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Saturday, November 8, 2025

भारतीय महिमा

 [08/11, 9:51 pm] sanantha.50@gmail.com: देश

 देश हमारा देशभक्त भरे

 नागरिकों का नहीं।

 सिकंदर के आक्रमण ,

 पुरुषोत्तम का सामना 

 आंटी का द्रोह।

 आज़ादी के बाद 

 कृषी विकास के बदले

 औद्योगिकरण के नाम

 भारतीय कुटिर उद्योगों का नाश।

 गंगा तट  पर पीने का पानी विदेशी  यंत्र कंपनी 

का मिनरल वाटर।

 झीलों का नदारद।

  नदियों में पानी का प्रदूषण।

 संविधान में सब बराबर।

 व्यवहार में अल्पसंख्यकों के मजहब का अधिक अधिकार सहूलियतें।

 चुनाव में भ्रष्टाचारी  अपराधी सांसद विधायकों का विजय।

 नकली दूध, 

 मिलावट घी की बिक्री।

 भारतीय भाषाओं को नदारद।

 अंग्रेज़ी माध्यम की प्रधानता।

 पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।

 तलाक के मुकद्दमों  की बढ़ती अदालत।

 सम्मिलित परिवार का नदारद।

वृद्धाश्रम की बढ़ती।

 आज़ादी के 78साल के बाद स्वच्छ भारत का नारा।

 अमीर अपराधियों के

 मुकद्दमे बारह साल तक

 अंत में फाइल गायब,

 गवाहों का गायब।

 अपराधी के पक्ष में न्याय।

हर विभाग में रिश्वत।

 देश में सहनशीलता।

 इन सब के होने पर भी

 देश की आश्चर्यजनक प्रगति।

 श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 

 भारतीयता का जागरण।

 स्वच्छ भारत का नारा।

 विपक्षियों का एकजुट विरोध।

 राष्ट्रीय शिक्षा का तमिलनाडु में विरोध,  

नवोदया स्कूल का विरोध 

 हिंदी का विरोध,

 सनातन धर्म का समूल नष्ट करने का शपथ।

 फिर भी देश की एकता।

 देशोन्नति देख अमानुषीय शक्ति 

 आध्यात्मिक शक्ति का आश्चर्यजनक प्रभाव।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

[09/11, 12:25 am] sanantha.50@gmail.com: भारत देश।

 पुण्य भूमि है भारत।

 देव भूमि है भारत।

वेदों की भूमि है भारत।

 वीरों कि भूमि है भारत।

 ऋषि मुनियों और संतों की भूमि भारत।

  अतिथि देवो भव का आदर्श भूमि है भारत।।


विविधता में आदर्श एकता की भूमि भारत।

 विभिन्न भाषाओं के देश में 

 बड़ी एकता है सोच विचार का।

लाला लाजपत राय 

 बालगंगाधर तिलक,

 विपिन चंद्र पाल 

 सुभाष चंद्र बोस जैसे

 अतुल्नीय नेता,

 भगत सिंह, राजगुरु, कुमरन जैसे वीर पुत्रों की भूमि भारत।

 अहिंसा परमो धर्म के

 अहिंसा शांति भ्रातृभाव 

 प्रिय विश्वंद्य मोहन दास करमचंद गांधी जी की पुण्य भूमि भारत।

 एशिया ज्योति भगवान 

 बुद्ध की पुण्य भूमि भारत।

राम, कृष्ण‌ की अवतार भूमि भारत।

 पुष्पक विमान की भूमि भारत।

 चिकित्सा में शल्य चिकित्सा के वैद्यों की भूमि भारत।

 विश्व की प्रगति के लिए मार्ग दर्शकों की भूमि भारत।

 वीर धीर साहसी पुरुषों की भूमि भारत।

जय भारत!

