जीवन का संतुलन
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई,
--+-+++++++++++++
जीवन का संतुलन
खुराक़ में संतुलित
भोजन -सा ,
व्यवहार में संतुलन
अति आवश्यक है।
परिमाण से ज़्यादा होने पर अमृत भी होगा विषय।।
लोभ अति लोभ
कभी न देता संतोष।
काम को दबाना है,
नहीं तो बदनाम होगा ही।
क्रोध भी संतुलित होना है।
नव रर्सों के राजा श्रृंगार,
वह नियंत्रण में न हो तो
इंद्र समान बदनाम होगा ही।
भय असत्य काम से होना है,
भय जीवन की
तरक्की में बाधा।
कसरत भी संतुलित होना है।
जीवन असंतुलन होने पर
मानसिक , शारीरिक, आर्थिक असंतुलन होगा ही।
संतुलन जीवन में चाहिए,
भोजन में, बोली में,
व्यवहार में।
अति प्रिय, अति संपत्ति।
अहंकार न देगा सुख।
No comments:
Post a Comment