर्म पोशाक चाहिए।

வீட்டில் இருந்து வெளியே வரவே உபகரணம் அல்லது எந்திரம் வேண்டும்.

 बिना यंत्रो‌ के वे जी नहीं सकते। 

 இயந்திரங்கள் இன்றி அவர்கள் வாழ முடியாது.



 भोजन सामग्री मैं मांस ही ज़्यादा है। तरकारियां सब विदैश से ही आते हैं।


உணவுப் பொருட்கள் அதிகம் மாமிசங்கள் தான்.

   पर हमारे देश में समृद्ध भूमि है।

ஆனால் நம்முடைய நாட்டில் செழுமையான பூமி.

 भोजन सामग्रियों की कमी नहीं है।

 உணவுப் பொருட்களுக்கு பஞ்சம் கிடையாது.

 अतः हमारा दिमाग भोजन सामग्रियों के हजारों  स्वादिष्ट पदार्थ बनाने में सार्थक है।

 यहां के किसान  अर्द्धनग्नता से

 खेती करता है।நமதுஉணவுப்  பொருட்கள்   பலவிதமான அருசுவையுடன் தயாரிக்க நமதுமூளை  

பொருள் பொதிந்தது.

भोजन के लिए अनाज और तरकारियों की कमी नहीं है।

உணவுப் பொருட்களுக்குத் தட்டுப்பாடு கிடையாது.

अतः यंत्रीकरण और कारखानों की जरूरत नहीं है।

ஆகையால் இயந்திரமயமாக்கும் ஷா தொழிற்சாலைகளுக்கு தன் தேவையில்லை.

 कारखानों के कारण हमारा देश मरुस्थल बन रहा है।

 தொழிற்

சாலைகளால்  நமது நாடு பாலை வனமாகிக் கொண்டிருக்கிறது.

 ऐसे ही नगरीकरण और नगर विस्तार करके झीलों , खेतों को इमारतों से भरते जाएंगे तो भावी पीढी दाने दाने के लिए तड़पेंगी।

 இப்படியே நகரமயமாக்கல்  நகர விஸ்தரிப்பு என்று  கட்டடங்கள் ஆல் நிரப்பிக் கொண்டிருந்தால்  நமது எதிர்காலத் தலைமுறையினர் ஒவ்வொரு உணவு தானியத்திற்கும் துடிப்பார்கள்.

   यातायात और आविष्कार पाश्चात्य देशों के लिए अति आवश्यक है।

 போக்குவரத்து சாதனங்கள் கண்டு பிடிப்புகள் மேற்கத்திய நாடுகளுக்கான மிகவும் அவசியம்.

 

भारत तो किसानों  की भूमि है।

 स्वादिष्ट भोजन सामग्रियाँ  पाश्चात्य यंत्रीकरण से न मिलेगा।

 भूखा भजन न गोपाल।

 பாரதம் விவசாயிகளின் பூமி.

ருசிமிக்க உணவுப் பொருட்கள் ம ஏன் ற அல்ல கத்திய கண்டுபிடிப்பு கால் கிடைக்காது.

 பசியோடு பஜனை செய்ய முடியாது.

 दूर दर्शन मोबाइल संगणक से तात्कालिक सुख मिलता है।

 தொலைக்காட்சி கைபேசி கணினியால் கிடைப்பது உடனடி பலன்.

 उनसे  विविध प्रकार के मानसिक शारीरिक और सामाजिक विचार रोग होते हैं।

 அவைகளால் பலவிதமான உடல்  மனம் சமுதாய 

எண்ணங்களின்  நோய்கள் உண்டாகின்றன.

 इन बातों पर भारतीय युवकों को  सोचना विचारना है। 

 युवकों को जागना है, जगाना है।

 இந்த விஷயங்களை பாரத இளைஞர்கள் சிந்திக்க வேண்டும்.

 எண்ண வேண்டும்.

 देश को  रेगिस्तान बनाने से बचाना है।

 நாட்டை பாலைவனமாக  மாறுவதில் இருந்து காப்பாற்ற வேண்டும்.

