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Tuesday, November 25, 2025

यादें संस्मरण

 यादें संस्मरण।

 मैं आठवीं कक्षा में पढ़ रहा था।

 मुझे पैर गाड़ी चलाना नहीं आता।

हम हर इतवार को हमारे घर से पाँच मील की दूरी पर शक्ति विनायकर मंदिर अपने दोस्त नागराजन के साथ ही जाया करते थे। 

 कारण मंदिर घर से पाँच छे मील  की दूरी पर था। नागराज पैर गाड़ी चलाता था, पैर गाड़ी की दूकान भी थी।

 उसके पीछे के आसन पर बैठकर ही जाया करता था। मंदिर जंगल में था।

आसपास कोई घर या दूकान  नहीं था। 

अचानक टयर पर काँटे के चुभने से 

 पंचर हो गया। पर हवा थी।

 अनुभव हीन मैं काँटे को निकाला तो

पूरी हवा निकल गई। दोस्त को गुस्सा हुआ। काँटे को न निकाल ने पर धकेल कर जाना आसान है।   फिर मंदिर दो मील और वापस पाँच मील साईकिल 

धकेल कर आना पड़ा।

कभी गाड़ी नाव पर कभी नाव गाड़ी पर।

 यह घटना भूल नहीं सकता।

 लेकिन मंदिर में भगवान के दर्शन एक जिला देश के आने से  विशेष अभिषेक आराधना शांति प्रद संतोष प्रद रहा।

 वह बड़ी शक्ति की मूर्ति थी, उसकी गोद पर गणेश की मूर्ति थी।

 नाक में नक बेसरी पहनाने एक छेद था। उसमें हीरे के नथबेसरी चमक रही थीं। कानों में हीरे। स्वर्ण कवच।

 जंगल में ऐसी  दिव्य मूर्ति।

 वही शक्ति विनायक का हृदय स्पर्शी अंतिम दर्शन था।  उसके बाद मैं  नौकरी  के मिलने के बाद  वह मंदिर न जा सका। लेकिन वह दिव्य मूर्ति आँखों में बस गयी।  कबीर की यह दोहा याद आती है --

नयनों की करी कोठरी, पुतली  पलंग बिछाय।

पलकों की चिक डारि के,पियको करो रिझाय।।

 सांत्वना केलिए 

 तेरा साईं तुझमें, ज्यों पुहपन में वास।

 अद्वैत भावना 

 लाली मेरे लाल  की,

जित देखो तित लाल।।

लाली देखन मैं गयी,

मैं भी हो गई लाल।

 अहं ब्रह्मास्मी। आत्मज्ञान।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना। यादें, संस्मरण।

Sunday, November 23, 2025

आस्तीन के साँप

आस्तीन के खंजर।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई।
24-11-25
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भारत भूमि 
वीरों की भूमि।
 वेद उपनिषद की ज्ञान भूमि।
फिर भी विदेशों के शासन।
मुट्ठी भर के अंग्रेज़ी 
 देश के शासक बने।
 सिकंदर की चढ़ाई में 
 राजा पुरुषोत्तम का पराजय।।
  भक्ति के क्षेत्र में बाहृयाडंबर।
 मधुर प्रवचन,
 आदर्श प्रवचन।
बाह्याडंबर के आश्रम।
आस्तीन के खंजर।
 आस्था राम पर,
 आशा राम पर
 पर होते आस्तीन का खंजर।
 मंदिर छोटा,
 इर्द-गिर्द बिक्री 
 नकली चंदन नकली रुद्राक्ष।
 मंदिर भक्ति का केंद्र नहीं,
व्यापारिक केंद्र,
 आस्तीन का साँप।
काशी के ठग
 अति प्रसिद्ध।
  भारत के इतिहास में 
 विदेशियों के शासन।
 कारण  स्वार्थ 
आस्तीन के खंजर अधिक।
मोबाइल में अति सुन्दर विज्ञापन,
 नकली चीजों की बिक्री।
वे भी होते हैं आस्तीन के खंजर।
 चुनाव क्षेत्र में तो
 भ्रष्टाचारी की विजय।
ये भी अस्तीन के साँप।
रिश्वतखोरी अधिकारी 
वे भी आस्तीन के खंजर।
रिश्वत को रोकने एक विभाग।
 वह किस काम का पता  नहीं,
हर सरकारी क्षेत्र में 
 आस्तीन के खंजर अधिक।
  कदम कदम पर आस्तीन के साँप।
कोचिंग सेंटर  में 
 आस्तीन के खंजर।
अदालत  में न्याय में देरी।
 वहाँ भी आस्तीन के खंजर अधिक।
 फूँक फूँककर आगे कदम 
 रखना,
 पौराणिक कथाओं में 
आस्तीन के खंजर अनेक।
देशोन्नति के मार्ग का रोडा 
इन आस्तीन के खंजरो के कारण।
जनता जान बूझकर 
 आस्तीन के खंजरों 
 का साथ देती हैं 
 मतदान देकर।

Saturday, November 22, 2025

मन

 मन की उड़ान।

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एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

