धूम्रपान निषेध।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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तबीयत बिगड जाएगी,
फेफड़ों की हानियां होंगी।
विज्ञापन के साथ
बिक्री की अनुमति।।
बस में,रेल में धूम्रपान मना है।
फिर भी बिक्री की अनुमति।
कारण सिगरट फेक्ट्री,
उसके मालिक,
उसके कर्मचारी,
उनके परिवार सबके
जीविकोपार्जन के साधन।
इतना ही नहीं ,
उनको बेचनेवाले
फुटपाथ के व्यापारी से
बड़े या पारी तक की आमदनी का साधन।
यों ही मधुशाला,
पीने से परिवार की हानियाँ,
न पीने से सरकार की आमदनी में घाटा।
आमदनी के आधार पर
जनता की तबीयत बिगाड़ने वाली
नशीली वस्तुओं की
बिक्री,
दूसरा तर्क है,
न अनुमति देने पर
काले बाज़ार में
अवैध बिकेंगे।
पुलिस और अन्य अधिकारी मालामाल बन जाएँगे।
सरकार तो धूम्रपान मना है, विज्ञापन भी देती है।
फिर भी पीते हैं,
धुएँ का मजा उड़ाते हैं तो
दोष सरकार का नहीं,
पियक्कड़ों का।
एक पंखा संन्यासी
धूम्रपान करता तो
उसके कान से,
नाक से,उसके कुत्ते से
धुएँ आती।
उनके भक्त और विश्वस्त सहयोगी द्वारा एक प्रदर्शनी।
लोगों की भीड़।
जय हो संन्यासी।
भविष्यवाणी कहनेवाले,
मंदिर देवता की खुश करने
भेंट चढाया करते।
जय हो सरकार भी चुप,
भक्ति में भावावेश।
पर धूम्रपान निषेध।
फेफड़ों की हानियाँ।
सावधान।
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