 एस अनंतकृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

आज का भारत

 देश

 देश हमारा देशभक्त भरे

 नागरिकों का नहीं।

 सिकंदर के आक्रमण ,

 पुरुषोत्तम का सामना 

 आंभी का द्रोह।

 आज़ादी के बाद 

 कृषी विकास के बदले

 औद्योगिकरण के नाम

 भारतीय कुटिर उद्योगों का नाश।

 गंगा तट  पर पीने का पानी विदेशी  यंत्र कंपनी 

का मिनरल वाटर।

 झीलों का नदारद।

  नदियों में पानी का प्रदूषण।

 संविधान में सब बराबर।

 व्यवहार में अल्पसंख्यकों के मजहब का अधिक अधिकार सहूलियतें।

 चुनाव में भ्रष्टाचारी  अपराधी सांसद विधायकों का विजय।

 नकली दूध, 

 मिलावट घी की बिक्री।

 भारतीय भाषाओं को नदारद।

 अंग्रेज़ी माध्यम की प्रधानता।

 पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव।

 तलाक के मुकद्दमों  की बढ़ती अदालत।

 सम्मिलित परिवार का नदारद।

वृद्धाश्रम की बढ़ती।

 आज़ादी के 78साल के बाद स्वच्छ भारत का नारा।

 अमीर अपराधियों के

 मुकद्दमे बारह साल तक

 अंत में फाइल गायब,

 गवाहों का गायब।

 अपराधी के पक्ष में न्याय।

हर विभाग में रिश्वत।

 देश में सहनशीलता।

 इन सब के होने पर भी

 देश की आश्चर्यजनक प्रगति।

 श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 

 भारतीयता का जागरण।

 स्वच्छ भारत का नारा।

 विपक्षियों का एकजुट विरोध।

 राष्ट्रीय शिक्षा का तमिलनाडु में विरोध,  

नवोदया स्कूल का विरोध 

 हिंदी का विरोध,

 सनातन धर्म का समूल नष्ट करने का शपथ।

 फिर भी देश की एकता।

 देशोन्नति देख अमानुषीय शक्ति 

 आध्यात्मिक शक्ति का आश्चर्यजनक प्रभाव।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

Friday, November 7, 2025

तनाव

            कार्य तनाव 

+++++++++++++++

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

8-11-25

+++++++++++++++


 मानव मन में तनाव 

 जाने अनजाने में होता है।

 जो भी कार्य करते हैं,

उसमें कोई विघ्न होने पर

 घाटा होने पर,

 विरोध होने पर,

 आगे का रास्ता दिखाई न पड़ने पर, 

कोई उपाय न सूझने पर,

 माता-पिता, पति पत्नी के कारण,

 आजकल शिक्षित समाज में,

 सहनशीलता 

के अभाव के कारण,

 पारिवारिक जीवन में तनाव।

 अर्थ प्रधान संसार में 

 मानवता अर्थहीन हो जाता हैं।

 परिणाम कार्यों में तनाव।

अहंकार, ईर्ष्या,प्रतिशोध,

 भय, शोक, ठगे जाना 

 कार्यों में तनाव ही तनाव।

 स्वार्थता, पक्षपात, रिश्वतखोरी आदि तनाव ।

धनी निर्धनी  के तनाव।

कुपूत के कारण तनाव।

परीक्षा तनाव, अंक तनाव

बुद्धि  लब्धि का तनाव,

 सूचित अनुसूचित जातियों की प्राथमिकता,

 अंक और उम्र में छूट।

  नौकरी में तनाव।

 सीनियर के रहते ,

 जूनियर की तरक्की।

 कार्य क्षेत्र में तनाव,

 पारिवारिक जीवन में तनाव।

 पाश्चात्य प्रभाव।

 परिणाम तलाक मुकद्दमा संख्या भारतीय 

संस्कृति  का पतन।

 ईश्वर का भय कम।

 संसार नश्वर है को 

भूल जाते मनुष्य।

 परिणाम जीवन के हर कार्य में तनाव ही तनाव।


एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

 

 


 


 



 

 




 

 

 



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Thursday, November 6, 2025

कसौटी ------------ एस . अनंत कृष्णन, चेन्नई 7-11-25 ++++++++++ कसौटी एक काला पत्थर, स्वर्ण की असली-नकली जानने का उपयोग। अब वह एक मुहावरा बन गया। अध्यापक छात्रों को परीक्षा की कसौटी पर देखते हैं। माता पिता अपने बच्चों के चाल-चलन का कसौटी पर कसकर देखते हैं। मिलावट का पता कसौटी पर कसकर देखने से चलता है। अदालत में न्यायाधीश गवाहों को कसौटी पर कसकर देखते हैं। खेद की बात है कि चुनाव में मतदाता, सांसद विधायक की ईमानदारी की कसौटी पर कसकर चुनने में अक्सर भूल करते हैं। धन की कसौटी पर कसना सही नहीं है। अंक ही छात्रों की कसौटी है, पर जाति की कसौटी पर कसना सही नहीं है। देश भक्ति, सत्य की कसौटी पर कसकर जन प्रतिनिधि चुनना देश की भलाई है। कसौटी

