Sunday, May 1, 2016

उलाहना -तिरुक्कुरळ -काम - १२९१ से१३००

उलाहना -तिरुक्कुरळ -काम - १२९१ से१३००

१. अपने दिल से  प्रेयसी  कहती  है  कि  प्रेमी का  दिल  मझसे प्रेम नहीं करता, दिल में मेरी याद. नहीं  है  तो तुम उनको  अपने  दिल. में  रखकर क्यों गलते रहते हो?


२.हे दिल ! तुझे मालूम. है  कि  वे मुझसे प्रेम नहीं करेंगे. फिर भी उनकी याद में ही क्यों उनका  पीछा  करते  हो?

३. हे दिल ! तुम अपनी इच्छा  के  अनुसार उनका  पीछा करने  के कारण यही  होगा  कि दुख में कोई. साथी  न मिलेगा.

४. हे दिल! तुम  रूठकर उसके फल नहीं भोग. सकते ; अतः रूठ की सलाहें  तुमसे  नहीं लूँगी.

५. हे दिल! मेरे भय की कहानी जारी ही रहेगी, पहले प्रेमी के न मिलने  से डरता रहा; मिलने  के  बाद यह. डर. है  कि फिर छोडकर चले जाएँगे तो ? यह भय तो अनंत ही है.

६.  प्रेमी  से  बिछुडकर विरह वेदना  से  तडपते  समय उनके अपराधों की  चिंताएँ ऐसी  ही  लगी कि दिल मुझे  खा  लेगा.

७. प्रेमी के बारे में सोचनेवाले मेरे मूर्ख मन. से  मिलकर  मैं ने  भी अपनी  लज्जा  छोड दी.

८.बिछुडकर गये प्रेमी की निंदा करके   मेरा  दिल. अपमान करना नहीं  चाहता ,अतः वह उनके अच्छे गुणों की प्रशंसा में ही लगा है.

९. हे  दिल ! संताप के समय तू साथ नहीं  देगा  तो  और कौन. देगा.

१०. वेदना के समय अपना  दिल ही साथ नहीं देता  तो दूसरे नाथा छोडना सहज ही  है.


No comments:

Post a Comment