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Sunday, August 3, 2025

स्वतंत्रता दिवस

 नमस्ते वणक्कम्।

स्वतंत्रता दिवस।



देश में हम स्वतंत्र है,

 स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं,

 इसका मतलब हम गुलाम थे।

गुलामी से आजा़द मिलना

 आसान नहीं।

 भारत भूमि सर्वसंपन्न भूमि,

 प्राकृतिक रक्षक चारों ओर।

 उत्तर में उत्तुंग शिखर के

 हिमालय, पूरब, दक्षिण, पश्चिम में सागर।

 जीव नदियाँ,

 न अनाजों की कमी,

 बारह मासों में

  सभी मौसमों का मज़ा।

ऐसे स्वर्ग भूमि जग में नहीं।

भारत को लूटने आये

 मंगोल, मुगल, फ्रांसीसी, अंग्रेज़ी, डच, ग्रीक

 ज्ञानार्जन के लिए आये 

 चीन से,

 नालंदा विश्वविद्यालय,

 दक्षशिला विश्वविद्यालय 

 ऋषि मुनियों की देव भूमि,

 वेद, उपनिषद, पुराण 

 देव भाषा संस्कृत ।

 पर विदेशी आक्रमणकारी,

 लुटेरे 

 हममें एकता न होने से

 आसानी  से‌ शासक बने।

 अंग्रेज़ी शासक 

व्यापारी बनकर आये,

 उनकी नीति से

 अब भी भारतीय चिंतन 

 भारतीय भाषाओं का महत्व

 भारतीयों में हीन।।

 आज़ादी हमने न पाया आसानी से।

 आज़ादी प्राप्त करने

 हजारों लोगों ने

 बहुत कष्ट सहा।।

तन,मन,धन त्यागे।

 फाँसी पर चढ़े।

 उन शहीदों की जीवनियाँ

 हमें पढ़नी चाहिए।

विदेशी कम,पर उनकी सेना में भारतीय अधिक।

 उनके चंद पैसों के लिए,

 पद के लिए,

 उपाधि के लिए 

 सब अंग्रेज़ी सीखने लगे।

भारतीय भाषाओं को

 ज्ञान शून्य समझने लगे।

 स्वतंत्रता संग्राम में 

 देश भक्तों को लाठियों का मार सहना पड़ा।

 जालियांवाला बाग में 

 जनरल टयर ने निर्दयता से

 देश भक्तों को गोलियों से भून डाला।।

 लाला लजपति राय,

बाल गंगाधर तिलक 

 सुभाषचन्द्र बोस 

 महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी,

पं.जवाहरलाल नेहरू

 चक्रवर्ती राजगोपालाचारी,

 कामराज,

 अल्लूरी सीतारामय्या

 वीरपांडिय कट्टबोम्मन,

झांसी रानी लक्ष्मीबाई 

 चित्तूर रानी चिन्नम्मा

 चंद्रशेखर आजाद,

 भगतसिंह 

 सुखदेव सिंह,

 कितने बड़े त्यागी,

 आज़ादी की लड़ाई में 

 कष्ट सहे, जेल गये

छद्म वेश में छिपकर रहे।

 परिवार त्यागा,

जेल में  कोल्हू खींचे।

 उन शहीदों की जीवनियाँ

 युवकों को पढ़नी चाहिए।

 देश की एकता 

बनाए रखनी चाहिए।

 राष्ट्रीय शिक्षा,

 राष्ट्रीय भाषाओं पर

 ध्यान देना चाहिए।।

 भारतीय कलाओं  को

 सीखना चाहिए।

 भारतीय संस्कृति, आचार विचार  पर गर्व करना चाहिए।

 हममें एकता सुदृढ़ होनी चाहिए।

 जय भारत। जय हिन्दी, जय भारत की भाषाएँ।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी  प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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