 कसौटी 

------------

एस . अनंत कृष्णन, चेन्नई 

7-11-25

++++++++++

 कसौटी एक काला पत्थर,

स्वर्ण की असली-नकली 

 जानने का उपयोग।

 अब वह एक मुहावरा बन गया।

 अध्यापक छात्रों को

 परीक्षा की कसौटी पर देखते हैं।

 माता पिता  अपने बच्चों के चाल-चलन का कसौटी पर कसकर देखते हैं।

 मिलावट का पता कसौटी पर कसकर देखने से चलता है।

अदालत में न्यायाधीश 

 गवाहों  को कसौटी पर कसकर देखते हैं।

 खेद की बात है कि 

चुनाव में मतदाता,

 सांसद विधायक की ईमानदारी की कसौटी पर 

 कसकर चुनने में 

 अक्सर भूल करते हैं।

 धन की कसौटी पर कसना सही नहीं है।

 अंक ही छात्रों की कसौटी है,

 पर जाति की कसौटी पर

 कसना सही नहीं है।

देश भक्ति, सत्य की कसौटी पर कसकर 

 जन प्रतिनिधि चुनना 

 देश की भलाई है।


 

 

 

 

 



 

 


 






 

 

 

 




Wednesday, November 5, 2025

परिवर्तन शीलता

 नमस्ते वणक्कम्।

जब मुख पुस्तिका 

 खुलता हूँ,तब प्रेरित करता है मन की बात लिखो।

 प्रधान मंत्री से मनकी बात,

 अगर मेरे अंतर्मन की बात कहने पर

 दोस्ती बढ़ेगी या घटेगी पता नहीं।

 तुलसी का चंद लिखो,

 खोरठा , चौपाई, दोहा लिखो।

 सूर सा लिखो

 तब तो वे दिव्य कवि

 सूर्य चंद्र  सब कैसे?

 कुछ लोग रूढ़ीवाद पर 

 जोर देते हैं।

 सोचता हूँ, 

 पाषाण युग के रूढ़ीवाद 

 पशुओं के वाहन 

 अब नहीं टिक सकता

आवागमन के साधनों मैं 

 विकास परिवर्तन,

 नौकरियों की सुविधाएँ,

 पेशेवर का यंत्रीकरण,

संगणिक क्षेत्र की क्रांति 

 गुरुकुल पाठशाला का लापता,

 संस्कृत मिलावट भारतीय बाषाएँ शिक्षितों का आदर आधार।

 अब अंग्रेज़ी मिलावट 

 अंग्रेज़ी माध्यम 

 कितना गर्व का विषय।

 अमूल भारतीय भाषाओं का, संस्कृति का, पोशाक और खाद्य तरीकों का

  टट्टी तक अंग्रेजी परिवर्तन।

 एक जमाना था खुले मैदान ही शौचालय।

 अब वह restroom

 आराम कक्ष में बदल गया।

 साहित्य की इतना विकास 

 तकनिकी ग्रंथों का विकास 

 ज्ञान का विस्फोट 

 ताड़ के ग्रंथों के कारण नहीं,

 छापाखाने के कारण।

परिवर्तन ही प्रगति।

नश्वर संसार में परिवर्तन प्रधान।

 संकलनत्रय न तो

 वह साहित्य आकर्षण खो देता।

  पद्यात्मक साहित्य का ही  रूढ़िवादी के अनुसार रहें तो हमे प्रेम चंद, 

 जयशंकर प्रसाद 

 छायावाद रूढ़ीवाद प्रगति वाद हालावादी विचारों कै

 नव कविता, मुक्त छंद है कू इतनी शैलियाँ

 कहानी, लघु कहानी निबंध आत्मकहानी आलेखन पत्र  इतने स्वाहित्य वर्गीकरण कैसे मिलते।

 प्रेम विवाह, अंतर्राष्ट्रीय विवाह, अंतर्जातीय विवाह, तलाक, वृद्धाश्रम 

 परिवर्तन ही विकास।

 खड़ी बोली हिन्दी का विकास।

भाषाओं की मृत्यु 

 नयी भाषा का विकास।

 यही नश्वर जगत का अनश्वर परिवर्तन।


 एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

 

 

