Sunday, May 1, 2016

बहाना बनाना-तिरुक्कुरळ -- काम - १३११ से१३२०

    बहाना बनाना-तिरुक्कुरळ -- काम - १३११  से१३२०

१.  प्रेयसी  प्रेमी  से   बहाना बनाती है कि  स्त्रियों   को  तुम आम संपत्ती मानकर सब को घूरकर. देखते  हो. इसलिए मैं तेरी छाती से गले  नहीं  लगाऊँगा.

२. प्रेयसी  कहती  हैं  कि मैं उनसे  रूठी  थी. तब प्रेमी  झूठी छींक छींकने लगे कि मैं कहूँगी कि दीर्घायुष.
क्या मैं कहूँगी न हीं.

   ३. प्रेमी  कहता  है  कि एक दिन फूल गूँथकर  उसकी  चोटी  पर रखा तो वह यह कहकर रूठी  थी  कि  और किसी को लुभाने मैंने  ऐसा  किया  था.

४.
प्रेमी ने कहा  कि और. दूसरों से मैं तुझसे  अधिक. प्यार करता  हूँ. तब वह रूठने  लगी कि औरों से माने

 और दूसरी  से प्यार करते  हैे ?

५.  प्रेमी  ने  प्रेयसी  से कहा  कि इस जन्म में  मैं  तुमसे  बिछुडूँगा नहीं, तब प्रेयसी रूठकर वेना  के आँसू  बहाने लगी  कि  अगले  जन्म. में  बिछुड जाएँगे क्या ?

६ . प्रेमी  ने प्रेयसी  से  कहा  कि  मैंने तुमहारे बारे में सोचा ,तब प्रेयसी रूठने लगी  कि तुमने  मुझे भूलगये ; इसलिए सोचा  है . यें ही वह बगैर. आलिंगन के रूठ गयी.

७. प्रेयसी   ने मैंने छींका तो बधाइयाँ दी. फिर संदेह प्रकट करके पूछा  कि तुम और. किसकी याद. में  हो. रूठकर  रोने लगी.


८. प्रेयसी रूठेगी  सोचकर. छींक दबाया  तो वह रूठने लगी कि किसी  की याद छिपाने के लिए
छींकने को रोका क्या?

९. प्रेयसी के क्रोध दूर. करने  दुलारने लगूँ  तो तब भी  वह रूठती थी  कि अन्य महिलाओं के  साथ भी ऐसा  ही व्यवहार करोगी  क्या ?

१०. प्रेयसी की  अनुपम  सुंदरता  देखकर.  घूर कर देखती  तो  रूठती थी  कि   किसकी तुलिना करके ऐसे देखते  हैं. 

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