नमस्ते। वणक्कम।
३०-१०-२०२०.
जीवन/प्रकृति।
संचालक,समन्वयक,प्रशासक, सदस्य,पाठक
चाहक सबको नमस्कार। वणक्कम ।तमिलनाडु के हिंदी
प्रेमी अनंत कृष्णन चेन्नै का।।
प्रकृति सहज प्रतिक्रिया के बिना,
दो बिंदुओं के मिलन से उत्पन्न मानव
अन्य पशु पक्षी का जीवन कैसे संभव?
प्रकृति की देन तरकारियो के बिना
जिंदा रहना कैसे?
सूर्य की धूप भाप बिना वर्षा कैसे?
वायु देव के बिना सांस लेना कैसे?
पंच तत्त्व रहित पद,अधिकार,धन-दौलत
आदि का भोग कैसे?
बुढ़ापे,मृत्यु बगैर भूमि का भार कैसे घटता।।
जीवन मृत्यु प्रकृति की देन।।
मौसम बदलना,छे ऋतुओं का चक्कर।।
जीवन के सुख का प्रतीक वसंत तो
पतझड़ दुख का।
परोपकार की तुलना
दान,त्याग के उदाहरण।
गर्मी का सुख। तरुतले।।
प्रकृति ओर जीवन भिन्न अभिन्न।
अंधे का जीवन,बहरे का जीवन
जन्मजात है तो इलाज कहां?
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
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