 केवल पैसे मात्र से पेट नहीं भरेगा।  பணத்தால் வயிறு நிறையாது.


 खाली पेट कोई भी काम

करने न देगा।


வெறும் வயிறு எந்த வேலையையும் செய்ய விடாது.

 अतः हरे भरे भारत को  किसान प्रधान देश  और कृषि पेशा देश बनाने में ही होशियारी है।

 ஆகையால்  நமது  பாரதத்தை விவசாய முக்கியத்துவ நாடாக விவசாயத் தொழில் நாடாக உருவாக்குவது தான் அறிவுடைமையாகும் 


एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Friday, September 13, 2024

समानता तटस्थता

 भारत एक आध्यात्मिक ज्ञान भूमि है।

इस सनातन धर्म को समूल नष्ट करके

 पत्नी का मजहब ईसाई के समर्थन में 

 तमिलनाडु मुख्यमंत्री श्री स्टालिनजी का बेटा,

 उनके समर्थन में पिता।

 ईश्वर की सूक्ष्म लीला देखिए,

 श्री स्टालिन की पत्नी सनातन हिन्दू धर्म 

की पक्की अनुयायी सभी प्रसिद्ध हिंदू मंदिर जाती हैं।

 प्रार्थना करती है, प्रायश्चित करती है।

 भेंट चढ़ाती है, मंत्रोच्चारण करती है।

 पर द्रमुक दल के सिद्धांत के अनुसार 

 दीपावली, तमिल नया वर्ष, और हिंदू पर्वों को बधाइयाँ शुभकामनाएँ नहीं देते। पर पऴनी मंदिर की आमदनी एक महीने मेंसौ करोड़ रुपये से ज़्यादा।

 हिंदू मंदिर ओर भूमि वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति हैं।

 यूं ट्यूब के अनुसार अनेक हिंदू मंदिर पल्लावरम् के पास के पहाड़ पर की जैन गुफाएं दर्गाह बन गया है।

ईसाई पाठशालाओं में ईसाई ही प्रधान अध्यापक बन सकता है। हिंदू  स्कूलों में ईसाई  वरिष्ठता के आधार पर मुगल /ईसाई भी प्रधान  अध्यापक बन सकता है।

  हिंदू धर्म का प्रचार कानून विरुद्ध है, पर मुगल या ईसाई स्कूल में मजहब का प्रचार कर सकते हैं।

 यही द्राविड़ माडल समत्व नियती है।

  बहुसंख्यक हिन्दू  भगवान पर विश्वास करके 

  अपने अपने काम में लगे रहते हैं।

 हिंदुओं के लिए हिंदू धर्म एक पेशा है।

 आमदनी न हो तो मंदिर उजड़ जाते हैं।

 तमिलनाडु में    ब्राह्मण बस्ती खाली है।

 नित्यानंद का कहना है कि  विदेशी पढ़ें लिखे विद्वान पैसे देकर हिंदू धर्म में शामिल हो रहे हैं।

 ईसाई अपने श्वेत बदन और अश्लील व्यवहार से औसत बुद्धि वालों को ईसाई बना रहे हैं।

   द्रमुक माडल शासन मे समानता नहीं, तटस्थता नहीं।

 वे मंदिर के आय को मनमाना लूट रहे हैं।

 हम तो भक्ति काल के कवि लेखक जैसे   

 भगवान को आश्रय दाता बनकर शरणार्थी बन रहे हैं।

 आशा है राम मंदिर जैसा एक दिन बहुसंख्यक हिन्दू धर्म के प्रचार पाठशाला में होगा।

 सनातन धर्म है, न मजहब।

 ॐ ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ ॐ हरी ॐ।

 महाविष्णु को महाविष्णु ही बचा सकते हैं।

 पाप मत करो कहना दंडनीय है।  पाप और पुण्य कर्म के अनुसार  सुख दुख मिलेगा कहना में मज़हबी प्रचार पाठशाला में । तमिलनाडु में दंडनीय।

