वल्लुवर सुमंत्री के लक्षण और उनके कर्तव्य और जिम्मेदारियों के महत्व बताने के बाद उनके अधीन के कर्मचारी सेनापति के लक्षण का जिक्र करते हैं।
उनके कुरल -ग्रन्थ में सैनिक-महत्व् के अधिकारं सतहत्तरवाँ है। सत्तास्वाँ अधिकारं है शत्रु-लक्षण।
इन दोनों अधिकारमों के भेद पर पहले जान्ने का बाद सैनिक -महत्व् पर विचार करेंगे।
बेवकूफी,मित्रता न निभाना, रिश्ता छोड़ना,निस्सहायता आदि कमी-पेशियों से शत्रुता के लक्षण बताना शत्रु-का महत्व अधिकारं है। थोड़े में कहें तो शत्रु-पर आक्रमण करके शत्रु-नाश करना शत्रु-विशेषता है।
सैनिक महत्व् तो चढाई के बाद जान को तुच्छ मानकर अंत तक लड़-मरना।
राजा के सुमार्ग की कमाई की सुरक्षा करना और दुश्मनों से देश को बचाना सैनिक-विशेषता होती है।
इस अधिकारं में एक कुरल को छोड़कर बाकी नौ , कुरलों में "पडै "(सेना) शब्द का प्रयोग हुआ है।यही कुरल की विशेषता है।
एक राजा की रक्षा के लिए अंत तक लड़कर , पीठ न दिखाकर वीर गति प्राप्त करने की सेना मूल-सेना है।
क्या सेना में भी भेद हैं? हाँ, सेनायें छे प्रकार की होती हैं।1.कूली सेना,देश सेना,जंगली सेना,सहायक सेना,दुश्मनी-सेना आदि। इनमें मूल-सेना का ही महत्व अधिक है। युद्ध काल में ही जो सेना तैयार की जाती है,वह कुली सेना है।दुश्मनों से किसी मानसिक-कटुता के कारण आ मिले हैं,व शत्रु-सेना है।
उनके कुरल -ग्रन्थ में सैनिक-महत्व् के अधिकारं सतहत्तरवाँ है। सत्तास्वाँ अधिकारं है शत्रु-लक्षण।
इन दोनों अधिकारमों के भेद पर पहले जान्ने का बाद सैनिक -महत्व् पर विचार करेंगे।
बेवकूफी,मित्रता न निभाना, रिश्ता छोड़ना,निस्सहायता आदि कमी-पेशियों से शत्रुता के लक्षण बताना शत्रु-का महत्व अधिकारं है। थोड़े में कहें तो शत्रु-पर आक्रमण करके शत्रु-नाश करना शत्रु-विशेषता है।
सैनिक महत्व् तो चढाई के बाद जान को तुच्छ मानकर अंत तक लड़-मरना।
राजा के सुमार्ग की कमाई की सुरक्षा करना और दुश्मनों से देश को बचाना सैनिक-विशेषता होती है।
इस अधिकारं में एक कुरल को छोड़कर बाकी नौ , कुरलों में "पडै "(सेना) शब्द का प्रयोग हुआ है।यही कुरल की विशेषता है।
एक राजा की रक्षा के लिए अंत तक लड़कर , पीठ न दिखाकर वीर गति प्राप्त करने की सेना मूल-सेना है।
क्या सेना में भी भेद हैं? हाँ, सेनायें छे प्रकार की होती हैं।1.कूली सेना,देश सेना,जंगली सेना,सहायक सेना,दुश्मनी-सेना आदि। इनमें मूल-सेना का ही महत्व अधिक है। युद्ध काल में ही जो सेना तैयार की जाती है,वह कुली सेना है।दुश्मनों से किसी मानसिक-कटुता के कारण आ मिले हैं,व शत्रु-सेना है।