Tuesday, November 4, 2025

भ्रम

 राजा का भ्रम।

 एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

5-11-25

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भारत देश में ही नहीं,

 सारे विश्व में एक भ्रम है

 राजा ईश्वर तुल्य है।

 शासक प्रजातंत्र में भी

 भ्रमवश गलत चुने जाते हैं।

 चुनाव जीतने के बाद 

 ईद के चाँद हो जाते हैं।

 प्रजा के सपना मृग मरीचिका हो जाता है।

 दशरथ महाराज के 

 भ्रम जंगली जानवर।

 परिणाम शब्द भेदी बाण।

 पुत्र शोक के पाप का शाप।

 राजा के भ्रम से 

 देश की हानी।

 अज्ञातवास में 

 पांडवों के भ्रम में 

 हर घटना।

 चापलूसी  सभा

 सदों के भ्रम।

भ्रम के कारण,

निरपराध को दंड।

 तमिल काव्य शिलप्पधिकारम् में 

 निरपराध का कथानक को

 चोर के भ्रम होने से

 राजा ने मृत्यू दंड दे दिया।

 जब कोवलन की पत्नी ने

 राजा के फैसले को 

 गलत प्रमाणित  किया 

 राजा स्वयं मर गये।

साँप को रस्सी मानना,

 रस्सी को साँप मानना,

 भ्रम में पड़ना।

 कभी कभी विपरीत हो जाता।

भ्रम  में पड़ना 

 मानव जीवन में 

 अति संकट दुविधा 

परेशानियों के कारण।

Monday, November 3, 2025

शब्दों के चमत्कार

  शब्दों के पंख 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

+++++++++++++++


शब्दों के पंख,

 वह स्वतंत्रता से निकलता है।

 एक शब्द मधुर,

 शांति की स्थापना।

 दूसरा है कठिन

 हिंसा के बीज।

 बुद्ध, नानक, शंकराचार्य के वचन मार्गदर्शक।

 आतंकवाद के वचन 

 हिंसा अशांति।

 आदर्श नेता के शब्द 

 देश की भलाई।

 लालबहादुर शास्त्री के वचन,

 जय जवान, जय किसान,

 अति अनुकरणीय।

शब्द जो निकलते हैं,

 वह  एक शक्ति देता है।

 जय हिन्द का नारा,

 इनकलाब   जिंदाबाद 

 शब्द के पंख  स्वतंत्र से

उड़ते हैं,  हर मानव के मन में नयी स्फूर्ति,नया तेज, नयी ऊर्जा ,नये ज्ञान 

 कर्म की ओर प्रेरणा,

 देश प्रेम में जागरण।

 आध्यात्मिक लगन।

जय जगत, जगत मिथ्या,

 ब्रह्म सत्यं,

 सत्यमेव जयते। 

 ये शब्द के पंख न तो

 मानव जीवन निरर्थक।

 सार्थक जीवन शब्दों के पंख।

 मानव में मानवता लाती!

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

 




 

 


 

 




  



 




 

 

 

 

 

 

 

 

 


 



 



 

 

 

 शब्दों के पंख 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई 

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शब्दों के पंख,

 वह स्वतंत्रता से निकलता है।

 एक शब्द मधुर,

 शांति की स्थापना।

 दूसरा है कठिन

 हिंसा के बीज।

 बुद्ध, नानक, शंकराचार्य के वचन मार्गदर्शक।

 आतंकवाद के वचन 

 हिंसा अशांति।

 आदर्श नेता के शब्द 

 देश की भलाई।

 लालबहादुर शास्त्री के वचन,

 जय जवान, जय किसान,

 अति अनुकरणीय।

शब्द जो निकलते हैं,

 वह  एक शक्ति देता है।

 जय हिन्द का नारा,

 इनकलाब   जिंदाबाद 

 शब्द के पंख  स्वतंत्र से

उड़ते हैं,  हर मानव के मन में नयी स्फूर्ति,नया तेज, नयी ऊर्जा ,नये ज्ञान 

 कर्म की ओर प्रेरणा,

 देश प्रेम में जागरण।

 आध्यात्मिक लगन।

जय जगत, जगत मिथ्या,

 ब्रह्म सत्यं,

 सत्यमेव जयते। 

 ये शब्द के पंख न तो

 मानव जीवन निरर्थक।

 सार्थक जीवन शब्दों के पंख

 मानव में मानवता लाती!