हमारा कान्हा प्यारा।
एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई
हम तमिलनाडु में
कान्हा को कहते हैं कण्णन, कृष्णन।
कितने भक्त हैं
कण्णन के।
चित्रपट के कवि सम्राट
अपने नाम को रखा है
कण्णदासन।
कालिंगनर्तन का कन्हैया।
भूत के वध का कन्हैया।
पांडवों का प्रिय कन्हैया।
मुरली बजाने वाले कन्हैया।
गोपालक कन्हैया।
राधा प्रिय कन्हैया।
गीता चार्य कन्हैया।
गोपिकाओं के प्रिय कन्हैया।
रसखान प्रिय कन्हैया
रसखान ने गाया,
मानुष हौं तो वही रसखानि, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥"
सूर प्रिय कन्हैया,
जगत रक्षक कन्हैया।
मित्रता के आदर्श तो
सुदामा कृष्ण कन्हैया।
दुष्ट संहारक कन्हैया।
इष्ट रक्षक कन्हैया।
इस्कान मंदिर में
कन्हैया
विश्वभर में गूँजउठता
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
गोवर्धन धारी, वर्ण भगवान हारी।
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