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23-11-25

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मनसूबे बाँधना,

सफलता का मार्ग।

 जिज्ञासु मानव

 धन हो या न हो

 राजमहल बनवाने की चाह हवामहल 

 मन की उड़ान।

 गौरीशंकर की चोटी पर

 पहुँचने के सोच विचार।

 धन न हो या न हो

 दुनिया की सैर की कल्पना। 

 मन की उड़ान में 

 गोताखोर बनने की कल्पना,

चित्रपट देखते देखते 

नायक नायिका बनकर

 नाचने गाने की कल्पना।

अलाउद्दीन अद्भुत दिया 

 पाकर  मनमाना करने

 मनोवांछित वस्तुएं

 प्राप्त करने मन की उड़ान।

 लता मंगेशकर,

 मुहम्मद रफ़ी,

 एस. पी।बी जैसै

विश्वप्रसिद्ध गायक बनने की मनोकामना।

भगवान के नाम जपकर 

 सूर तूलसी जैसै

महाकाव्य रचने

 मन की उड़ान।

कल्पना के घोड़े

 दौड़ाने,

दुर्लभ कार्य करने,

प्रधान मंत्री बनकर 

 देश की प्रगति करने,

 न्यायधीश बन कर

 सही न्याय देने

 मन की उड़ान।

  बड़े बड़े कारखाने खोलने,

 विश्व के अमीरों की सूची में 

अव्वल आने 

 मन की उड़ान।

 मनकी उड़ान न तो

 न आविष्कार 

 न इलाज की क्रांति 

 न संगणिन

 न विमान 

 न साहित्य।

न उपनिषद वेद 

न कुरान, न बाइबिल।

न गगनचुंबी इमारतें।

 न कृषी क्रांति।

 मन की उड़ान 

 सकारात्मक और नकारात्मक।

 मन की उड़ान में 

 मानवता का विकास।

 दानवता का नाश।

 मानवता के विकास में 

अहिंसा, शांति, समरसता 

 वसुधैव कुटुंबकम् के विचार।

 मन की उड़ान न तो

 मानव पशु बराबर।

 


 







 

 



 



Thursday, November 20, 2025

अमृतोपम

                अमृत।

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एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

21-11-2025

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अमृत संदर्भ के अनुसार 

 अमृत का प्रयोग।

जो अति स्वादिष्ट,

 अति दूर्लभ,

 देवामृत 

 अमृत स्वरूप 

 पवनी क्षे तो क्षेत्र में 

 पंचामृत,

केला, शक्कर, मिस्री,शहद, इलायची

 मिलाकर देव प्रसाद।

प्रवचन के भावामृत,

मंदिर का प्रसाद अमृत।

 गुरु के उपदेश अमृत,

 दादा के लिए दादी का 

काफ़ी अमृत।

 शिशु के लिए 

 माँ का स्तन्य दूध अमृत।

 प्रेमी के लिए प्रेमिका का चुंबन अमृत।

पिता के लिए माँ की चटनी अमृत।

 दर्शनामृत,

 अमरता देने अमृत ।

गानामृत,

 देव असुर के मंथन में 

 मिले अमृत।

 अमृत बराबर अमृत।

दोस्ती अमृत ,

गो रस अमृत।।

अमृतोपम अमृत भाषण।




 



 


Wednesday, November 19, 2025

प्राकृतिक देन

 प्रकृति का वरदान

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एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