 तमाशा देखिए ईसाई स्कूल सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल अल्पसंख्यक अधिकार लेकर रोज़ बाबिल पढ़ सकते हैं।

 उन स्कूलों में पढ़नेवाले हिंदू मुगल छात्र और छात्राएंं

 सहनशीलता से सुन सकते हैं।

 यही संविधान के अनुसार धर्म निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

 बहुसंख्यकों से अल्पसंख्यक अधिकार।

 द्राविड़ माडल समानता।


 एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 

 



  




 






Thursday, September 12, 2024

जीवन/प्रकृति।

 नमस्ते। वणक्कम।

३०-१०-२०२०.

जीवन/प्रकृति।

संचालक,समन्वयक,प्रशासक, सदस्य,पाठक

चाहक सबको नमस्कार। वणक्कम ।तमिलनाडु के हिंदी

प्रेमी अनंत कृष्णन चेन्नै का।।

 प्रकृति सहज प्रतिक्रिया के बिना,

दो बिंदुओं के मिलन से उत्पन्न मानव

अन्य पशु पक्षी का जीवन कैसे संभव?

प्रकृति की देन तरकारियो के बिना 

जिंदा रहना कैसे?

सूर्य की धूप भाप बिना वर्षा कैसे?

वायु देव के बिना सांस लेना कैसे?

पंच तत्त्व रहित पद,अधिकार,धन-दौलत 

आदि  का भोग कैसे?

बुढ़ापे,मृत्यु बगैर भूमि का भार कैसे घटता।।

जीवन मृत्यु प्रकृति की देन।।

मौसम बदलना,छे ऋतुओं का चक्कर।।

जीवन के सुख का प्रतीक वसंत तो

पतझड़ दुख का।

परोपकार  की तुलना 

दान,त्याग के उदाहरण।

गर्मी का सुख। तरुतले।।

प्रकृति ओर जीवन भिन्न अभिन्न।

अंधे का जीवन,बहरे का जीवन

जन्मजात है तो इलाज कहां?

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै

भारत ज्ञान

 विषय  गद्य --भारत ज्ञान

विधा --गद्य पल्रय अपनी निजी शैली।

दिनांक --२.१२.२०२०.

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 वह जा रहा था,वह लेखक था।  गंभीर चिंतक।।

जाते जाते सोचते सोचते बहुत दूर चला गया।

प्रधान सड़क पर  थोड़ी दूर चला, फिर वापस आने मुंडा तो सड़क के उस पार एक पगडंडी दीख पड़ी।। लेखक  ह्रुदय में पगडंडी  देखने की जिज्ञासा हुई।।

वह तो निर्जन जंगली पगडंडी। विषैली जंतु ,सांप आदि की याद आती।फिर भी धीरज बांधकर आगे बढ़े।

न जाने उसकी गति में तेजी। सांप विषैली जंतुओं का डर 

भूल गया। आधा घंटा चला होगा,जड़ी बूटियों से ढका हुआ एक गोपुर लीग पड़ा। एक ऐसी तेज गति उसको

 द्वार के सामने ले गयी। दरवाजा नहीं था। और कोई व्यक्ति नहीं था। विस्मय के साथ देखा तो 

दीप जल रहा था। वह चारों ओर मुड़ मुड़कर

देखने लगा। कोई नहीं था।साहस के साथ अंदर गया तो

देवी की अति सुन्दर मूर्ति।

आंखों में तेज,ओंटों मे मुस्कान।

वह भौंचक्का हो गया।। 

 दिव्य रूप देखते देखते  उसके मन की चंचलता दूर हो गई। एक ही विचार देवी के सामने सदा ही रहे।।

चंद मिनटों में उसको लगा कोई नई शक्ति घुस गई है।

वह सब कुछ भूल गया। वही आंखें बंद कर बैठ गया।।

न खाने की चिंता,न पीने की चिंता, न सोने की चिंता।।

दो -तीन घंटे के बाद उठा , मंदिर को परिक्रमा करने लगा। एक कोने  में एक नाम लिखा हुआ था।

