Friday, September 6, 2024

दुर्दशा

 मूल्यवान सुझाव  अंग्रेज़ी जैसे आय नौकरी । आजकल के युवक अंग्रेज़ी के कारण ही सुख सुविधा में।

 हिंदी संस्कृत के लेखक भूखा।

 एल के जी के लिए 5लाख ।

 किताबें 8हज़ार।

 देश भर में अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल गरीबों के लिए तमिल या भारतीय भाषा माध्यम।

 वह भी मुफ्त भोजन।

 निजी प्रैवेट स्कूल के अध्यापक का वेतन दो लाख सालाना।

 वह दो छात्रों के दान शुल्क।

 अध्यापक को एक दिन छुट्टी नहीं। एक दिन की छुट्टी  एक दिन का वेतन काट।

 सरकारी स्कूलों में अध्यापक को 

 अकस्मात छुट्टी, मेडिकल छुट्टी,  ‌कार्यालय काम।

 इतना ही नहीं, ट्रान्सफर होनेपर अवैतनिक छुट्टी।

 प्रधान अध्यापक की मांग के लिए विशेष पर्मिशन।

 जब तक नौकरी और आय की सुविधा नहीं तब तक देवनागरी लिपि और भारतीय भाषाओं की ओर छात्रों का आकर्षण करना असंभव है।

 हिंदी प्रोफेसर का बेटा हजारों में एक हिंदी अध्यापक।

 सब के सब अंग्रेज़ी माध्यम।

 बड़े बड़े संस्कृत विद्वान अंग्रेज़ी शासन काल में वकील, डाक्टर , सरकारी नौकरी के लिए 

 देव भाषा तजकर अंग्रेज़ी के पटु बन गये।

 धन न तो देव भाषा क्या देव भी धूल में।

  हजारों मंदिर तोड़े गये।। आज़ादी के बाद लाखों मस्जिद।

  एक पवित्र तीर्थ स्थान के आसपास मस्जिद गिरजा  घर।

 तमिल माध्यम स्कूल दो हज़ार बंद।

 आठ हज़ार अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल खोले हैं।

 संस्कृत मंत्र रोमन लिपि में।

 नागरी लिपि प्रोहित भी नहीं सीखता। यही वास्तविकता है।

  वास्तविकता यथार्थता यही है।

 बड़े कालेज में विश्वविद्यालय में स्कूलों में हजार शिक्षक है तो भारतीय भाषा प्राध्यापक  दस या बीस से ज़्यादा नहीं।

   अठहत्तर साल की आजादी की शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को  कब्रिस्तान की ओर ले जा रही है।

 दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई और तिरुचि आय के लिए अंग्रेजी माध्यम सीबिएससी स्कूल।

 तमिल नाडु सरकार भी छात्र संख्या  बढ़ाने अंग्रेज़ी माध्यम के वर्ग सरकारी स्कूलों में खोलना चाहती है।

 जय अंग्रेज़ी।

अंग्रेज़ी प्रकाशक

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक। यथार्थवादी। बहुजन विरोधी।

 



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