20-11-25

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प्रकृति के वरदान 

 मानव स्वभाव,

 पशु स्वभाव,

 पक्षी स्वभाव, 

 वनस्पति जगत,

कीड़े मकोड़े,

 अंडज,

 पिंडज 

 स्वेतज

उद्भिज्ज।

 नदी

नाले

झील

जलप्रपात 

स्त्रोत 

समुद्र 

समुद्र के जीव

सूर्य, चंद्र, नक्षत्र 

खान

 सोना,

हीरा

 नवरत्न

कोयला

जड़ी बूटियाँ

अनाज,

 धान, गेहूंँ

पालतू जानवर।

जन्म जीवन मृत्यु।

कीटाणु रोग ,

साध्य रोग ,

असाध्य रोग।

 बुद्धि लब्धि,

 प्रतिभाशाली व्यक्तित्व।

 मधुर ध्वनि।

कठोर ध्वनि।

 मौसमों  का परिवर्तन 

 मौसमी फूल फल।

रंग-बिरंगे पक्षी।

  ऊँचे ऊँचे पहाड़,

 बर्फीला प्रदेश दक्षिण ध्रुव 

 रेगिस्तान,

 प्राकृतिक शोभा।

मानव के विभिन्न रूप,

 जलवायु के अनुसार 

 भोजन, पोशाक, आवास।

बर्फीले प्रदेश का इग्लू,

 ठंडज्ञप्रदेश के लकड़ी घर

   प्रकृति का संतुलन न तो

  जीना मुश्किल,

   प्रदूषित  प्रकृति 

   प्रकृति के  प्रकोप से

  बचना मानव बुद्धि  से असंभव।

 सुनामी,भूकंप, दावानल

 ये सब प्रकृति को

 मानव अपने 

स्वार्थ के लिए 

 बिगाड़ना।

 परिणाम स्वरूप 

 जल, वायु, गर्मी का बढ़ना, 

क्षेत्र के अनुसार मानव गुण।

 प्रकृति के कारण,

 काम, क्रोध ,ईर्ष्या, प्रेम 


वीर धीर गंभीर कायरता,डरपोक।

मांसाहारी,

शाकाहारी,

 सर्वा हारी।


प्राकृतिक वरदान 

 वर्णनातीत।

प्राकृतिक की रक्षा मानव धर्म।

 प्राकृतिक पहाड़, जंगल, झील  का नदारद करना

 मानव का तात्कालिक सुख।

प्राकृतिक कोप

 जल प्रलय, वायु प्रलय, भूतल प्रलय।

 शपथ लेना है

 प्राकृतिक रक्षा करना।

 

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।



 



 

 

 


  


 








 


Tuesday, November 18, 2025

मन सागर का मंथन

समुद्र मंथन।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

19-11-25

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  संसार सागर में 

 विष है,अमृत है,

 देव हैं, असुर हैं,

 नास्तिक है, आस्तिक है

देशप्रेमी है, देश द्रोही हैं 

 देवों और असुरों ने

 समुद्र मंथन किया ।

 विष और अमृत मिला।

भगवान शिव विष पीकर

 पार्वती के गला दबाने से

 नीलकंठ महादेव का नाम पाया।

 चिरकाल से अत्याचार अनाचार, हिंसा अहिंसा 

 त्यागी, भोगी सब के सब

आपसी संघर्ष होते रहते हैं 

मन  में सदा तरंगें 

उठती रहती है,

 मन  विशाल सागर के समान,

 नये नये विचार,

 नयी नयी सोच

 जिज्ञासा,

 भाव, मनोविकार 

 अहंकार, काम, 

 क्रोध,मंद लोभ,

प्रतिशोध की भावना,

ईर्ष्या, पद का लोभ,

नाते, मित्र, 

रिश्तेदारों का दाह,

हर पल विचार तरंगें 

नींद में शुभ अशुभ स्वप्न,

नींद से उठते ही स्वप्न के 

चिंतन, रोग साध्य असाध्य रोग का चिंतन।

आर्थिक कठिनाइयाँ,

 सपूत कुपूत का चिंतन।

 मन के अथाह सागर में 

शांति पाने 

मन का मंथन करके,

 भक्ति ध्यान में लगाकर 

 सागर की तरंगों को

मिटाकर 

आत्म ज्ञान पाना है।

 आत्मा को पहचानना है।

वही चिर शांति और संतोष  का मार्ग,

 हमारे ऋषि मुनियों ने

दिखाया है।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 



 




 



 


 


 

 

 



Monday, November 17, 2025

परिवर्तन

 परिवर्तन का प्रकाश।

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एस.अनंंतक‌ष्णन, चेन्नई तमिलनाडु 

18-11-25+

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परिवर्तन प्रकृति की देन।

दो सूक्ष्मबिंदुओं के

 मिलन  ।

न रूप न आकार

दस महीने में 

 शिशु ।

 अद्भुत आश्चर्यजनक

 परिवर्तन।

छै ऋतुओं के परिवर्तन।

शुक्र पक्ष कृष्ण पक्ष परिवर्तन।

सूर्योदय प्रकाश ।

 परिवर्तन बीज,

अंकुर पौधे,वृक्ष

 कली,फृल ,

 कच्चा पक्का फल।

तितलियों कीजीवनी।

 पत्थर रगड़कर आग,

 लकड़ी जलाकर आग,

चर्बी से दिया,

 मिट्टी के दीप,

 तेल से दिया।

गेस लइटर,

बिजली की रोशनी,

सूर्य ऊर्जा 

शिलालेख,

ताड़ के पत्ते लेख

 छापेख़ाने का आविष्कार।

ध्वनि संकेत,

तार,

दूरभाष 

 मोबाइल 

संगणक

 अंतरजाल 

 बैल, घोड़े,गधे ,

 तांगा, बैल गाड़ी,

मोटर गाड़ी, पैर गाड़ी,

 बस, रेल, विमान, हेलिकॉप्टर 

 यातायात के परिवर्तन।

 मानव जीवन अति सुविधा जनक।

 परिवर्तन प्रकाश में 

कितना आनंद।

पाषाण युग से वैज्ञानिक युग,

 चिकित्सा प्रणाली 

 शल्य चिकित्सा,

अंग दान, नेत्रदान 

 स्केन, रोग निदान 

 सब परिवर्तन में 

 प्रकाश ही प्रकाश।

 पर मानव जीवन परिवर्तन में 

बाल रंग परिवर्तन,

बालों का झड़ना

बुढापा , असहाय 

 स्वर्ग-नर्क वेदनाएँ।

परिवर्तन के शोक,

मानव का निधन।

 पुराना मिटना

 नया  होना

 परिवर्तन के प्रकाश अंधकार।

 यही सूक्ष्म ब्रह्म लीला।

एस.. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।