उसे पढ़ा तो  पता चला देवी बृह्मनायकी।।

एक ऐसी अटल चेतना। मंदिर बनवाओ।।

निर्धन हिंदी लेखक अपने लेख प्रकाशित करने अपने 

पैसे खर्च करके अपनी ज़रूरतों को कम करनेवाले कैसै

मंदिर बनवाते। चिंतित नहीं बैठ गये।।

धीरे धीरे अंधेरा। जंगल सा क्षेत्र। वह बस से मसन होकर बैठ रहा थी। आधी रात के समय चार पांच लोग एक बोरे उठाकर वहां आ पहुंचे।। आंखें मूंद बैठे लेखक कैसे देवी के पीछे आये, पता नहीं।।

 जो आए थे वे  बोल रहे थे,

बोरे में लड़का है। सेठ को फोन करो कि

दस लाख न देंगे तो लड़के  का शव ही मिलेगा।

तभी लेखक अपनी पुरानी अवस्था पर पहुंचे।।

अंधेरे में चार पांच  लोगों की आवाज।

इत्तिफाकन लेखक मिमिक्री जानते थे।

न जाने साहस से देवी की आवाज़ में बोले,

मैं बृहननायकी। मेरे सामने ! इतना साहस।

तभी एक आदमी की चीख-पुकार।

दूसरे ने सिंगार जलाया। त्रीशूल में एक आदमी का सिर।लटक रहा था। बाकी तीन बोरे को छोड़कर भाग गये।

सिंगार जल रहा था। बोरे खोलकर देखा तो

 शहर का प्रसिद्ध अमीर सौदागर का बेटा।

जिसे वह खूब जानता था। उसे लेकर  सौदागर के यहां गया। सारा विवरण बताया, मंदिर बनवाने की अपनी इच्छा प्रकट की। बृहद नामकी वन रक्षिका बृहद नायकी के नाम से भव्य मंदिर में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल  में है।

भारत की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती रही।।

लेखक  मौन साधु बन गये। देवि स्मरण मात्र,न विभिन्न विचारों की लहरें। अंत तक वन रक्षिका बृहद नायकी मंदिर में ही रहे। भारत देवी के साथ  देवी  दास के नाम बनवायी समाधी की भी आराधना करते हैं।

सौदागर की ओर से हर साल मेला, अन्नदान।

धूलधूसरित वह देवी की मूर्ति स्वर्ण कवच और

हीरे-जवाहरात से सजकर भक्तों की

अभिलाषा की पूर्ति में।

आज अखबार में ताज़ा समाचार आया कि

वन रक्षिका बृहद नायकी  के आलम की हुंडी में

अनजान भक्त ने दो लाख रुपये का बंडल डाला है।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै हिंदी प्रेमी।














ंं

कलम कागज

 नमस्ते। वणक्कम।।

शीर्षक : कलम कागज।

दिनांक --३-१२-२०२०-३.

  विचार अभिव्यक्ति बोली,

 बोली से चित्रलेखन।।

 चित्र लेखन से ताड़ के पत्ते।

ताड़ के पत्ते से शिलालेख।।

ताम्रपत्र लेख।। फिर कपड़ों पर।

कागज के आविष्कार,

कलम का आविष्कार दोनों

लिखित साहित्य की अति प्रगति।।

भूले बिसरे  लापता साहित्यों  की खोज।

प्रकाशन कलम कागज 

छापाखाने का आविष्कार।

ज्ञान के विकास के क्षेत्र में बड़ी क्रांति।।

भलाई में बुराई भी साथ साथ।।

कोरा कागज का है मन मेरा।

लिख लिया नाम तेरा,तेरा।

प्रेम पत्र ,बेनाम पत्र  प्रेम की कविताएं।

अश्लीलता,  चित्र, यूवकों को बिगाड़ने वाले।।

कलम द्वारा लिखित  विषय शाश्र्वत कैसे?

