Tuesday, May 3, 2016

धर्म की जीत कैसी ?


     अवकाश ग्रहण के बाद ही सामाजिक और राजनैतिक व्यवहारों पर अधिक विचार करने लगा.
समय काटने के लिये तो मुझे मिला ईश्वर ध्यान .
गहरी धार्मिक बातें समझने और आलोचना या अनुसंधान करने का ज्ञान मुझमें नहीं है.
क्योंकि ईश्वर की  अर्थात अवतार पुरुषों के पक्ष में जो न्याय सुनाया जाता है ,
उसके पाप के लिये दंड है;
मुक्ति देने के लिये ऐसा किया गया है ?
ईश्वर से भी उनसे लड़ना मुश्किल है.
उनको इतने बल का वरदान है कि ईश्वर खुद डरकर भाग रहा है.
या किसी मानव-तपस्वी की रीढ़ की हड्डी की ज़रूरत है.
मानव भी त्याग करता है.
देव जीतते हैं.
धर्म की जीत के लिये अधर्म की लड़ाई ,
पुण्य को भी दान लेने देव तैयार ;
इन्द्र पदवी बचाने के लिये बामन अवतार
सरसरी दृष्टि से देखने पर देव हो या मानव को अधर्म या बेईमानी करनी ही पड़ती है
तो
धर्म की जीत कैसी ?
पता नही.
या मुझे समझनी की बुद्धी नहीं .
समझने के ज्ञान के लिये अज्ञात ईश्वरीय ध्यान में लगा हूँ.
कोई है तो समझाना.
यह मानव जन्म सार्थक होगा .

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