पत्थर पर के लेख भी घिस जाते हैैं।

कागज पर लिखने कलम ।।

आज तो संगणक  और

 कागज का महत्त्व।

कलम केवल हस्ताक्षर करने।।

A4Sheetaaका महत्त्व अधिक।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै

प्रीत

 नमस्ते। वणक्कम।

 विषय    प्रीत। है कू।

 नियम का अवलोकन अवश्य।

पालन करना भारत में?

यथा राजा तथा प्रजा।।

पैसे  लेते

मत देते

भ्रष्टाचार सह लेते।।

पैसे मिलें 

प्रीत।

प्रीत देश से,

५०%मत न देते।

प्रीत

लड़की से

जाति संप्रदाय मजहब 

बाधक।।

प्रीत ईश्वर से

मजहबी भेद।

प्रकृति से?

मौसमी भेद।।

आसक्त रहूं?

अनासक्त?

नश्वर जगत में,

प्रीत कैसे अनश्वर।।

नंगे बदन से जन्म,

कफ़न ओढ़ ये कोई।।

प्रीत के लाभ 

अस्थाई।।

स्वर्ग 

नरक को

किसीने देखा नहीं।

प्रीत?

प्रश्न चिन्ह्?

शब्द प्रतीत मनमोहक।

अतःलोग पागल।

 प्रतीत स्वार्थ।

तंग गली।

तीसरे को स्थान नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

संकल्प

 வணக்கம்.वणक्कम।नमस्ते।

"दृढ़ संकल्प ही दिलाए सफलता".

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 संकल्प लेना 

 हर पद के लिए,

आवश्यक।।

 सांसद, विधायक, राज्यपाल,

मंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्र पति,

प्रधान मंत्री,सब के सब

संकल्प लेते हैं।

उस पद तक पहुंचने,

दृढ़ संकल्प लेकर 

सेवक बनकर कठोर मेहनत करते हैं।।

जो ऐसे  दृढ़ संकल्प लेते हैं,

अपने लक्ष्य पर कामयाबी 

हासिल करते हैं ।।

खेद की बात है कि   आजकल

अंग्रेजी पढ़े लिखे युवक,

कालेज की युवतियां,

दृढ़ संकल्प  लेकर 

प्रेम  करने मोबाइल छिपाकर

माता पिता को ठगकर लव जिहाद में

जीवन  बर्बाद कर लेते हैं।।

युवकों को

संयम ,ब्रह्मचर्य, भारतीयता का

दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।।

स्वरचित स्वचिंतक एस. अनंत कृष्णन चेन्नै

भगवान एक

भगवान एक 

किंवदंतियाँ  अनेक।

नहीं  सत्य,नहीं  ईश्वर  

नहीं  सच्चे नही अच्छे कहना 

बडी मूर्खता है ।

जग अच्छा, जग स्वर्ग, 

जगन्नाथ  अति श्रेष्ठ ।

मानव बुद्धि 

 जब सांसारिक  होता है, 

तब दुख ही दुख मान।

स्वार्थ  ज्ञान मजहबी 

तोड़ता मानव मन।

मानसिक द्वंद्व 

कट्टर मजहबी

असंतोष अशांत,अहिंसात्मक 

हिंसात्मक  ,आदमखोर पशु तुल्य मन।

 इसीलिए  संसार में है संकट।

स्वरचित

 स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

जय मां गौरी।

 जय मां गौरी।

      जय जय  गौरी सर्व

जगतमाता


  केदारीरी पर्वत में  

 तेरी  तपस्या की महिमा।

  अर्द्ध नारीश्वर बन गये शिव।


अपने तपोबल से

 शिव को बनाया।

केदारी गौरीव्रत 

दीर्घ सुमंगली  रहने

करती है स्त्रियां।

  शिव शक्ति स्वरूपा

     गौरीश्वरी!तेरे पादारविंद में

      सविनय वंदना।।

पापमय नश्वर  जगत में

 भक्तों को सुख प्रदायिनी।

   प्रार्थना है 

किरीट विषाणु से

हमें बचाना।

 धन पद प्रधान जग में

भक्ति ही जग संकट मोचन।

तेरा भक्त अनंतकृष्णन चेन्नै


थना


बाल कविताएँ

 तितली चंचलसुंदर रंगीली

शीर्षक अति सुन्दर,

पर मानव सभ्य है,

संयमी है,जितेंद्र है।

मानव  की अपनी मर्यादा है।

चंचलता मानव की तरक्की में अति बाधक।निश्चल मन की प्रार्थना ईश्वर के दर्शन।

ईश्वर की सुन्दर सृष्टियों में

तितली का  आदी रूप

अति भद्दा अति असुंदर।

ऊपर गिरे तो खुजली।

हमारे आकर्षण अंतिम रूप।

हर फूल पर में चाहे फूल पर 

रस चूसना,कितना भाग्यशाली रूप।

उसकी कोई रोकता नहीं,उसके चंचल उड़ान ,स्वतंत्र  अपनी चाह की पूर्ति,फूलों का आनंद मकरंद मिलन, मानव को प्राप्त नहीं।

स्वरचित स्व चिन्तक अनंत कृष्णन , चेन्नई।

Wednesday, September 11, 2024

दुनिया सुखी है

 स्वार्थ  निस्वार्थ सेवा में 

 निस्वार्थ सेवक है

 बेचारा भला आदमी।

  न्याय   की मांग,

ईश्वर के भय से

 काम करनेवाले

 बेचारे भले आदमी 

  होटल में खाकर 

 बिल और इनाम देनेवाले 

  सच्चे सेवकों को दूर ही रखेंगे।

 धन जोड़ने से जवानी न रहेगी।

 बुढापा जवानी में न बदलेगा।

  निर्धन धनी होने पर सुखी,

 धनी निर्धन होने पर  दुखी।

  सेवालेने पर मेवा देना है,

  मुफ्त में काम करते समय

 जो प्रशंसा का पात्र बनतै हैं 

पैसे माँगने पर   दोषारोपण।

 यह दुनिया दुरंगी नहीं, बहुरंगी। 

 न्याय प्रिय के पक्ष में भी

 लोग ज्यादा है,  

अतः दुनिया सुखी है ।


एस.अनंतकृष्णन, 

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Friday, September 6, 2024

दुर्दशा

 मूल्यवान सुझाव  अंग्रेज़ी जैसे आय नौकरी । आजकल के युवक अंग्रेज़ी के कारण ही सुख सुविधा में।

 हिंदी संस्कृत के लेखक भूखा।

 एल के जी के लिए 5लाख ।

 किताबें 8हज़ार।

 देश भर में अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल गरीबों के लिए तमिल या भारतीय भाषा माध्यम।

 वह भी मुफ्त भोजन।

 निजी प्रैवेट स्कूल के अध्यापक का वेतन दो लाख सालाना।

 वह दो छात्रों के दान शुल्क।

 अध्यापक को एक दिन छुट्टी नहीं। एक दिन की छुट्टी  एक दिन का वेतन काट।

 सरकारी स्कूलों में अध्यापक को 

 अकस्मात छुट्टी, मेडिकल छुट्टी,  ‌कार्यालय काम।

 इतना ही नहीं, ट्रान्सफर होनेपर अवैतनिक छुट्टी।

 प्रधान अध्यापक की मांग के लिए विशेष पर्मिशन।

 जब तक नौकरी और आय की सुविधा नहीं तब तक देवनागरी लिपि और भारतीय भाषाओं की ओर छात्रों का आकर्षण करना असंभव है।

 हिंदी प्रोफेसर का बेटा हजारों में एक हिंदी अध्यापक।

 सब के सब अंग्रेज़ी माध्यम।

 बड़े बड़े संस्कृत विद्वान अंग्रेज़ी शासन काल में वकील, डाक्टर , सरकारी नौकरी के लिए 

 देव भाषा तजकर अंग्रेज़ी के पटु बन गये।

 धन न तो देव भाषा क्या देव भी धूल में।

  हजारों मंदिर तोड़े गये।। आज़ादी के बाद लाखों मस्जिद।

  एक पवित्र तीर्थ स्थान के आसपास मस्जिद गिरजा  घर।

 तमिल माध्यम स्कूल दो हज़ार बंद।

 आठ हज़ार अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल खोले हैं।

 संस्कृत मंत्र रोमन लिपि में।

 नागरी लिपि प्रोहित भी नहीं सीखता। यही वास्तविकता है।

  वास्तविकता यथार्थता यही है।

 बड़े कालेज में विश्वविद्यालय में स्कूलों में हजार शिक्षक है तो भारतीय भाषा प्राध्यापक  दस या बीस से ज़्यादा नहीं।

   अठहत्तर साल की आजादी की शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को  कब्रिस्तान की ओर ले जा रही है।

 दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई और तिरुचि आय के लिए अंग्रेजी माध्यम सीबिएससी स्कूल।

 तमिल नाडु सरकार भी छात्र संख्या  बढ़ाने अंग्रेज़ी माध्यम के वर्ग सरकारी स्कूलों में खोलना चाहती है।

 जय अंग्रेज़ी।

अंग्रेज़ी प्रकाशक

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक। यथार्थवादी। बहुजन विरोधी।

 



तमिल सीखिए उत्तम पुरुष सर्वनाम।

 तमिल सीखिए उत्तम पुरुष सर्वनाम।

 भाग--2

हम  ---नांगळ्, नाम् 

 हमारा ---ऍंगळुडैय, नम्मुडैय।

  हमको --ऍंगळुक्कु,

 हम को दो। -ऍंगलुक्कु कोडु

 हमको --ऍंगळै 

 हमको बुलाओ।

 एँगळै कूप्पिडु।

 हमसे --एंगळिडमिरुंदु।


हमसे लो। एंगळिडमिरुंदु ऍडुत्तुक्कोळ्।


हमसे --ऍंगलाल्

हमसे यह काम किया गया ।

 एंगळाल् इंद वेलै चेय्यप्पट्टतु।


हमसे  ---एँगळैविड

 हमसे वह  वे बड़े हैं।

 एंगळै विड अवर् पेरियवर्।

 हमारे लिए --एंगळुक्काक

 हमारे लिए यह काम करो।

 एंगळुक्काक इंद वेलैयै चेय्।

हमारा ---एंगळुडैय 

 यह हमारा घर है।

 इदु एंगळुडैय वीडु।।

 यह हमारा देश है।

 इंदु नम्मुडैय नाडु।

 हममें --एंगळुक्कुळ्

हममें एकता है।

 नमक्कुळ् ऒट्रुमै उळ्ळतु।

 हमपर --नम्मेल्।

 हमपर विश्वास रखो।

 एंगळ् मेल् नंबिक्कै वै।

 सर्वनाम  हम ।

कल सर्वनाम -मध्यम पुरुष।

 नमस्ते। वणक्कम 

 धन्यवाद। -- नन्रि।

एस.अनंतकृष्णन्

Wednesday, September 4, 2024

चाँद की चिड़िया

: अंग्रेज़ी माध्यम की पढ़ाई।

 हिंदी अंक उत्तीर्ण होने 30%

 यह शिक्षा प्रणाली और अंग्रेज़ी प्रधान शिक्षा नीति।

 मातृभाषा हो या माता

 धन न तो अपरिहार्य।

 अनेक लाख भारतीय विदेश में।

 ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा में 

 की लाख।

 जीविकोपार्जन जिस भाषा की हैं, उसी की प्रगति।

 नेहरू गांधी पटेल इंदिरा राहुल सब अंग्रेज़ी के पटु।

 अब राहुल खान भारतीय या विदेशी नागरिक।

 मुकद्दमा चालू।

एस.अनंतकृष्णन।

 तमिऴ्‌ मेरी  प्यारी।

 तमिऴ् मेरी माँ,

‌तमिऴ मेरी जान

तमिलनाडु में 

‌तमिल माध्यम बंद।

  हिंदी तो दुश्मन।

 तमिऴ के बिना यहाँ स्नातकोत्तर तक।

 यही आजाद भारत की दुर्दशा।

 यही आ सेतू हिमाचल की स्थिति।

  एस एस. अनंतकृष्णन।

चेन्नई। चांदी की  चिड़िया 

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चांदी की चिड़िया 

 जीवन में  प्रकाश ही नहीं,

 प्रेरणा प्रोत्साहन का मूल।

 भले ही सेवा भाव हो,

घर में चूल्हा नहीं जलता।

 जठराग्नि  न बुझता।

ईश्वर के मंदिर में निकट दर्शन

 चुनाव लडने प्रमुख दल के उम्मीदवार बनने,

 उच्च शिक्षा पाने

 अभियंता डाक्टर बनने,

 बुढ़ापे में रिश्तेदारी निभाने

  अड़ोस पड़ोस का सम्मान पाने 

 चाहिए चाँदी की चिड़िया।

 श्मशान की अंतिम क्रिया 

 हरिश्चंद्र के जमाने से आज तक

 सरकार के शुल्क।

 कदम कदम पर प्रगति के लिए 

 चांदी की चिड़िया आधार।

 अंत तक चाँदी की चिड़िया  आदर।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Tuesday, September 3, 2024

तमिल सर्वनाम उत्तम पुरुष मैं सीखिए

 नमस्ते वणक्कम्।

 मैं भारत और भारतीय भाषाओं के भक्त, आचार्य विनोबा भावे का अनुयायी,   भगवान ने मातृभाषा तेलुगू बनायी।

 पर तमिलनाडु में हजारों सालों से जी रहे हैं, अतः तमिऴ भाषा ही मातृभाषा बन गयी। तमिलनाडु मातृ प्रांत।

 हिंदी बन गयी जीविकोपार्जन की भाषा।

अतः जीविकोपार्जन की भाषा के द्वारा मातृभाषा बनी तमिऴ भाषा सिखाना ईश्वरीय देन है।

 वह भी नागरी लिपि द्वारा जिससे आचार्य विनोबा भावे, भूदान यज्ञ के साधक , देश भर पैदल चलकर हिंदी की गूँज के प्रवर्तक की आत्मा को शांति मिलेगी, 

 यही  श्रद्धांजलि होगी।

भाग ---1.


 तमिल सर्वनाम और रूपांतर सीखिए:---


---उत्तम पुरुष 

मैं --नान्

 मेरा,मेरे मेरी --ऍन्नुडैय।

मुझे --ऍनक्कु, ऍन्नै।

से  के अनेक अर्थों के अलग अलग विभक्ति चिह्न है।

 से --आल् 

 मुझसे --एन्नाल

  से -इडमिरुंदु।

 मुझसे --ऍन्निडमिरुंदु।

 से --विड

 राम से बड़ा है --रामनैविड पेरियवन्।

 से by आल 

 राम से रावण मारा गया।== रामनाल् रावणन् कोल्लप्पट्टान।

से --इरुंदु 

  खड़ी बोली से    हिंदी बन गई।

 को  , के लिए ---क्कु ,आक,  

 रामको रुपये दो। --रामनुक्कु रूपाय कॊडु।

 अध्यापक के लिए चाय लाओ --

 आसिऱियरुक्काक तेनीर् कोंडुवा।

 में --इल 

घर में --वीट्टिल्

 जेब में --जेप्पियिल

 पर --मेल,

 मेज पर -मेजैयिन मेल।

 दीवार पर -चुवट्रिन मेल।

हे,अरे

 हे राम,--ஹே ராம்.

 अरे राम --अडे राम।

   कल उत्तम पुरुष  "हम".

 धन्यवाद --नन्रि।

 नमस्ते --वणक्कम्


   पऴनि एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी

 प्रचारक। सौहार्द सम्मान प्राप्त हिंदी प्रेमी सेवी।